BCG मैट्रिक्स इन स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट और उसके 4 भाग

BCG मैट्रिक्स

रणनीतिक प्रबंधन (Strategic Management) का मुख्य उद्देश्य किसी भी संगठन को दीर्घकालिक सफलता की ओर ले जाना है। इसके लिए कंपनियाँ विभिन्न उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करती हैं। इन्हीं में से एक प्रसिद्ध उपकरण है BCG मैट्रिक्स (Boston Consulting Group Matrix)। इसे Growth-Share Matrix भी कहा जाता है। यह मैट्रिक्स किसी कंपनी के उत्पादों या व्यवसाय इकाइयों के पोर्टफोलियो का विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है।

BCG मैट्रिक्स की मदद से प्रबंधक यह तय कर पाते हैं कि किस उत्पाद में अधिक निवेश करना चाहिए, किसे बनाए रखना चाहिए और किसे धीरे-धीरे बाज़ार से हटाना चाहिए।

BCG मैट्रिक्स की परिभाषा

BCG मैट्रिक्स एक ऐसा उपकरण है जो किसी कंपनी के उत्पादों या व्यवसाय इकाइयों को दो महत्वपूर्ण आयामों पर आधारित करके चार भागों में बाँटता है:

  1. मार्केट ग्रोथ रेट (Market Growth Rate) – यह दर्शाता है कि संबंधित उद्योग या बाज़ार कितनी तेजी से बढ़ रहा है।

  2. रिलेटिव मार्केट शेयर (Relative Market Share) – यह बताता है कि कंपनी का उत्पाद अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कितना बड़ा हिस्सा रखता है।

इन दोनों आयामों के आधार पर BCG मैट्रिक्स को चार खानों में बाँटा गया है:

  1. स्टार्स (Stars)

  2. क्वेश्चन मार्क्स (Question Marks)

  3. कैश काउ (Cash Cows)

  4. डॉग्स (Dogs)

BCG मैट्रिक्स के चार भाग

1. स्टार्स (Stars)

  • विशेषताएँ:

    • उच्च मार्केट शेयर

    • उच्च मार्केट ग्रोथ

  • ये उत्पाद या व्यवसाय तेजी से बढ़ते हुए बाज़ार में अग्रणी स्थान पर होते हैं।

  • इन्हें बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होती है।

  • भविष्य में ये कैश काउ बन सकते हैं।

उदाहरण:
मोबाइल टेक्नोलॉजी में Apple का iPhone, जो लगातार बढ़ते हुए स्मार्टफोन मार्केट में अग्रणी है।

2. क्वेश्चन मार्क्स (Question Marks)

  • विशेषताएँ:

    • कम मार्केट शेयर

    • उच्च मार्केट ग्रोथ

  • ये ऐसे उत्पाद होते हैं जिनमें विकास की संभावनाएँ होती हैं, लेकिन अभी तक कंपनी इनसे बड़ा लाभ नहीं कमा रही होती।

  • इन पर निर्णय लेना पड़ता है कि क्या इनमें अधिक निवेश करके इन्हें स्टार बनाया जाए या इनसे बाहर निकल जाए।

उदाहरण:
इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में नए प्रवेश करने वाले ब्रांड्स, जिन्हें अभी मार्केट शेयर हासिल करने की चुनौती है।

3. कैश काउ (Cash Cows)

  • विशेषताएँ:

    • उच्च मार्केट शेयर

    • कम मार्केट ग्रोथ

  • ये उत्पाद परिपक्व (Mature) मार्केट में होते हैं और लगातार कंपनी के लिए नकदी (Cash Flow) उत्पन्न करते हैं।

  • इन पर बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन ये कंपनी को स्थिर आय प्रदान करते हैं।

उदाहरण:
Microsoft का Windows ऑपरेटिंग सिस्टम, जो स्थिर और परिपक्व बाज़ार में कंपनी के लिए नकदी का स्रोत है।

4. डॉग्स (Dogs)

  • विशेषताएँ:

    • कम मार्केट शेयर

    • कम मार्केट ग्रोथ

  • ये उत्पाद न तो कंपनी के लिए बड़ा मुनाफ़ा लाते हैं और न ही विकास की संभावनाएँ रखते हैं।

  • सामान्यतः कंपनियाँ इन्हें धीरे-धीरे समाप्त करने या बेचने का निर्णय लेती हैं।

उदाहरण:
पुराने मॉडल के फीचर फोन, जिनकी मांग अब बहुत कम है।

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BCG मैट्रिक्स का उद्देश्य

  1. संसाधनों का उचित आवंटन (Resource Allocation): यह तय करने में मदद करता है कि किन व्यवसायों में निवेश बढ़ाना चाहिए और किनसे बाहर निकलना चाहिए।

  2. रणनीतिक योजना (Strategic Planning): भविष्य के लिए कंपनी की रणनीतियाँ बनाने में सहायक।

  3. जोखिम और अवसर का मूल्यांकन: यह बताता है कि कंपनी किन क्षेत्रों में जोखिम उठा सकती है और कहाँ स्थिर लाभ कमा सकती है।

  4. पोर्टफोलियो संतुलन (Portfolio Balance): कंपनी के पास विभिन्न प्रकार के उत्पाद होने चाहिए ताकि जोखिम कम हो और स्थिरता बनी रहे।

BCG मैट्रिक्स की रणनीतियाँ

BCG मैट्रिक्स में हर श्रेणी के लिए अलग रणनीति अपनाई जाती है:

स्टार्स (Stars):

  • निवेश बढ़ाना

  • प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बने रहना

  • नए अवसरों को पकड़ना

क्वेश्चन मार्क्स (Question Marks):

  • सावधानीपूर्वक निवेश

  • यदि उत्पाद सफल हो तो उसे स्टार में बदलना

  • असफल होने पर बाहर निकलना

कैश काउ (Cash Cows):

  • कम निवेश

  • अधिक से अधिक नकदी निकालना

  • उस नकदी का उपयोग अन्य उत्पादों में करना

डॉग्स (Dogs):

  • निवेश कम करना या बंद करना

  • उत्पाद को धीरे-धीरे समाप्त करना

  • संसाधनों को अन्य जगह उपयोग करना

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BCG मैट्रिक्स के लाभ

  1. सरल और समझने में आसान: यह मैट्रिक्स जटिल व्यावसायिक परिस्थितियों को सरल रूप में समझने में मदद करता है।

  2. निर्णय लेने में सहायक: प्रबंधक आसानी से तय कर पाते हैं कि किस उत्पाद में निवेश करना है।

  3. दीर्घकालिक योजना: कंपनी भविष्य के लिए स्थायी रणनीति बना सकती है।

  4. संतुलन बनाए रखना: यह बताता है कि कंपनी को अपने पोर्टफोलियो में स्टार्स, कैश काउ, क्वेश्चन मार्क्स और डॉग्स का संतुलन बनाए रखना चाहिए।

BCG मैट्रिक्स की सीमाएँ

  1. केवल दो आयामों पर आधारित: यह सिर्फ मार्केट शेयर और मार्केट ग्रोथ को मानता है, अन्य कारकों जैसे प्रतिस्पर्धा, तकनीकी बदलाव आदि को शामिल नहीं करता।

  2. स्थिर दृष्टिकोण: यह मानता है कि बाज़ार की स्थिति स्थिर है, जबकि वास्तविकता में बाज़ार लगातार बदलते रहते हैं।

  3. गलत वर्गीकरण की संभावना: कई बार उत्पादों को गलत श्रेणी में रख दिया जाता है।

  4. अल्पकालिक दृष्टि: यह अधिकतर वर्तमान स्थिति पर केंद्रित होता है, दीर्घकालिक नवाचार को नज़रअंदाज़ कर सकता है।

निष्कर्ष

BCG मैट्रिक्स रणनीतिक प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो कंपनियों को अपने उत्पादों और व्यवसाय इकाइयों का मूल्यांकन करने में मदद करता है। यह संसाधनों का सही आवंटन सुनिश्चित करता है और यह तय करने में सहायता करता है कि भविष्य में किन उत्पादों पर ध्यान देना चाहिए।

हालाँकि इसमें कुछ सीमाएँ हैं, फिर भी यह कंपनियों के लिए उपयोगी है क्योंकि यह उन्हें प्रतिस्पर्धा में बने रहने और स्थायी विकास की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।

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