Bankruptcy से बचने और उसका सामना करने के लिए 12 बेहतरीन उपाय

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Introduction

ऐसा तो नही है कि आज की सफल कम्पनियां अपनी शुरुआत और हमेशा से ही सफल रही है।

इनका शुरुआती समय बहुत मुश्किलों भरा हुआ रहा है, इनके उत्पाद नही बिक रहे थे, ये पर्याप्त लाभ नही कमा पा रहे थे, इनकी स्थिति को देखते हुए कोई निवेशक इनकी कम्पनी में निवेश नही करना चाहता था।

कम्पनी दिवालिया होने की स्थिति तक पहुंचने वाली थी।

इसलिए सबकुछ शत प्रतिशत सही तरह से लागू करने के बाद भी ऐसी स्थिति आ सकती है।

इसलिए यह मुमकिन है कि तुम्हें भी कम्पनी के दिवालिया होने की स्थिति का सामना करना पड़े।

Bankruptcy क्‍या होती हैं?

अगर कोई व्यक्ति या संस्था इसे कानूनी तरह से परिभाषित करती है कि वह अपने कर्ज की कीमत चुकाने के लिए समर्थ नही है या उसके पास खर्च करने के लिए किसी तरह के एसेट नही बचे है, तो इस स्थिति को दिवालिया होने की स्थिति कहा जाता है और उस व्यक्ति या संस्था को दिवालिया कहा जाता है।

सामान्य रुप से सभी देशो में दिवालिया सिद्ध होने या करने की घोषणा और कर्ज वसूली की प्रोसेस लगभग समान ही होती है।

लेकिन फिर भी इनके सभी बिन्दु एक-दूसरे से अलग अलग भी हो सकते है।

अलग अलग देश दिवालियापन की धोखाधड़ी से बचने के लिए अपनी नीतियों को बेहतर बनाते रहते है और उन्हें बदलते भी रहते है।

किसी व्यक्ति या संस्था को दिवालिया घोषित करने पहल, निवेशकों या लेनदारों के द्वारा भी की जाती है।

ऐसा निवेशक या लेनदार अधिक नुकसान होने से बचने के लिए करते है।

Bankruptcy का सामना करने के उपाय

अगर तुम्हें दिवालिया होने की स्थिति का सामना करना पड़ा तो इन बातों का ध्यान रखना होगा-

1 Do Not Panic

घबराहट में कोई भी इंसान सोचने समझने की क्षमता को खो देता है।

यह एक कम्पनी की दिवालिया होने की स्थिति में किसी व्यापारी के साथ भी हो सकता है।

व्यापारी जिसने उस कम्पनी को बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की है, जिसने अपने ज्ञान और कौशल का सबसे बेहतर स्तर पर उपयोग किया है, जिसने जीवन के दूसरे क्षेत्रो से ध्यान हटाकर पहले अपनी कम्पनी को सफल बनाने का फैसला लिया है और जिसका उस कम्पनी से भावनात्मक लगाव है, वह व्यापार कम्पनी के दिवालिया होने की स्थिति में ना घबराएं ऐसा नही हो सकता है।

लेकिन उसे उस स्थिति में समझदारी से काम लेना होगा, उस स्थिति में किए गए निर्णय और कार्य कम्पनी को दिवालिया होने से बचा भी सकते है।

2. Set Short Term Goals

किसी भी कम्पनी को सफल बनाने के लिए एक अच्छे उत्पाद की जरुरत होती है, जिसे लोगो को बेचकर, उन्हें अपना ग्राहक बनाया जाए और लाभ कमाया जाए।

यह किसी भी कम्पनी के सबसे बड़े लक्ष्य होते है।

दिवालिया होने की स्थिति में संस्थापक, सीईओ और उच्च अधिकारियों को कम्पनी को सफल बनाने के बारे में नही बल्कि उसे दिवालिया होने की स्थिति से बचाने और उसे अस्तित्व में बनाए रखने के बारे में सोचना चाहिए, निर्णय लेने चाहिए और कार्य करने चाहिए।

कम्पनी को सफल बनाना उसे अस्तित्व में बनाए रखने के बाद का स्तर है।

व्यापार करने या कम्पनी को सफल बनाने के बड़े लक्ष्यों का पीछा करना और उस पर कार्य करना बहुत समय और साधन ले सकता है इसलिए दिवालिया होने की स्थिति में ऐेसे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए जिन्हें कम समय में पूरा किया जा सके, जिन्हें पूरा करने में बहुत अधिक साधनो की जरुरत ना हो और जो कम्पनी को दिवालिया होने से बचा सके।

3 Main Objectives of Business: Product, Customer and Profit

3. Focus on Innovation

कोई भी कम्पनी के दिवालिया होने का कारण उसकी आर्थिक तंगी होती है, इसलिए अगर किसी तरह कम समय में कुछ कार्यो को पूरा करके आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है तो उसे जरुर करना चाहिए।

इसमें ग्राहक एक बड़ी भूमिका निभा सकते है।

अगर अपने उत्पाद में सुधार करके, उसमें नई विशेषता को जोड़ के उसे फिर से ग्राहको के सामने रखा जाए तो वह उस उत्पाद को खरीदने का फैसला जरुर ले सकते है।

इसलिए दिवालिया होने की स्थिति में इनोवेशन पर फोकस करना कम्पनी के लिए लाभदायक हो सकता है।

इसमें मशीनरी के इनोवेशन पर भी ध्यान देना होता है। नई मशीनरी उत्पाद के उत्पादन को बढ़ा सकती है और उसकी नई विशेषता को जोड़ने में योगदान दे सकती है।

इनोवेशन का नकारात्मक पहलु यह है कि इसमें पैसा लगता है।

इनोवेशन का कार्य जिस विभाग को दिया जाएगा उसके कर्मचारियों को वेतन का भुगतान भी करना पड़ेगा, मशीनरी को उन्नत बनाने में भी पैसा खर्च होगा और नई विशेषताओं के साथ बनाए गए उत्पाद की मार्केटिंग में भी खर्चा होगा।

कम्पनी के दिवालिया होने की स्थिति में उसके पास खर्च करने को पैसा नही होता है तो इन सब कार्यो का खर्च कहा से आएगा?

इसका जवाब यह है कि उत्पाद को विकसित बनाने के लिए नए विभाग का गठन ना किया जाए बल्कि यह कार्य उसी विभाग को दिए जाए जो पहले से उत्पाद का उत्पादन कर रहा है और नए कर्मचारियों की नियुक्ति भी ना की जाए बल्कि जो कर्मचारी कम्पनी में कार्यरत है उन्ही को यह कार्य सौंपा जाए।

वास्तव में यह कार्य कम्पनी के हर कर्मचारी को सौंपा जाना चाहिए कि वह उत्पाद को विकसित करने के बारे में सोचे, अपने आइडिया या विचार रखे, मशीनरी को उन्नत बनाने में सहायता करे और मार्केटिंग करने का कार्य करे।

अन्य कर्मचारी भी जब दिवालिया होने की स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी लेंगे तो उत्पाद को उन्नत बनाने या इनोवेशन में बहुत सहायता मिल सकती है।

हो सकता है कि उत्पादन विभाग से गलतियां हो रही हो और कम्पनी उन्हीं विशेषताओं को उत्पाद में बेच रही हो।

तो अपने सभी कर्मचारियों की सहायता ले और उनके विचारो के प्रति खुला व्यवहार रखे।

4. Sell Your Portfolio

कई बार ऐसी कहानियां सुनने को मिलती है जो कि वास्तव में सच होती है जिसमें किसी कार्य या योजना को पूरा करते-करते उसके संस्थापक या उसे शुरु करने वाले उसमें अपनी निजी संपत्ति को भी निवेश कर देते है।

ऐसी कहानियां अक्सर किसी फिल्म को पूरा करने से जुड़ी होती है।

जब उसे पूरा करने बजट, निर्धारित स्तर से अधिक हो गया हो।

फिल्म निर्माता या निर्देशक उसे पूरा करने के लिए अपनी निजी संपत्ति को निवेश या खर्च कर देते है।

कम्पनी की दिवालिया होने की स्थिति में भी संस्थापक के द्वारा इस तरह के फैसले लिए जा सकते है।

लेकिन यह फैसला सफल होना चाहिए, उसे कम्पनी को दिवालिया होने से बचा लेना चाहिए।

फिल्म एक समय के बाद दर्शकों तक पहुच जाना चाहिए। निर्माता या निर्देशक की निजी संपत्ति के निवेश के बाद भी अगर फिल्म का कार्य अधूरा रहा तो निजी संपत्ति को दाव पर लगाने का फैसला गलत साबित होगा।

इसी तरह अगर संस्थापक अपनी निजी संपत्ति को निवेश करने का फैसला लेता है तो इसके बाद कम्पनी फिर से सफलता के रास्ते पर आ जाना चाहिए या किसी सामान्य कम्पनी की तरह संचालित होनी चाहिए।

5. Attract Investors

दिवालिया होने वाली कम्पनी में निवेशक निवेश नही करते है।

वह ऐसी कम्पनी में निवेश कर सकते है जिसका बाजार मूल्य बहुत कम हो या जो बहुत कम लाभ कमा रही हो, लेकिन वह ऐसी कम्पनी में निवेश नही करेंगे जो दिवालिया होने वाली हो।

उनका निवेश करने का सिर्फ और सिर्फ एक कारण हो सकता है और वह है कोई उम्मीद।

किसी उम्मीद के कारण वह दिवालिया होने वाली कम्पनी में निवेश करने का जोखिम उठा सकते है।

कम्पनी की ओर से यह उम्मीद बहुत ही मजबूत और स्पष्ट होनी चाहिए।

निवेशको को लगना चाहिए कि यह कम्पनी दिवालिया होने की स्थिति से बाहर आ सकती है और बाजार में उस क्षेत्र की अन्य कम्पनियों को चुनौती दे सकती है।

इस तरह निवेशको को आकर्षित करने के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु हो सकते है-

  • ऐसे निवेशको को खोजे जो बड़े जोखिम उठा सकते है, जिन्होने कभी दिवालिया होने वाली कम्पनी में निवेश किया हो।

इन निवेशको की दिवालिया होने वाली कम्पनी में निवेश करने की संभावना दूसरे कम जोखिम उठाने वाले या लाभ कमा रही कम्पनी में निवेश करने वाले निवेशको से अधिक होती है।

यह कम्पनी की ऐसी परिस्थितियों से परिचित होते है और साथ ही यह दिवालिया होने की स्थिति से बाहर आने के सुझाव भी दे सकते है।

इनका परिचय भी ऐसे अन्य निवेशको से होता है जो इनके जैसे है इसलिए यह अन्य निवेशको को भी आकर्षित कर सकते है।

इन्हे एग्रेसिव इंवेस्टर कहा जाता है इनके विपरीत जो होते है उन्हे डिफेंसिव इंवेस्टर कहा जाता है।

डिफेंसिव इंवेस्टर की रणनीति और व्यवहार भी डिफेंसिव ही होता है।

यह कम जोखिम उठाते है, सुरक्षित नीतियों से निवेश करते है और कम लाभ कमाने में विश्वास करते है।

जबकि एग्रेसिव इंवेस्टर की रणनीति और व्यवहार भी एग्रेसिव ही होता है।

यह अधिक जोखिम उठाते है, असुरक्षित नीतियों से भी निवेश करते है और अधिक लाभ कमाने में विश्वास करते है।

वैसे तो कम्पनी को दोनो तरह के निवेशको की आवश्यकता होती है लेकिन आपात स्थिति, जैसे दिवालिया होने की स्थिति में कम्पनी को एग्रेसिव इंवेस्टर की अधिक आवश्यकता होती है।

  • किसी भी प्रकार के इंवेस्टर चाहे वह एग्रेसिव हो या डिफेंसिव हो या फिर उनमें दोनो तरह के निवेशको की विशेषता हो वह सिर्फ अपने लाभ के लिए ही किसी कम्पनी में निवेश करते है।

उनका यह व्यवहार उद्योग जगत की शुरुआत से ही स्पष्ट और निरंतर रहा है।

दिवालिया होने वाली कम्पनी में भी वह अपने लाभ के लिए ही निवेश करेंगे या फिर वह ऐसी कम्पनियों में इसलिए निवेश करते है क्योंकि इन कम्पनियों में उन्हें किसी सामान्य कम्पनी की तुलना में अधिक हिस्सेदारी मिल जाती है।

वह दूसरो की आपात परिस्थिति में लाभ कमाना चाहते है।

इसलिए उन्हें वही दिखाया जाए। उन्हें उनकी हिस्सेदारी और लाभ से परिचित कराया जाए।

उनके सामने स्पष्ट किया जाए कि अगर वह इतना निवेश करते है तो उन्हें कम्पनी में इतनी हिस्सेदारी मिल जाएगी।

  • कम्पनी की दिवालिया होने की स्थिति बहुत ही अधिक नकारात्मक है।

हर कम्पनी को इससे बचे रहने की योजना बनानी चाहिए।

दिवालिया होने की स्थिति में पहुंचने के बहुत से कारण हो सकते है।

अगर कम्पनी इस स्थिति में पहुंच चुंकी है तो संस्थापक और उच्च अधिकारियों को यहां तक पहुंचने के कारणो की जानकारी होनी चाहिए, तभी इन कारणों का हल खोजा सकता है।

अगर गलती या दोष का पता ना हो तो उसे हल कैसे किया जा सकता है?

ऐसे में तो कम्पनी कभी भी दिवालिया होने की स्थिति से बाहर नही आ पाएगी और उसे बन्द करना पड़ेगा।

दिवालिया होने के कारणो का पता होना निवेशको से निवेश करवाने में बहुत सहायक हो सकता है।

अगर निवेशको को इन कारणो के बारे में बताया जाए, उन्हें समझाया जाए, उन्हें स्पष्ट किया जाए कि कम्पनी के दिवालिया होने की क्या वजह है और उन्हें निवेश मिलने से वह इन कारणों, गलतियों या दोषो को कैसे हल कर सकते है, तो निश्चित ही निवेशक इन बातो को ध्यान से सुनेंगे और हो सकता है कि वह निवेश करने के लिए मान जाए।

दिवालिया होने का कारण स्पष्ट करने का दूसरा कारण यह है कि इससे आप अपनी कम्पनी को दोषमुक्त कर देते है।

जब पता चल जाता कि गलती क्यूं हुई है, कहां हुई है, किससे हुई है, कैसे हुई है और कब हुई है तो गलती से सम्बंधित कारणों के अलावा सभी पहलु अपने आप ही गलती से मुक्त हो जाते है।

जैसे अगर कोई कम्पनी अपने प्रतियोगियों की नीतियों और उनके उत्पाद से पिछड़ जाती है और कम लाभ कमाने लगती है।

इस तरह अगर वह दिवालिया होने की स्थिति तक पहुंच जाती है तो नए निवेशको को यह स्पष्ट करने से उन्हें दिवालिया होने वाली कम्पनी की कोई भी गलती नजर नही आएगी।

उन्हें यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस कम्पनी की नीतिया कमजोर नही थी बल्कि इसके प्रतियोगियों की नीतियां अधिक मजबूत थी।

निवेशको के इस विचार के कारण वह कम्पनी में निवेश करने का फैसला ले सकते है।

तो कारण बताओ। ऐसे कारण बताओं जिसमें दूसरे की गलतियां हो या फिर ऐसी परिस्थितियों पर आरोप लगाओं जिन्हें नकारात्मक माना जाता है।

जैसे- कोरोना काल में व्यापार और उससे सम्बंधित अन्य क्षेत्रो को बहुत हानि हुई है।

कई उद्योग बन्द हो गए, कई कम्पनियां दिवालिया हो गई लेकिन कई कम्पनिया दिवालिया होने की स्थिति से बाहर भी आई होगी।

दिवालिया होने वाली कम्पनियों में से बहुत सी कम्पनियों के बाहर आने की वजह निवेशको द्वारा किया गया निवेश होगा।

लेकिन इनकी दिवालिया होने की वजह कोरोना काल ना होकर अपनी स्वयं की गलतियां भी तो हो सकती है।

लेकिन फिर भी कोरोना काल में दिवालिया होने वाली या बंद होने वाली सभी कम्पनियों का कारण कोरोना वाइरस को ही माना गया।

दिवालिया होने वाली कई कम्पनियों ने सिर्फ इस आरोप का उपयोग करके निवेशको से निवेश करवा लिया होगा।

आरोप लगाते समय ध्यान रखना चाहिए कि वह अधिक-से-अधिक सीमा तक सच हो क्योंकि निवेशक उसे फिर से जांच करेंगे।

  • निवेशक, संस्थापक और कम्पनी के अन्य कर्मचारियों से अपरिचित होते है, उन्हें नही पता होता है कि कम्पनी के कर्मचारी कितनी कुशलता से कार्य करते है, वह कितने मेहनती है या फिर उन्हें कम्पनी के उत्पाद की विषेशता और गुणो की जानकारी नही होती है, उन्हें नही पता होता है कि यह उत्पाद कितना सफल हो सकता है।

इसलिए उन्हें आंकड़े दिखाए जाने चाहिए।

उन्हें उत्पाद की विशेषता और गुण बताये जाने चाहिए, तभी तो वह कम्पनी की क्षमता से परिचित होंगे।

दिवालिया होने की स्थिति में निवेशको से निवेश की जरुरत को ध्यान में रखते हुए निवेशको की जरुरत को भी ध्यान में रखना होगा।

इसलिए ऐसी स्थिति में एक प्रभावकारी प्रेजेंटेशन को तैयार करने की जरुरत है।

जिससे निवेशक प्रभावित हो सके और कम्पनी में निवेश करने के लिए तैयार हो सके।

प्रेजेंटेशन में दिवालिया होने की स्थिति से बाहर आने की रणनीति स्पष्ट होनी चाहिए।

इसमें कुछ वर्तमान में किए गये कार्यो और सफलता की भी चर्चा होनी चाहिए।

अगर आप दिवालिया होने की स्थिति का सामना कर रहे है और घबरा नही रहे है, अगर आपने कुछ कम समय में पाने वाले लक्ष्य निर्धारित किए है और उनमें सफलता पाई है, अगर आप इनोवेशन पर भी ध्यान दे रहे है तो निवेशक इन कार्यो को देखकर प्रभावित होंगे।

प्रेजेंटेशन के निष्कर्ष में बताया जाना चाहिए कि अगर उन्हें कुछ निवेश मिलता है, अगर निवेशक उनकी कम्पनी में निवेश करने के लिए तैयार हो जाते है तो कम्पनी इस प्लान के साथ आगे बढ़ेगी, वह इस तरह से दिवालिया होने की स्थिति से बाहर आयेगी और बाजार में लम्बे समय तक बनी रहेगी।

6. Take Loan From Relatives, Friends or Bank

दूसरो की परिस्थितियों से लाभ कमाना मानव व्यवहार है।

अगर दिवालिया होने वाली कम्पनी को निवेश की जरुरत है तो निवेशक भी इस परिस्थिति का लाभ लेना चाहेंगे।

वह कम-से-कम निवेश में अधिक-से-अधिक हिस्सेदारी लेना चाहेंगे।

इस तरह का मानव व्यवहार हर जगह और हर क्षेत्र में है।

किसी विशेष समय अंतराल में कुछ विशेष वस्तु या सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है।

त्यौहारो के समय आवश्यक वस्तुओं की कीमत बढ़ी हुई होती है, कोरोना काल के समय लोगो ने सामान्य कीमत पर बिकने वाली वस्तुओं को कई गुणा कीमत पर बेचा है, अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कमी होने से उनकी मांग बढ़ जाती है और उनकी कीमते भी बढ़ जाती है।

बेचने वाले लोग, खरीददार की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए उसे अधिक-से-अधिक कीमत पर वह वस्तु या सेवा बेचने की कोशिक करते है।

इस कारण दिवालिया होने की स्थिति में निवेशक भी ऐसा ही करेंगे, वह अधिक- से-अधिक लाभ कमाना चाहेंगे।

हो सकता है कि इस स्थिति में निवेशको द्वारा किया गया निवेश सामान्य स्थिति में निवेशको द्वारा किए गये निवेश से कम और उनके द्वारा ली गई हिस्सेदारी सामान्य निवेश से मिलने वाली हिस्सेदारी से कही अधिक हो।

इस तरह कम्पनी का संस्थापक उसका मालिक ना होकर एक कर्मचारी ही बनकर रह जाए और कम्पनी के लिए उसे कर्मचारी बनकर ही कार्य करना पड़े।

तो अगर आप दिवालिया होने की स्थिति में है तो सीधे और पहले ही कदम या फैसले में निवेशको के पास ना जाए।

उससे पहले अपने रिश्तेदारों, दोस्तों या बैंक से कर्ज लेने की कोशिश करे।

इनके द्वारा दिए गये कर्ज की ब्याज दर कम होती है, इससे आपकी कम्पनी में हिस्सेदारी बनी रहेगी और निवेश की आवश्यकता भी पूरी हो जाएगी।

इन तीनो में से भी सबसे पहले रिश्तेदारो के पास जाए, उसके बाद दोस्तों के पास जाए और अंत में बैंक के पास जाए। इससे लगने वाली ब्याज दर कम-से-कम होगी।

7. Fire Your Employees Legally

किसी भी कम्पनी के कर्मचारी उसके लाभ या निवेशको द्वारा किए गए निवेश का एक बड़ा हिस्सा वेतन के रुप में लेते है।

दिवालिया होने की स्थिति में कम्पनी को ना सिर्फ नए निवेशको से निवेश या रिश्तेदार, दोस्तों और बैंक से लोन की जरुरत होनी है बल्कि होने वाले खर्चो को कम करने की भी आवश्यकता होती है।

इसलिए इस स्थिति में कर्मचारियों को अपने पद से हटाना और दिए जाने वाले वेतन की बचत करना एक अच्छा और लाभकारी फैसला हो सकता है।

कर्मचारियों को अपने पद से हटाते समय दिवालिया होने की स्थिति में उनके पद, किए जाने वाले कार्य या उनकी आवश्यकता को ध्यान में रखना चाहिए।

ऐसा ना हो कि जरुरत के कर्मचारियों को अपने पद से हटा दिया जाए और जिनकी जरुरत नही है उन्हें ना हटाया जाए।

इसके लिए दिवालिया होने की स्थिति से बाहर लाने में योगदान देने वाले कर्मचारियों को ना हटाया जाए और जो कर्मचारी अतिरिक्त या अधिक लाभ कमाने में योगदान देते है उन्हें हटाया जाए।

लेकिन अतिरिक्त कर्मचारियों को अपने पद से हटाते समय उससे सम्बंधित कानून के नियम या किसी कर्मचारी को हटाने के नियमों का पालन किया जाना चाहिए।

उन्होने भी कम्पनी को बनाने में योगदान दिया है, वह अपने पद के अनुसार कार्यो का पालन करते है इसलिए नियमों का ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है।

8. Request For Extension Of Time

दिवालिया होने या दिवालिया स्थिति में होने का मुख्य कारण लेनदारों द्वारा दिए गए कर्ज को ना चुका पाना होता है।

यह लेनदार निवेशक, बैंक, दोस्त या रिश्तेदारो के रुप में हो सकते है। जिनके द्वारा दिए गये कर्ज का भूगतान करना होता है।

इनके द्वारा एक निश्चित समय अवधि में कर्ज का भूगतान करने सौदा हुआ होता है।

अगर इस समय अवधि को बढ़ा दिया जाए तो कम्पनी इस समय अंतराल में चुकाये जाने वाले कर्ज का भूगतान करने के विकल्प खोज सकती हैं।

जैसे कि कम समय अंतराल में पाए जाने वाले लक्ष्यों को निर्धारित कर के उनमें सफलता पाई जा सकती है, इनोवेशन पर ध्यान दिया जा सकता है, उत्पाद में नई विशेषताओं को जोड़ा जा सकता है, अधिक लाभ कमाया जा सकता है, नए निवेशको को आकर्षित किया जा सकता है या कम ब्याज दर पर नए कर्ज लिये जा सकते है।

इसलिए लेनदारो द्वारा दिए गए कर्ज का भूगतान करने की समय अवधि को बढ़ाने की मांग करना एक लाभकारी कदम हो सकता है।

इस समय अवधि में कई कार्यो को पूरा किया जा सकता है।

9. Think About Debt Settlement

कर्ज का समझौता देनदार और लेनदार के बीच हुई लिखित या मौखिक सौदेबाजी हो सकती है।

इसके कोई विशेष नियम नही है लेकिन यह कर्ज चुकाने वाले की अपेक्षा कर्ज देने वाले की शर्तों पर अधिक निर्भर करता है।

कर्ज के समझौते में कर्ज देने वाले पर इंसानियत या माफ करने जैसे पहलुओं सामने आते है।

इसमें अगर कोई इंसान या संस्था अथवा संस्थापक या कम्पनी सारा कर्ज चुकाने की हालत में नही है तो अधिक से अधिक कर्ज का भूगतान करने जैसे समझौते पर बल दिया जाता है, हालांकि यह पूरी तरह से कर्ज देने वाले पर निर्भर करता है कि वह कितना कर्ज माफ कर सकता है।

तो कम्पनी के पास यह भी एक रास्ता है।

10. Know Your Rights

संवैधानिक कानून या लोकतांत्रिक देशो में अपराध करने वाले इंसान के भी अपने अधिकार होते है।

अपराध स्वीकार करने से सम्बंधित कोई भी बयान जिसे मजबूरन दिया गया हो उन्हें अदालत या कानून के सामने सही नही माना जाता है।

अपराधी होते हुए भी किसी इंसान को चुप रहने का अधिकार होता है या वह ऐसी बातचीत या पूछताच के समय चुप रह सकता है जिसका उपयोग उसे अपराधी सिद्ध करने में किया जा सके।

दिवालियापन कोई अपराध नही है।

दिवालियापन बस इतना है कि आपने कुछ नया करने की कोशिश की, लेकिन उसे कुछ ही समय तक संचालित कर पाए और संतुलन बिगड़ने के कारण असफल हो गये।

लेकिन दिवालिया होने पर लोग अपनी असफलता को ऐसे आंकने लगते है या इंटरनेट और समाचार में उन्हें ऐसे दिखाया जाता है जैसे कि वह कोई अपराधी हो।

अलग-अलग माध्यमों के द्वारा लोगो, नए व्यापारियों, व्यापार करने की सोचने वालो, विद्यार्थियों या बच्चों में उद्यमिता की असफलता के प्रति इतना डर फैलाया गया तो वह उद्यमी कैसे बन पाएंगे?

लोगो की यह सोच बदलेगी अगर दिवालिया होने पर किसी इंसान की अपने आप को देखने की प्रवृत्ति बदलेगी और यह तब होगा जब वह अपने अधिकारों को जानेगा।

दिवालिया होना कोई अपराध नही है लेकिन अगर लोग आपको अपराधी की तरह देखते है तो आपको अपने अधिकारो के लिए लड़ना होगा।

11. Listen To Team Members Ideas

दिवालिया होने की स्थिति कम्पनी के कुछ कर्मचारियों की गलतियों के कारण आ सकती है, यह संस्थापक या सीईओ की गलती के कारण भी आ सकती है।

जो भी हो लेकिन दिवालिया होने के स्थिति से बाहर आने की रणनीति अगर वही लोग बनाएंगे जिनके कारण ऐसी स्थिति आई है तो हो सकता है कि वह रणनीति असफल भी हो जाए।

जब एक सामान्य इंसान चाहे वह व्यापारी ना भी हो अगर वह एक गलती करता है तो उस गलती से शिक्षा लेने और भविष्य में वह गलती ना दोहराने के साथ ही उसे सही मार्गदर्शन की भी आवश्यकता होती है।

यह मार्गदर्शन किसी नए इंसान के विचार या गलती करने वाले इंसान की अपनी रणनीति हो सकती है।

इस तरह अगर दिवालिया होने की स्थिति से बाहर आने की जिम्मेदारी भी उन्ही लोगो को दी गई जिनकी वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है तो वह इस गलती से शिक्षा ले सकते है, अपनी रणनीति बना सकते है लेकिन अगर उन्हें उस स्थिति में मार्गदर्शन की अधिक आवश्यकता है तो यह आवश्यकता वह स्वयं पूरी नही कर सकते है।

इसलिए ऐसी स्थिति में कम्पनी में कार्यरत सभी कर्मचारियों के विचार, उनकी रणनीति या उनके सुझावो को सुनना और उन पर ध्यान देना दिवालिया होने की स्थिति से बाहर आने की आवश्यकता को पूरा कर सकता है।

हो सकता है कि उनके आइडिया काम आ सके या वह पहले जहां कार्य करते थे वहां उन्होंने ऐसी स्थिति देखी थी तो उनके अनुभव भी काम आ सकते है।

इस स्थिति में कम्पनी में कार्यरत कर्मचारियों के अलावा कम्पनी के बाहर के लोगो से भी मार्गदर्शन लिया जा सकता है, ऐसी कम्पनी का विश्लेषण किया जा सकता है जो इस तरह की स्थिति से गुजर चुकी हो।

इसमें दर्शनशास्त्र की सहायता भी ली जा सकती है जो बताता है कि यही जीवन है, सफलता और असफलता एक-दूसरे के बाद आने वाले पहलु है दिन और रात की तरह या फिर धार्मिक कहानियों की तरह जिसमें धर्म पर चलने वाले लोगो को भी कई बार कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

12. Sell Assets

कम्पनी के पास संस्थापक की नीजी संपत्ति के अलावा कम्पनी के मटेरियल एसेट भी होते है जिन्हें बेचा जा सकता है।

दिवालिया होने की स्थिति से बाहर आने के लिए एक ही फैसला या एक ही कार्य नही करना होता है।

अगर कोई यह सोच रहा है कि वह बस निवेशको से निवेश करवा कर कम्पनी को लाभ तक पहुंचा सकता है और कर्ज का भूगतान कर सकता है या सिर्फ इनोवेशन पर ध्यान देकर सबसे बेहतर उत्पाद बना सकता है जिन्हें ग्राहक जल्दी से खरीद सकते है या किसी कर्मचारी के द्वारा दिया गया सुझाव बहुत ही सफल हो सकता है तो वह गलत है।

कम्पनी को अगर हानि हुई है तो वह एक गलती के कारण हो सकती है लेकिन अगर वह दिवालिया होने की स्थिति में है तो इसके पीछे कई सारी गलतियां हो सकती है इसलिए इन गलतियों को सुधारने के लिए एक ही तरह का कार्य करना और उसमें सफलता पा लेना पर्याप्त नही है।

दिवालिया होने वाली कम्पनी को बाहर लाने के लिए एक ही समय पर कई कार्यो को पूरा करना होगा और उनमें सफलता पानी होगी।

इसलिए कम्पनी के मटेरियल एसेट की कीमत भले ही कम हो या वह पर्याप्त ना हो फिर भी इन्हें बेचकर कुछ लाभ कमाया जा सकता है, जो इस स्थिति से बाहर आने में एक छोटा ही सही लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

तो अपनी कम्पनी के मटेरियल एसेट को बेचा जा सकता है, ऐसे एसेट जिनकी इस स्थिति में आवश्यकता नही है, जिन्हें बाद में फिर से खरीदा जा सके या जो अतिरिक्त है।

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