Business adaptation (व्यवसायिक अनुकूलन) अपने व्यापार को संचालित करने की रणनीति है।
यह किसी व्यापारी को, स्टार्टअप शुरु करने वालो को, कम्पनी संचालित करने वालो को या कम्पनी चलाने की सोचने वालो को एक आधारशिला प्रदान करती है।
Business adaptation को अनुकूलन के सिध्दांत की एक शाखा माना जा सकता है।
साथ ही यह किसी कम्पनी या व्यापार को संचालित करने के लिए भी बहुत ही उपयोगी है।
इसलिए अपने वर्तमान में व्यापार करने वाले या भविष्य में व्यापार करने की सोचने वालो के लिए इसे समझना बहुत ही लाभदायक, महत्वपूर्ण और जरुरी हो सकता है।
Introduction
Business adaptation या व्यापारिक अनुकूलन का सही अर्थ- कम्पनी से सम्बंधित किसी भी तरह के पहलु, कारक, गुण, विशेषता, बदलाव, कदम, फैसला, लक्ष्य या रणनीति को विश्व के अलग-अलग पहलुओं जैसे- आर्थिक, संवैधानिक, राजनैतिक, सामाजिक, भौगोलिक, प्रशासनिक, नैतिक, वैज्ञानिक या वैश्विक को ध्यान में रखते हुए विकास की ओर जाना है।
आसान शब्दों में समझा जाए तो जैसे अनुकूलन प्रकृति के अलग-अलग रुपो के अनुसार ढलना है वैसे ही business adaptation विश्व के अलग-अलग रुपो के अनुसार ढलना है।

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Image Explain
जिग्सॉ पहेली (jigsaw puzzle) पहेलियों के एक बड़े और प्रचलित रुप टाइल पहेली (tile puzzle) का ही एक रुप है।
क्या है टाइल पहेली?- यह एक प्रकार का मिलान मापदंडो पर आधारित खेल है, जिसमें टाइलो को एक-दूसरे के साथ सबसे सटीक और सही जगह पर रखने के लिए खेला जाता है।
क्या है जिग्सॉ पहेली?- यह टाइल पहेलियों का ही एक रुप है इसलिए इसके नियम टाइल पहेलियों जैसे ही होते है। यह भी टाइलो को एक-दूसरे के साथ सबसे सटीक और सही जगह पर रखने के लिए खेला जाता है।
Relation of Jigsaw Puzzle and Adaptation
जिग्सॉ पहेलियां और अनुकूलन दोनो में ही एक-दूसरे के अनुसार समायोजित (adjust) होना होता है।
जैसे अनुकूलन आस-पास की परिस्थितियों के अनुसार समायोजित होना कहलाता है वैसे ही इस प्रकार के समायोजन का एक रुप जिग्सॉ पहेलियों में भी देखने को मिलता है।
चित्र में दर्शायी गई एक आसान सी जिग्सॉ पहेली के टाइल को एक-दूसरे के अनुसार अनुकूलित होने के नजरियें से देखा जा सकता है।
अगर एक कदम और आगे जाकर देखा जाए तो इसे व्यवसायिक अनुकूलन की नजर से भी देखा जा सकता है।
सूट (suit) पहने हुए व्यक्तियों को व्यापारियों के रुप में समझा जा सकता है।
दो लोगो बीच का, किसी एक व्यक्ति और परिस्थितियों के बीच का या दो परिस्थितियों के बीच का एक-दूसरे के अनुसार अनुकूलन तब उपयोगी होता है जब उसका निष्कर्ष महत्वपूर्ण हो।
जिग्सॉ पहेलियों की टाइलों का एक-दूसरे के अनुसार अनुकूलन तब उपयोगी होता है जब उसका निष्कर्ष महत्वपूर्ण हो।
इसी प्रकार- दो व्यापारियों के बीच का, किसी एक व्यापारी और परिस्थितियों के बीच का या दो व्यापारिक परिस्थितियों के बीच का अनुकूलन तब उपयोगी होता है जब व्यापार का निष्कर्ष महत्वपूर्ण हो।
इसलिए एक व्यापारी को बिना सोचे-समझे किसी के भी साथ अनुकूलन को नही अपनाना चाहिए या हर परिस्थिति के अनुसार ढलने की नही सोचना चाहिए।
अगर किया जाने वाला अनुकूलन उपयोगी ना हो या उसका निष्कर्ष कम्पनी के लिए लाभदायक नही है तो उसका कोई महत्व नही है।
What is Adaptation
नए या पुराने व्यापारियों को व्यापार या business adaptation को समझने से पहले अनुकूलन (adaptation) को व्यक्तिगत रुप से (individually) और अनुकूलन के सबसे पहले या आधारभूत रुप को समझना चाहिए।
परिभाषा– ‘‘किसी तरह के वातावरण या परिस्थिति के अनुसार ढलना या अपने आपको ढालने की प्रक्रिया अनुकूलन कहलाती है।’’
Adaptation in Business
माना जाता है कि एक व्यापारी पूरी तरह से स्वतंत्र होता है और उस पर किसी तरह के नियम लागू नही होते है, वह जैसा चाहे वैसा व्यवहार कर सकता है।
व्यापार करने की सलाह देने वाले लोग कहते रहते है कि- 9 से 5 तक किसी दूसरे के लिए काम करने से बेहतर है कि अपने लिए काम किया जाए, व्यापार शुरु किया जाए।
व्यापारी का जीवन और व्यापार की Expectations vs Reality
लेकिन एक व्यापारी कभी भी पूरी तरह से स्वंत्र नही होता है और उस पर कई तरह के नियम लागू होते है, वह जैसा चाहे वैसा व्यवहार नही कर सकता है।
व्यापारी हमेशा अपने ग्राहको के लिए कार्य करता रहता है। जैसे-
- अगर आपका व्यापार अपने देश के किसी एक राज्य तक सीमित है तो आपको अपने देश के सामान्य व्यापारिक नियम और उस राज्य के कुछ विशेष व्यापारिक नियमों का पालन करना होगा।
- अगर आपका व्यापार अपने देश के दूसरे राज्यों तक भी फैला हुआ है तो आपको अपने देश के सामान्य और उन दूसरे राज्यों के व्यापार पर लागू होने वाले कुछ विशेष नियमों का पालन करना होगा।
- अगर आपका व्यापार दूसरे देशों में भी फैला हुआ है तो आपको अपने देश के साथ ही उन दूसरे देशों के व्यापारिक नियमों का पालन भी करना होगा।
- इसी तरह अगर आपका व्यापार अंतरिक्ष (space) तक फैला हुआ है तो आपको अपने देश के साथ ही अंतरिक्ष के नियमों का पालन भी करना होगा।
अगर आप इन नियमों का पालन नही करते है तो आपका व्यापार गैर-कानूनी कहलाया जाएगा और कानून की तरफ से आप या आपकी कम्पनी पर कभी भी सरकार या उसकी संस्थाओं के अनुसार कार्यवाही हो सकती है।
Business Law: व्यवसायिक कानून जिनका पालन करना अनिर्वाय हैं
रही बात अंतरिक्ष व्यापार की तो वहा पर आपके व्यापार को नुकसान पहुंचाने के लिए भौतिकी (physics) के नियम ही पर्याप्त है।
तो, क्या इतने नियमों या संवैधानिक (constitutional) नियमों का पालन करने के बाद भी क्या यह कहा जा सकता है कि एक व्यापारी पर किसी तरह के नियम लागू नही होते है?
यह नियम संवैधानिक होते है।
इसका मतलब यह सिर्फ व्यापार, व्यापारी या किसी कम्पनी पर सरकार या कानून की तरफ से लागू होते है।
आपको व्यापार करते हुए बहुत से और भी नियमों का पालन करना होता है। जैसे-
- किसी कम्पनी को अपना उत्पाद बनाने और उसे बाजार में लाने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है।
- उत्पाद ग्राहको के उपयोग के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होना चाहिए, साथ ही कम्पनी के द्वारा दी जाने वाली गारंटी (guarantee) या वारंटी (warranty) की तयसीमा भी ग्राहको को संतुष्ट करनी चाहिए।
- कम्पनी द्वारा कमाए जाने वाले लाभ का ब्यौरा (details) भी सरकार या उसकी किसी संस्था के द्वारा मांगे जाने पर देना पड़ सकता है।
- कम्पनी के आयकर (income tax) की जानकारी और तयसीमा के अंदर आयकर भरने के नियमों का पालन भी करना होता है।
- अगर कम्पनी में संस्थापक के अलावा भी दूसरे हिस्सेदार है तो उनको हिस्सेदारी देने समय कई लिखित दस्तावेजो को स्पष्ट करना होता है और अगर कम्पनी में नए निवेशको द्वारा निवेश करवाया जा रहा है तो उनकी हिस्सेदारी से सम्बंधित दस्तावेज भी स्पष्ट होना चाहिए।
अनुकूलन को सिर्फ सरकार या संवैधानिक नियमों का पालन करने के लिए नही अपनाया जाता है बल्कि इसे विकसित (evolve) होने के लिए भी अपनाया जाता है। विकास के सिध्दांत (evolution theory) की सबसे बड़ी विशेषता अनुकूलन ही है।
Evolution of Business: विकास के सिद्धांत का एक अनोखा सफ़र
व्यापार के लक्ष्यों का तय और परिभाषित होना जरुरी है ताकि उन्हें हासिल किया जा सके लेकिन इसकी सीमा भी तय और परिभाषित होनी चहिए कि उन्हें किस सीमा तक हासिल किया जा सकता है?
अगर इनकी सीमा का पता ना हो तो इनको पाने के बाद भी यह पहुंच से बाहर ही नज़र आएंगे और एक व्यापारी अपने-आप को हमेशा असफल ही मानता रहेगा। जैसे-
- एक ही उत्पाद में दुनिया के सभी उत्पादो के गुण नही डाले जा सकते है।
- 8 अरब की जनसंख्या में सभी को अपना ग्राहक नही बनाया जा सकता है।
- एक ही कम्पनी को दुनिया का सारा लाभ नही मिल सकता है।
ऊपर दिए गए 3 बिन्दुओं के कारण आपको नीचे दिए गए 3 बिन्दुओं को स्वीकार करना होगा-
- अगर ऐसा उत्पाद बना लिया जाए जो दुनिया के सभी उत्पादो का कार्य कर सके तो उसकी कीमत भी दुनिया से सभी उत्पादो के बराबर होगी और लगने वाली लागत भी दुनिया के सभी उत्पादो के बराबर होगी, इसलिए आपको अपने उत्पाद के गुण और वह क्या कार्य करेगा यह तय करना होता है।
- 8 अरब की की जनसंख्या में सभी को अपना ग्राहक नही बनाया जा सकता है इसलिए अपने ग्राहको का चुनाव करना पड़ता है। हो सकता है कि आपके ग्राहक अपने ही देश में हो या वह किसी विशेष उम्र के हो।
- अगर कोई एक कम्पनी अपने उत्पाद में दुनिया के सभी उत्पादो के गुण नही डाल सकती है और उसे ग्राहको का चुनाव करना है तो उसे दुनिया की सारी कम्पनियों का लाभ भी नही मिल सकता है। साथ ही कम्पनी के विकास के लिए निवेश की जरुरत होती है, ऐसी स्थिति में यह भी संभव है कि निवेशको से निवेश लाते-लाते अपनी कम्पनी के लाभ में आपकी हिस्सेदारी कम ही रह जाए।
इसके साथ ही कम्पनी को बहुत से आंतरिक और बाहरी पहलु प्रभावित करते है, आतंरिक पहलु जैसे- संस्थापक का निजी जीवन, संस्थापक और सह-संस्थापक के बीच का सम्बंध, उच्च अधिकारियों का एक-दूसरे के साथ सम्बंध, कम्पनी का लगातार घाटे में चलना, कर्मचारियों की अपने काम के प्रति उदासिनता, लगातार घटते एसेट (asset) और बाहरी पहलु जैसे- कम्पनी की जगह, व्यापारिक कानून, राजनीतिक उथल-पुथल, समाचार, झूठी खबरे, वैश्विकरण, प्रतियोगी, नए अविष्कार, बाजार, शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था।
How to Adapt Business Adaptation
संस्थापक होने या कम्पनी का मालिक होने के बाद भी आपके नियंत्रण में बहुत कुछ नही है।
लेकिन अगर आप सही रणनीति के साथ आगे बढ़ते है तो बहुत से पहलुओं को बहुत सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है।
Business adaptation के चार स्तर है-
Awareness- इसका मतलब है जागरुकता।
इसे दो भागो में विभाजित करके समझ सकते है- आंतरिक जागरुकता (internal awareness) और बाहरी जागरुकता (external awareness).
आंतरिक जागरुकता का सम्बंध आत्म जागरुकता से है या यह कहा जा सकता है कि आंतरिक जागरुकता, आत्म जागरुकता ही है।
बाहरी जागरुकता पर आज भी ऐसा कोई सिध्दांत नही दिया जा सका है जिससे कि हम बाहरी परिस्थितियों को पूरी तरह से समझ सके।
लेकिन यह situational awareness के सबसे ज्यादा नजदीक है।
दुनिया में होने वाली सारी घटनाओं और सारी परिस्थितियों से जागरुक नही हुआ जा सकता है लेकिन हम जहा है, जिस परिस्थिति में है उसमें जागरुक हुआ जा सकता है।
इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि बाहरी जागरुकता, situational awareness ही है।
Situational awareness एक तरह की बुध्दिमत्ता (intelligence) है।
व्यवसायिक अनुकूलन में कम्पनी से सम्बंधित हर पहलु की situational awareness होनी चाहिए। चाहे वह कम्पनी के अंदर हो या बाहर, चाहे उस पर हमारा नियंत्रण हो या ना हो।
हो सकता है कि उस पर किसी हद तक नियंत्रण हो। लेकिन अगर जागरुकता होगी ही नही तो उसे नियंत्रित भी नही किया जा सकता है।
इसलिए बाहरी जागरुकता होना चाहिए और इसी से-
Limitations- तक पहुंचा जा सकता है।
जागरुकता (awareness) के बाद संस्थापक और उच्च अधिकारियों को यह सोचना चाहिए कि इसे नियंत्रित करने की सीमाएं क्या है?
अगर आंतरिक रिश्ते व्यापार पर नकारात्मक असर डाल रहे है, अगर कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियां नही निभा रहे है, प्रतियोगी चुनौती बनते जा रहे है या कम्पनी के बारे में झूठी खबरे फैलाई जा रही है, तो यह तय करना चाहिए कि इन्हें नियंत्रित करने की सीमाएं क्या है?
अपनी सीमाओं को जानकर ही इन्हें-
Control- किया जा सकता है। जैसे-
आंतरिक रिश्तों को सुधारा जा सकता है, कर्मचारियों से काम करवाया जा सकता है, प्रतियोगी के सामने चुनौती बना जा सकता है या कम्पनी के बारे में झूठी खबरे फैलाई जा रही है तो उन्हें झूठी साबित किया जा सकता है।
नई कम्पनियां कमजोर होती है लेकिन वह सफल होती जाती है तो मजबूत होती जाती है और कम्पनी का नियंत्रण बढ़ते जाता है, इसलिए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि सीमाओं की सीमाएं भी घटते-बढ़ते रहती है।
इस तरह बहुत कुछ या बहुत सारे पहलु नियंत्रण के बाहर भी होते है, जैसे- व्यापारिक कानून, राजनीतिक उथल-पुथल, वैश्विकरण, नए अविष्कार, बाजार, शेयर बाजार या अर्थव्यवस्था।
ये वह पहलु है जो कम्पनी के नियंत्रण से बाहर होते है।
ऐसी स्थिति में एक अच्छा व्यापारी हमेशा कम्पनी को-
Adaptation- की ओर ले जाता है।
वह व्यापारिक कानूनो को नियंत्रित नही करता, वह इनमें ढलने की कोशिश करता है, वह राजनीतिक उथल-पुथल से कम्पनी को सुरक्षित करने की सोचता है, वह वैश्विकरण को अपनाता है और शेयर बाजार या अर्थव्यवस्था के प्रति सकारात्मक होता है।
नियंत्रण ना की जा सकने वाली परिस्थिति या पहलुओ को स्वीकार कर लेना और उनमे ढलने की कोशिश करना, उन पर नियंत्रण पा लेने के बराबर है।
Conclusion
अगर मानव सभ्यता अनुकूलन को अपनाकर विकास कर सकती है तो एक व्यापारी भी business adaptation को अपनाकर कम्पनी का विकास कर सकता है।
जिस तरह अनुकूलन विकास के साथ चलने वाली प्रक्रिया है और यह दोनो एक-दूसरे को सकारात्मक रुप से प्रभावित करते है उसी तरह business adaptation और कम्पनी का विकास भी साथ चलने वाली प्रक्रिया है, यह भी एक-दूसरे को सकारात्मक रुप से प्रभावित करते है।
किसी पहलु की awareness से उसकी limitations का पता चलता है, limitations का पता होने से किसी पहलु को control किया जा सकता है या नही यह जानकारी मिलती है, इस तरह अगर उसे control किया जा सकता है तो जरुर करना चाहिए, लेकिन अगर उसे control नही किया जा सकता है तो उसे स्वीकार कर लेना ही सबसे बेहतर रास्ता है।
इसी को adaptation माना जा सकता है और अगर इसे व्यापार की नजर से देखा जाए तो यही business adaptation को अपनाने का सबसे बेहतर रास्ता है।