व्‍यापार करने के लिए आत्‍म जागरुकता का होना क्‍यू जरुरी हैं?

आत्‍म जागरुकता और व्‍यापार एक दूसरे को विकसित करने में योगदान देते है। स्‍टार्टअप शुरु करने से पहले सेल्फ अवेयरनेस या आत्म जागरुकता का होना बहुत ही जरुरी और महत्वपूर्ण होता है।

लोग स्टार्टअप शुरु करना चाहते है यह जाने बिना कि वह व्यापार के बारे में पहले से ही कितना जानते है?

Introduction

व्यापार शुरु करने से पहले यह जान लेना बहुत ही लाभदायक होता है कि हम उसके बारे में कितना जानते है? वह कार्य कितना हो चुका है? हम उसे पूरा करने के रास्ते पर कहां तक पहुंचे है? इसी से इसकी समझ आती है कि आगे क्या करना है?

इन्ही कारणों से व्यापार में आत्‍म जागरुकता की आवश्यकता बढ़ जाती है।

आत्‍म जागरुकता

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अवेयरनेस का सम्बंध आईनो से होता है और एक व्यापारी के कपड़ो को सूट से जोड़कर देखा जा सकता है।

इसलिए एक सूट पहने हुए व्यापारी और आईने को व्यापारी की आत्म जागरुकता से परिभाषित किया जा सकता है।

अवेयरनेस और आईने एक दूसरे के रुपक या मेटाफोर की तरह होते है, इसलिए कई फिल्मों में उनके किरदारो को अपने आप को जानते समय उन्हें आईने के सामने खड़ा हुआ दिखाया जाता है, उनको अपने आप को देखते हुए या आंखे मिलाते हुए दिखाया जाता है।

साथ ही अपने आप को जानने या दूसरो को ऐसी राय देने के लिए ‘‘आईना दिखाने‘‘ जैसे मुहावरे उपयोग किए जाते है।

What is Self Awareness

व्यापार में आत्म जागरुकता का महत्व, एक व्यापारी के लिए इसकी आवश्यकता और व्यापार में इसके उपयोगो को समझने से पहले इसकी परिभाषा और व्याख्या को समझना जरुरी है।

सेल्फ अवेयरनेस को सबसे पहले शेली डुवल और राॅबर्ट विकलुंड ने प्रस्तुत किया था।

लेकिन दुनिया के सभी धर्मो में आत्म जागरुकता या स्वयं को जानने की धारणाएं सदीयों पुरानी है, साथ ही बहुत से दार्शनिको ने इस तरह की धारणा को पहले भी प्रस्तुत किया था।

‘‘सेल्फ‘‘ या ‘‘स्व‘‘ से जुड़ी हुई धारणाएं इतनी अलग अलग या एक दूसरे से असम्बंधित इसलिए मालूम होती है क्योंकि-

 

1. सभी धर्मो में इसे अपने अनुसार परिभाषित किया है।

2. धर्मो की भाषा में विविधता होने के कारण इसकी परिभाषा और व्याख्या में भी विविधता आती गई।

3. दार्शनिको ने अपने समय अंतराल में सामान्य लोगो को सबसे आसान भाषा में इसे समझाने के लिए अलग अलग रास्ते अपनाएं।

4. इसके बाद ऐसी धारणाओं को मनोवैज्ञानिको द्वारा वैज्ञानिक ढंग से परिभाषित किया जाने लगा।

5. वर्तमान समय के मोटिवेशनल स्पीकर्स भी खुद को जानने जैसे सिद्धांतो पर जोर देते है और सेल्फ हेल्प से जुड़ी किताबो में भी कई बार इसे समझाया गया है।

6. और अंत में एक सामान्य इंसान को भी यही लगता है कि उसे जो आज समझ आया है वह पहले समझ आ जाना चाहिए था या उसने अपने आप को कभी जाना ही नही।

इन्ही कारणो के कारण एक ही तरह की धारणा या सिद्धांत के बहुत से पर्याय, परिभाषा और व्याख्या उत्पन्न हो गई जैसे-

self reflection, self observation, identity, introspection, proprioception and interoception, self discovery, consciousness, metacognition etc.

इनमें और इनकी परिभाषाओं में उलझने की जरुरत नही है।

किसी भी शब्द की अपनी ही अलग परिभाषा, अर्थ, उपयोग, व्याकरण और नियम हो सकते है।

लेकिन जिन्होने सबसे पहले उन शब्दो को उपयोग किया होगा तब इस तरह के नियम नही होंगे।

नियम तो समय के साथ बना दिये जाते है, जिससे उनकी व्याकरण निर्धारित हुई और उन्हे उपयोग में लाया जाने लगा, इस कारण से उनके अलग अलग अर्थ निकलने लगे और उन्हें सही तरह से या वैज्ञानिक ढंग से परिभाषित करने की जरुरत महसूस की गई।

तो, इस तरह इन सभी का मतलब लगभग एक ही होता है और वह है- ‘‘स्वयं को जान लेना।’’

Self Awareness in Business

व्यापार अपने आप में एक बहुत बड़ा और फैला हुआ क्षेत्र है।

वैश्वीकरण का प्रमुख कारण व्यापार ही है। कई देशों का एक दूसरे के साथ व्यापार करने के कारण ही वैश्वीकरण संभव हो पाया है।

तो यह माना जा सकता है कि व्यापार का क्षेत्र सारी दुनिया में फैला हुआ हैै।

साथ ही व्यापार के बड़ा होने का अनुमान सिर्फ एक क्षेत्र की सफल कम्पनी के दुनियाभर में फैलाव और उसके मुनाफे से ही लगाया जा सकता है, चाहे वह कम्पनी किसी भी क्षेत्र की हो।

जब एक ही कम्पनी का फैलाव इतना बड़ा हो सकता है तो उस क्षेत्र की से सम्बंधित सभी कम्पनियों का फैलाव कितना बड़ा होगा? और दुनिया की सभी कम्पनियों का फैलाव कितना बड़ा और विविधतापूर्ण होगा?

व्यापार के अनगिनत क्षेत्र और उनकी विविधता के कारण इसे शुरु करने की सोचने वालो के लिए व्यापार में स्वयं का जानना जरुरी हो जाता है। अनगिनत क्षेत्रो में से किस क्षेत्र को चुना जाए? इसका जबाव खुद को जानकर ही मिल पाता है।

Importance of Self Awareness in Business

व्यापार में आत्म जागरुकता के महत्व को उसकेे व्यापार में होने वाले उपयोग और आवश्यकता से समझा जा सकता है।

जो व्यापार के लिए अधिक उपयोगी होगा और जिसकी आवश्यकता है, वह अधिक जरुरी है और उसका महत्व है।

व्यापार में स्वयं को जानने के महत्व को कुछ बिन्दुओं से समझा जा सकता है, जो कि स्टार्टअप शुरु करने के लिए बहुत ही उपयोगी होते है। जैसे-

1. अगर कोई स्टार्टअप शुरु करना चाहता है, तो क्या वह इतने बड़े और फैले हुए क्षेत्र में स्वयं को जाने बिना व्यापार कर सकता है? अगर कोई व्यापार करना चाहता है लेकिन उसे कौन सा व्यापार करना है? यह नही जानता है तो क्या वह एक सफल व्यापारी बन सकता है? इसका जवाब है- नही।

2. अगर कोई व्यापार करना चाहता है लेकिन वह यह नही जानता है कि उसे व्यापार क्यूं करना चाहिए? अगर व्यापार करने के पीछे ‘‘क्यूं‘‘ का जवाब स्पष्ट नही है तो क्या वह सफलतापूर्वक व्यापार कर पाएगा? इसका जवाब है- नही।

3. अगर कोई व्यापार करना चाहता है लेकिन वह अपने उत्पाद के बारे में नही जानता है या वह नही जानता है कि उसे किस तरह का उत्पाद बनाना चाहिए? उसमें कौनसी विशेषताए होनी चाहिए या उसे बाजार में कब लाना चाहिए? तो क्या वह सफल व्यापारी बन सकता है? इसका जवाब है- नही।

व्यापार किस क्षेत्र में करना है? व्यापार क्यूं करना है? व्यापार किस उत्पाद के बल पर करना है? यह एक व्यापारी के जीवन के सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण सवालो में होते है और अगर वह अपने आप को नही जानता है तो इन सवालो के जवाब और एक सफल व्यापारी बनने की संभावना ना के बराबर ही होगी।

Uses of Self Awareness in Business

व्यापार में आत्म जागरुकता के उपयोगो को व्यापार से सम्बंधित अलग अलग विभागो में इसके उपयोगो से समझा जा सकता है।

व्यापार को अगर कम्पनी माना जाए तो सामान्य रुप से एक सामान्य कम्पनी में बहुत से अलग अलग तरह के विभाग और कार्य होते है, उनकी प्रोसेस और उन्हे संचालित करने के लिए आत्म जागरुकता बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। जैसे-

1. व्यापार में आत्‍म जागरुकता का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण उपयोग, अपने व्यापार का क्षेत्र चुनने में किया जाता है।

जैसे कोई इंसान किसी एक तरह की नौकरी चुनता है या वह मानता है कि उसे इस इस तरह की नौकरी करनी चाहिए वैसे ही व्यापार शुरु करने से पहले उसका क्षेत्र चुना जाता है।

2. किसी इंसान को व्यापार करने का कारण, उसे व्यापार करने के लिए अधिक प्रेरित करता है। इससे उसे व्यापार शुरु करने के ‘‘क्यूं‘‘ का सही जवाब मिलता है।

वैसे यह जवाब अलग अलग तरह का हो सकता है।

जैसे- कुछ लोग व्यापारियों से आकर्षित होते है, उन्हें उस तरह का जीवन सही लगता है। तो कुछ लोग किसी तरह की कम्पनी खड़ी करने को सफलता मान सकते है। वही कुछ लोग व्यापार से होने वाले अधिक मुनाफे के कारण व्यापार से आकर्षित होते है क्योंकि व्यापार में अन्य किसी भी तरह के प्रोफेशन की तुलना में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

3. एक ही कम्पनी कई तरह के उत्पाद बनाती है। इसलिए इस दुनिया में सफल उत्पादो की संख्या, सफल कम्पनियों से अधिक है।

अगर किसी को सफल उत्पाद बाजार में लाना है जो कम्पनी को सफल बना सके तो उसे अपने उत्पाद को अपने क्षेत्र की कम्पनियों के उत्पादो के बेहतर बनाना होगा। उसे अपने उत्पाद की सभी विशेषताओं और गुणो से परिचित होना होगा और यह खुद को और अपने उत्पाद को जानकर ही संभव हो पाएगा।

4. कम्पनी शुरु करना और कम्पनी को सफलतापूर्वक संचालित करना दोनो अलग अलग विषय या प्रोसेस है।

जिस इंसान के पास निवेश करने के लिए धन है वह किसी भी तरह की कम्पनी खड़ी कर सकता है, लेकिन कम्पनी को सफल बनाने के लिए उसे सफलतापूर्वक संचालित करने की जरुरत होती है और कम्पनी को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए सही लक्ष्य और दिशा निर्देश तय करने पड़ते है।

कोई लक्ष्य ना हो तो कम्पनी किस लक्ष्य का पीछा करेगी? किस तरह की सफलता को हासिल करेगी? और सही लक्ष्य ना हो तो वह लक्ष्य का पीछा करने के बाद भी असफल होगी, उसे हासिल करने के बाद भी असफल ही होगी।

कम्पनी के लक्ष्य निर्धारण का कार्य उसके संस्थापक, सीईओ या उच्च अधिकारी करते है, इसलिए इन लोगो का अपने आप को और अपनी कम्पनी के लक्ष्यों को जानना जरुरी होता है।

5. कम्पनी को संचालित करने के लिए उसके सभी कर्मचारियों को उस क्षेत्र का ज्ञान होना जरुरी होता है। अगर वह अपने ज्ञान को ही नही जानते है तो उसका सही उपयोग भी नही कर पाएंगे।

6. ज्ञान की तरह ही व्यापारिक कौशल का भी कम्पनी में महत्व होता है। कोई भी कम्पनी अपने कर्मचारियों के कौशल से संचालित होती है, इसलिए अपने व्यापारिक कौशल को जानना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

7. संस्थापक को अपने क्षेत्र में बारे में पता होने से उस क्षेत्र के लिए सही कर्मचारियों की नियुक्ति करने की संभावना अधिक होती है।

अंत में कोई भी कम्पनी उसके कर्मचारियों के द्वारा ही संचालित की जाती है, इसलिए सही कर्मचारियों की नियुक्तियां करना व्यापार जगत में सफलता पाने का सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है।

8. आजकल व्यापारिक सोच, बिजनेस माइंडसेट या अरबपतियों के सोचने के तरीके जैसे पहलुओं पर अधिक चर्चा हो रही है, यह जरुरी भी है क्योंकि स्कूलो में यह नही सिखाया जाता है।

लेकिन अपनी वर्तमान सोच या सोचने के तरीको को जाने बिना व्यापारिक सोच विकसित नही की जा सकती है। वर्तमान सोच को जानने से ही व्यापारिक सोच विकसित करने का रास्ता साफ होगा।

व्यापार और आत्‍म जागरुकता पर अलग अलग विषयों या क्षेत्रो में बात करने से यह पता चलता है कि एक व्यापारी या व्यापार शुरु करने वाले के लिए यह बहुत ही जरुरी है। तो इसे कैसे विकसित किया जाए?

How to Be Self-Aware in Business?

कम्पनी में अलग अलग तरह के विभाग और कार्य होते है, अगर उनके बारे में अपने आप को जान लिया जाए, समझ लिया जाए तो कोई भी इंसान जो व्यापार करना चाहता है, वह आसानी और सरलता से व्यापार में आत्म जागरुकता को विकसित कर सकता है।

इस कार्य या प्रोसेस को निम्‍न बिन्दुओं की सहायता से समझा जा सकता है-

1.अपने आप के लिए समय निकाले। इससे आप व्यापार के बारे में अधिक जागरुक होंगे।

2. व्यापार शुरु करने के बाद के जीवन के बारे में सोचे। जब आप ऐसा करते हो तो आप आने वाले व्यापारिक जीवन से परिचित होते है।

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3. अपनी कम्पनी के लक्ष्यों को तय करे। इससे व्यापार शुरु करते ही कम्पनी को किस दिशा में ले जाना है? इसकी समझ आती है।

4. अपने ग्राहको के बारे में जाने। मुनाफा ग्राहको से ही आता है, अगर ग्राहको के बारे में अधिक जानकारी होगी तो उन्हें प्रभावित करने की नीति भी आसानी से बनाई जा सकती है।

5. अपने उत्पाद के बारे में जाने। इससे आपको सही उत्पाद बनाने में सहायता मिलेगी और साथ ही अपने उत्पाद के गुण और विशेषताओं को तय करने में भी सहायता मिल पाएगी।

6. कम्पनी को मिल सकने वाले मुनाफे के लिए रास्ते खोजे। व्यापार का प्रमुख लक्ष्य मुनाफा कमाना ही होता है। इसलिए इसके बारे में कम्पनी की शुरुआत से ही सजग रहे।

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7. व्यापारिक जीवन बहुत ही व्यस्थ होता है। इसलिए इसे शुरु करने से पहले ही अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की योजना बनाए। आप स्वस्थ्य रहेंगे तो अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर पाएंगे।

8. अपनी बचत के बारे में जागरुक रहे और स्टार्टअप शुरु करने के लिए लगने वाले निवेश के बारे में भी जागरुक रहे। ऐसा ना हो कि लगने वाले निवेश स्टार्टअप शुरु करने के लिए कम पड़ जाए।

9. अपने द्वारा किए जाने वाले निवेश के साथ ही अधिक मात्रा में निवेश की जरुरत हुई तो वह कहां से लाया जाएगा? इसकी तैयारी भी कर ले। निवेशक कहां से लाए जाएंगे और उन्हें अपनी कम्पनी में निवेश करने के लिए कैसे तैयार किया जाएगा? इसकी तैयारी भी कर ले।

10. अपने व्यापारिक ज्ञान को जाने। कम्पनी चलाने के लिए किस तरह के ज्ञान की जरुरत होगी? या किस तरह के विषयों का ज्ञान उपयोग में लाया जाएगा? इसकी सूंची बनाए और उन विषयों का अध्ययन करे।

11. कम्पनी चलाने के लिए ज्ञान के साथ ही व्यापारिक कौशल की भी आवश्यकता होती है, इसलिए वर्तमान में किस तरह के कौशल विकसित किए जा चुके है? और किस तरह के कौशल विकसित करना बाकी है? यह जाने।

12. अपने सामाजिक कौशल को जाने। कम्पनी को शुरु करते ही आप लोगो से घिर जाएंगे और उनसे लगातार सम्पर्क में रहना होगा। इसमें सामाजिक कौशल की जरुरत होती है।

13. अपनी कम्पनी को संचालित करने के लिए कर्मचारियों की जरुरत होती है, इसलिए अपनी कम्पनी को संचालित करने के लिए किस तरह के कर्मचारियों की जरुरत होगी और उन्हें किस पद पर नियुक्त किया जाएगा? इसकी तैयारी पहले से ही कर ले।

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14. अपनी कम्पनी के लिए लागू होने वाले संवैधानिक नियमो या व्यापारिक नियम को जाने। जैसे- कम्पनी का पंजीकरण किस तरह से किया जाता है और अपने उत्पाद का पेटेंट किसके नाम पर होगा? इत्‍यादि।

15. कम्पनी कब तक बाजार में अपना उत्पाद ला पाएगी? उसे कितना समय लगेगा? इस बारे में सोचे।

16. कम्पनी को किस जगह पर स्थापित करना है? इस पर विचार करे।

17. कम्पनी से होने वाले मुनाफे को प्रबंधित करने के लिए क्या किया जाएगा? इसके लिए मनी मैनेजमेंट को समझे।

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18. क्या नही करना है? इसका भी ध्यान रखें। अगर गलत कदम उठाये जा रहे है या गलत फैसले लिये जा रहें हैं तो पीछे हटे।

19. अगर गलत कदम या गलत फैसले लिए जा चुके है, इसका मतलब है कि कम्पनी या उसके कर्मचारियों ने गलती की है। इन गलतियों को सुधारने का प्रयास करे। पीछे हटना और गलतियों को सुधारना यह दोनो ही कम्पनी को शुरु करने के बाद के पहलु है, लेकिन इसका ध्यान पहले से ही रखे।

20. अन्य सफल व्यापारियों और उद्योगपतियों के बारे में जाने। उनकी नीतियों को जाने, उनकी सफलता के रहस्य और रास्तो के बारे में अधिक से अधिक जाने।

Conclusion

दर्शन में आत्म जागरुकता का सिद्धांत प्राचीन है, लेकिन व्यापार में आत्म जागरुकता का सिद्धांत नया है। इसी नएपन के कारण इसे समझने में और इस पर चलने में थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन इंसानो ने हमेशा से ही नए सिद्धांतो को अपनाया है और उन्हें मान्यता दी है।

कोई भी सफल प्रयोग पहले किसी सिद्धांत के रुप में ही होता है।  इस तरह यह व्‍यापार में भी सफल हो सकता है।

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