28 Business Mistakes: यह गलतियां बहुत महंगी पड़ती हैं

business mistakes

Designed by Freepik

वैज्ञानिको द्वारा खोजे गए साधनो और सुविधाओं ने मानव सभ्यता को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

वैज्ञानिक चाहे किसी भी क्षेत्र के हो जैसे भौतिकी के हो, जीव विज्ञान के हो, कृषि से सम्बंधित हो या फिर इंटरनेट से सम्बंधित हो।

सभी क्षेत्रो की खोजो के कारण ही हम आज यहां तक पहुंचे है लेकिन साधनों और सुविधाओं को सामान्य जन तक पहुंचाने और उनके लिए उपलब्ध कराने का कार्य कम्पनियों ने किया है, उद्यमिता ने किया है और व्यापारियों ने किया है।

आस-पास के साधनों या सुविधाओं के उपलब्ध होने की यात्रा पर ध्यान दिया जाए तो यह पता चलता है कि यह व्यापारियों के बिना मुमकिन नही हो पाता।

अगर उपलब्ध कराने की ताकत किसी दूसरे क्षेत्र के लोगो के पास होती तो ये साधन कभी भी सामान्य जन तक नही पहुंच पाते।

जैसे इंटरनेट को उपलब्ध कराने या ना कराने की ताकत अगर राजनेताओं के पास होती तो यह लोग कभी भी इस सुविधा को सामान्य लोगो तक नही पहुंचने देते या फिर बहुत ही अधिक कीमत पर पहुंचने देते।

ऐसा क्या है जो व्यापारियों को बाकी सभी प्रोफेशन्स के लोगो से अलग करता है? ऐसा क्या है जिसके बल पर वह वहां भी अपना उत्पाद पहुंचा देते है जहां सड़के तक नही है?

मानव सभ्यता को आधुनिक सिर्फ और सिर्फ कम्पनियों ने ही बनाया है।

अगर कम्पनियां नही होती तो सरकार चाहे कितनी भी समझदार और ईमानदार क्‍यों ना हो, वह देश का विकास नही कर सकती है।

मानव सभ्यता को आधुनिक कहा जाता है क्योंकि व्यापारियों ने जोखिम उठाया है, उन्होंने नएपन को अपनाया है, अपने उत्पाद को सामान्य जन तक पहुंचाने के कदम उठाए है।

कम्पनियां ही है जो किसी खोजे गए उत्पाद, खोज या तकनीक को सामान्य जनता तक पहुंचाने का कार्य करती है।

नई खोज करना अलग बात है लेकिन उस खोज को सामान्य लोगो तक पहुंचाने के रास्ते खोजना, नई खोज करने के ही समान है।

दूसरी तरफ व्यापार को सफल बनाने के लिए यह भी ध्यान रखना होता है कि व्यापार में किसी तरह की गलतियां (business mistakes) ना हो।

व्यापार में अगर गलतियां होगी तो इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

इसमें बहुत बड़ी मात्रा में निवेश लगा हुआ होता है, उत्पाद बनाने और उसे ग्राहको तक पहुंचाने में कम्पनी के सभी कर्मचारियों की मेहनत होती है और इसमें बहुत अधिक समय भी लगता है।

लेकिन जब आप नएपन की ओर जाते है तो गलतियां होना स्वाभाविक है, अगर आप नए आइडिया को बाजार में लाना चाहते है तो इसमें बहुत सारी गलतियां होगी।

इससे कम्पनी का नुकसान होगा और हो सकता है कि कम्पनी इससे कभी उभर ही ना पाए।

नएपन और गलतियों के इसी आधार पर Peter Thiel की किताब “जीरो टू वन” आधारित है और इसमें नएपन और गलतियों के अलावा भी बहुत सी ऐसी बाते है जिनकी जानकारी एक व्यापारी या व्यापार करने की सोचने वालो को होनी चाहिए।

नयापन और गलतियां एक-दूसरे के साथ चलने वाले पहलु है, लेकिन व्यापार में गलतियां बहुत ही महंगी पड़ती है। तो इसको हल करने का एक उपाय यह है कि नएपन को एक सीमित स्तर तक ही अमल में लाया जाए। जिससे कि अगर गलतियां होगी भी तो उनकी कीमत चुकाई जा सके या उनसे सीख लेकर आगे बढ़ा जा सके।

इसके लिए कुछ बिन्दुओं को ध्यान में रखना होगा-

  • अपने आइडिया से सम्बंधित अन्य कम्पनियों के बारे में जानकारी ली जाए और ध्यान दिया जाए कि उन्होंने उस नए आइडिया को अमल में लाते समय क्या गलतियां की थी? और उन गलतियों से कैसे बचा जा सकता है?

आपके अंदर ही हैं Business Idea, जाने उस Idea को कैसे पहचाने?

  • व्यापार के क्षेत्र में सेल्फ अवेयर होने तक इसे शुरु ना किया जाए। अगर सेल्फ अवेयरनेस ही नही है तो आप ऐसे क्षेत्र में जा रहे हो जहां आप खुद को नही जानते हो, जहां आप अपनी कमीयों और खुबियों से अनजान हो।

व्‍यापार करने के लिए आत्‍म जागरुकता का होना क्‍यू जरुरी हैं?

  • सिर्फ व्यापार को ही जीवन का लक्ष्य ना माना जाए। इसे अपने जीवन के लक्ष्यों में से एक माना जाए। क्योंकि अगर व्यापार में बड़ी गलतियां हुई या किसी कारण से इसे बन्द करना पड़ा तो सिर्फ व्यापार को ही जीवन मानने वाला इंसान अपने जीवन को ही व्यर्थ समझने लगेगा। इसलिए व्यापार के कुछ हद तक सफल होने तक जीवन से सम्बंधित अन्य पहलुओं पर भी नियमित रुप से ध्यान दिया जाए।

Work Life Balance: व्‍यवसायिक और व्‍यक्तिगत जीवन का संतुलन

  • अपनी कम्पनी को दुनिया की सबसे बेहतर कम्पनी या अपने क्षेत्र की सबसे बेहतर कम्पनी बनाने का सपना ना देखा जाए, सबसे पहले अपने आइडिया को अमल में लाने के लिए कार्य किए जाए और सही उत्पाद बनाने पर ध्यान दिया जाए।

8 Steps of Product Development: उत्‍पाद विकसित करने के चरण

  • परफेक्शन एक तरह का भ्रम है। अपने उत्पाद को सबसे बेहतर बनाने पर जरुर कार्य करना चाहिए लेकिन इसे एक ही बार में सबसे परफेक्ट बनाने के लिए कई सालो तक कार्य करने की नही सोचना चाहिए और ना ही कई सालो तक अकेले में ऐसे उत्पाद को बनाने का कार्य करना चाहिए।

Product Management: उत्‍पाद प्रबंधन की सम्‍पूर्ण जानकारी

  • अपने उत्पाद का उत्पादन बहुत बड़ी मात्रा में ना किया जाए। पहले इसका उत्पादन कम और सीमित मात्रा में ही किया जाए और इसे ग्राहको तक पहुंचाने के कार्य को पूरा किया जाए।
  • अपने देश या दुनिया के सभी लोगो को अपने ग्राहको की तरह ना देखा जाए। अगर आप सभी को ग्राहक मानेंगे तो उत्पादन भी बड़ी मात्रा में करेंगे। शुरुआत में कम ग्राहको को उत्पाद बेचने पर ध्यान दिया जाए।

Customer Retention: जो ग्राहक बनाए रखने में सहायता करता हैं

  • अपने आप को करोड़पति या अरबपति बनते हुए देखने के विचार से दूर रहा जाए। व्यापार में वह ताकत है कि उसे शुरु करने वाले बहुत सफल होते है लेकिन यह भविष्य और कम्पनी के सफल होने के बाद की बात है। शुरुआत में कम कमाई में संतुष्ट रहे। अगर कोई करोड़ो रुपये कमाने के लिए ही व्यापार करना चाहता है और वह लाखों रुपये ही कमा पा रहा है तो वह अपने आप को सफल नही मानेगा।
  1. अपनी कम्पनी की पूरे बाजार पर मोनोपोली बनाने की ना सोचे। मोनोपोली बनाने के लिए कम्पनी को बहुत समय लगता है और इसमें निवेश भी बहुत अधिक लगता है। अगर आप शुरुआत में ही यह करना चाहते है तो यह कम समय में मुमकिन नही हो पाएगा और ना ही नए व्यापारियों के पास इतनी अधिक मात्रा में निवेश होता है।
  2. बहुत से लोग अपने लक्ष्यों का पीछा करते हुए अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना छोड़ देते है, वह भूल जाते है कि वह किसके लिए कमा रहे है या वह उस लक्ष्य के लिए किसे दांव पर लगा रहे है। कम्पनी को सफल बनाने के लिए कई सालो तक लगातार कार्य करना पड़ता है। इतने लम्बे समय तक लगातार और हर दिन तभी कार्य किया जा सकता है जब आपका स्वास्थ्य ठीक हो। इसलिए जब भी किसी लक्ष्य और स्वास्थ्य में से किसी एक पर ध्यान देने या कार्य करने की बारी हो तो पहले स्वास्थ्य को ही चुनना चाहिए।
  3. विद्यार्थियों को व्यापार की चकाचौंध से दूर ही रहना चाहिए और सबसे पहले अपनी शिक्षा को पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए। अगर कोई अपनी शिक्षा को बीच में छोड़कर व्यापार शुरु करता है और अगर वह व्यापार असफल हो जाता है तो उसके लिए कई रास्ते बंद हो जाएंगे।
  4. निवेशको से बहुत अधिक मात्रा में निवेश ना कराया जाए। अगर कम्पनी सफल रही तो उसे होने वाले लाभ का एक बहुत बड़ा हिस्सा निवेशको के पास जाएगा और अगर कम्पनी असफलता की तरफ बढ़ेगी तो संस्थापक को गुलाम की तरह काम करना होगा और उसे किसी भी तरह कम्पनी को लाभ कमा कर देना होगा या कम्पनी असफल हुई तो इसका सबसे बड़ा नुकसान संस्थापक को ही उठाना पड़ेगा और हो सकता है कि वह भविष्य में कभी कोई दूसरा व्यापार ना कर पाए या उसे कभी निवेश ना मिल पाए।
  5. व्यापार में कुछ भी ऐसा ना किया जाए जिसका ज्ञान तुम्हें ना हो। चाहे वह नई मशीनरी लगाना हो या फिर नए कर्मचारियों की नियुक्ति करना हो क्योंकि अगर इसकी जानकारी तुम्हें नही है और इस कार्य को किसी दूसरे व्यक्ति के भरोसे छोड़ा जा रहा है तो इस बात का क्या सबूत है कि वह इंसान इस कार्य का पूरे ध्यानपूर्वक और सही तरीके के करेगा। इसलिए नएपन, बदलाव या परिवर्तन के बारे में जल्दबाजी ना की जाए।
  6. नएपन, बदलाव या परिवर्तन के बारे में जल्दबाजी ना करने का यह फैसला व्यापार के कौशल विकसित करने और उनका उपयोग करने के लिए भी लागू होना चाहिए। अधूरे या अविकसित कौशल के साथ किए गए कार्य भी अधूरे या अविकसित परिणाम ही देते है। इसलिए सिर्फ उन कौशल के साथ कार्य किए जाने चाहिए जो सही और निश्चित परिणाम दे सकते है और उन कार्यो के लिए अधिक कुशल बनने पर ध्यान देना चाहिए जिनके बारे में कुशलता नही है या फिर उन कार्यो को किसी कुशल कर्मचारी से करवाना चाहिए।
  7. स्टार्टअप की शुरुआत में या लाभ कमाने तक बड़ी संख्या में कर्मचारियों की नियुक्तियां ना करे। किसी भी कम्पनी के लाभ या फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए खर्च होता है। अधिक कर्मचारियों की नियुक्तियां होगी तो वेतन का भुगतान भी अधिक मात्रा में करना पडे़गा, इससे कम्पनी के पास विकास करने या अन्य खर्चों के लिए पैसा नही होगा। इस कारण से कर्मचारियों को अपने पद से हटाना भी पड़ सकता है, इसलिए कम्पनी के पास पर्याप्त मात्रा में पैसा होने तक कम ही कर्मचारियों की नियुक्तियां करनी चाहिए।
  8. सभी कर्मचारियों, सभी उच्च अधिकारियों, कम्पनी में किए जाने वाले सभी कार्यो के प्रबंधन पर अधिक कार्य ना करे। कम कर्मचारियों की संख्या को प्रबंधित किया जा सकता है लेकिन अधिक कर्मचारियों की संख्या को प्रबंधित नही किया जा सकता है, इसलिए सिर्फ ऐसे उच्च पद के कर्मचारी या फिर उच्च अधिकारियों के प्रबंधन पर ही ध्यान देना चाहिए जो अपने विभाग के मुख्य हो या जो अन्य कर्मचारियों को प्रबंधित कर सके।
  9. सरकार, किसी देश या अन्य देशों के द्वारा लागू किए गए या बदले गए व्यापार के नियमों को समझने के लिए अन्य लोगो की या अपने वकील की सहायता लेनी चाहिए। व्यापारी हमेशा ही अपने व्यापार में व्यस्त रहता है, इसलिए हो सकता है कि उसे नए नियमों या नियमों के बदलाव की जानकारी ना हो। इस कारण से अगर किसी नियम का उल्लंघन या अवहेलना होती है तो कम्पनी पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है। इसलिए बाजार में अपना उत्पाद लाने की जल्दबाजी को धीमा किया जाए और संवैधानिक नियमों के बारे में जागरुक रहा जाए।
  10. अपना सबसे बेहतर परफार्मेंस देते हुए सभी कार्यो में बेस्ट परफार्मेंस देने की ना सोचे। पहले एक कार्य को सही तरह से पूरा करे और उसमें उचित परिणाम लाए। फिर अगले कार्य की ओर जाए।
  11. व्यापार को सफल बनाने के लिए कई तरह के अलग-अलग कार्य करने पड़ते है और कम्पनी में कई तरह के अलग-अलग विभाग कार्यरत होते है, इनके संचालन और भविष्य में सही से संचालित होने के कार्य को जोड़कर देखे तो एक संस्थापक के लिए यह संख्या बहुत बड़ी हो जाती है। संस्थापक अपने आप में और पहले एक इंसान है इसलिए वह इन कार्यो के बारे में हमेशा ही चिंतित होता है और आवश्यकता से अधिक सोचने लगता है, इसलिए अपनी मानसिकता को संतुलित और अधिक व्यावहारिक रखने के लिए सिर्फ एक कार्य पर ही ध्यान देना चाहिए और एक समय में एक विभाग के लिए ही कार्य करना चाहिए।
  12. अपनी व्यस्त दिनचर्या में से अपने स्वास्थ्य और आराम के लिए जरुर समय निकालना चाहिए, इससे इंसान स्वस्थ्य भी रहेगा और उसे आराम मिलने के कारण बेहतर तरीके से कार्य करने का अवसर भी मिलेगा जिससे कि गलतियां कम होगी।
  13. स्टार्टअप को स्थापित करने के लिए जरुरत से अधिक जगह या क्षेत्र को किराए पर या खरीदना नही चाहिए। शुरुआत में हर उच्च अधिकारी के लिए, हर विभाग के लिए और हर तरह के कार्य के लिए अगर उनका एक विशेष स्थान बनाया जा रहा है तो इसमें कम्पनी के फंड का एक बहुत बड़ा हिस्सा व्यर्थ होगा। इसलिए अपनी कम्पनी को कम से कम जगह या क्षेत्र से संचालित करने की कोशिश करे।
  14. अपनी कम्पनी की पहली और मुख्य शाखा के द्वारा अधिक लाभ कमाए बिना दूसरी शाखा खोलने की ना सोचे। यह विमान में किसी आपात स्थिति के दोरान स्वयं ऑक्‍सीजन मास्क पहने बिना पहले दूसरो को मास्क पहनाने जैसा है, इस स्थिति में कोई इंसान दोनो की जान को खतरे में डाल रहा है। उसी तरह अगर कोई व्यापारी अपनी पहली और मुख्य शाखा को सफल बनाए बिना दूसरी शाखा में निवेश करता है और उसकी शुरुआत करता है तो वह दोनो शाखाओं को तेजी से असफलता की ओर ले जा रहा है।
  15. मटेरियल एसेट के लिए कोर एसेट को उनकी अधिकतम सीमा तक दाव पर ना लगाए। लाभ कमाने के लिए या लाभ कमाने की स्थिति तक जाने के लिए कम्पनी को आवश्यकता से बहुत अधिक समय नही लगना चाहिए, यह कार्य या प्रोसेस एक निश्चित समय अंतराल में पूरी होनी चाहिए।
  16. अपने जीवन की चकाचौंध को बढ़ाने और उसे अन्य लोगो या रिश्तेदारो से सामने अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए महंगी कीमत की गाड़ियां और घर ना खरीदे। इसके साथ ही कम्पनी और अपने ऑफिस की खूबसूरती बढ़ने के लिए महंगी वस्तुओं और सुविधाओं को ना खरीदे।
  17. अपने नीजी लाभ के लिए निवेश करते हुए एक ही कम्पनी में अपनी सारी बचत को ना निवेश करे इसे विविधतापूर्ण और सीमित रखे। एक ही कम्पनी के शेयर को खरीदने से अपनी सारी बचत को एक साथ खोने का खतरा बढ़ जाता है।
  18. रॉ मटेरियल का भंडार किसी भी कम्पनी के उत्पाद को बनाने के लिए सबसे अधिक जरुरी, महत्वपूर्ण और आधारभूत संसाधन होता है, लेकिन इसके अधिक उपयोग से यह खत्म हो जाता है। अगर उत्पाद ही नही बन पाएगा तो कम्पनी ग्राहको को क्या बचेगी और लाभ कैसे कमाएगी? इसलिए रॉ मटेरियल के भंडार का उपयोग करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि यह कितना खर्च हो रहा है? कितना उपयोगी हो रहा है? कितना अनुपयोगी हो रहा है? इसके खत्म हो जाने पर अन्य क्या विकल्प उपलब्ध है?
  19. बाजार में उपलब्ध मशीनरी सभी के लिए उचित मूल्य पर और सभी के लिए सरलता से उपयोग की जाने वाली होती है, लेकिन अगर कम्पनी को अधिक तेजी से और अधिक विकसित बनाना है तो कुछ कम्पनियां अत्याधुनिक मशीनरी का उपयोग करती है, यह बहुत महंगी होती है और साथ ही इसका संचालन और प्रबंधन भी जटिल होता है, इसके संचालन और प्रबंधन के लिए भी अधिक कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। ऐसे संसाधन बहुत महंगे पड़ते है। इसलिए किसी भी तरह की मशीनरी खरीदते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि यह आवश्यकता के अनुसार ही हो, इसके अन्य विकल्प भी हो, इसका संचालन और प्रबंधन सरल हो और यह उचित लाभ कमा कर दे सके।
  20. बदलाव या परिवर्तन करने के फैसले के साथ ही उसके जोखिम का और असफल होने की संभावना का अनुमान भी लगाना चाहिए।

व्यापार में एक छोटे से बदलाव के लिए भी कई कार्यो को सफलता से पूरा करना पड़ता है। जैसे कि अगर अपने उत्पाद में कोई बदलाव करने का फैसला लिया गया तो उसकी कीमत को भी बदलना पड़ सकता है, उसकी पैकेजिंग को भी बदलना पड़ सकता है, नए ग्राहको को जोड़ने के साथ ही पुराने ग्राहको को भी समझाना पड़ता है कि हमने अपने उत्पाद में यह बदलाव किये है और यह उत्पाद अपने क्षेत्र और अपनी श्रेणी के बाजार में उपलब्ध सभी उत्पादो से बेहतर है।

इसके साथ ही उत्पाद बनाने वाली मशीनरी में भी बदलाव करने पड़ते है जो कि बहुत ही जटिल कार्य होता है और मशीनरी में बदलाव के पूरे होने तक उत्पाद के उत्पादन को रोकना पड़ सकता है।

इसके बाद भी मार्केटर्स को नए बदलावों से परिचित कराना भी मुश्किल कार्य है। उत्पाद को सीधे ग्राहको को बेचने अथवा दुकानदारों को बेचते समय उत्पाद की नई विशेषता को भी अपनी कम्युनिकेशन स्किल में जोड़ना पड़ता है।

इन विशेषताओं को बाजार में उत्पाद बेचने वाले कर्मचारियों को समझाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करनी पड़ती है। इन विशेषताओं को जोड़ने के लिए सरकार या कानून के द्वारा भी अनुमति लेनी पड़ सकती है, जिसकी अनुमति मिलना जरुरी होता है।

इसके बाद भी पुराने उत्पाद को ग्राहको को बेचना जारी रखने या ना बेचने के सवाल पर भी विचार करना पड़ता है और इसका फैसला नई विशेषता वाले उत्पाद को बाजार में लाने से पहले करना पड़ता है, इसके बाद भी नए उत्पाद को ग्राहको द्वारा खरीदे जाने, अधिक कीमत के कारण ना खरीदे जाने या ग्राहको को नई विशेषता के उत्पाद को पसंद या स्वीकार ना करने का जोखिम भी बना रहता है।

यह भी हो सकता है कि नई विशेषता, नया उत्पाद, नए गुण यह सब संस्थापक या उच्च अधिकारियों का भ्रम हो और वह कुछ नया नही ला रहे हो या फिर किसी विशेषता को जोड़कर वह अपने उत्पाद की कीमत को जरुरत से अधिक बढ़ाना चाहते हो या यह भी हो सकता है कि संस्थापक होने के नाते किसी व्यापारी ने अपने कर्मचारी या उच्च अधिकारियों को कम्पनी के उत्पाद में नई विशेषता लाने के आदेश दिए और कर्मचारी या उच्च अधिकारी उस आदेश को पूरा करने के कार्य में और उसकी जल्दबाजी में ऐसी विशेषता को उत्पाद में जोड़ देते है जो विशेष नही है, जो पुराने उत्पाद से बेहतर नही है या जिसकी जरुरत भी नही थी।

लेकिन ग्राहक और मिडिया या सोशल मिडिया इससे अनजान नही होते है, वह तेज और अनुभवी है, इससे कम्पनी के सारे उत्पाद और उसकी सारी नियत पर सवाल उठ सकते है और कम्पनी के विरुद्ध नकारात्मक खबरे बन सकती है या उत्पाद का मजाक बन सकता है। हर साल अपना नया उत्पाद बाजार में उतारने वाली कम्पनियों के साथ यही होता है और यह सिर्फ मोबाइल फोन बनाने वाली कम्पनियों के साथ ही नही बल्कि हर क्षेत्र की कम्पनी के साथ होता है।

उन्हें हर साल नया उत्पाद बाजार में लाना पड़ता है क्योंकि वह यही करते आए है और अब यह समय सीमा उनकी मजबूरी बन चुकी है।

बदलाव से पहले, उसके साथ और बदलाव के बाद भी कई कार्यो को पूरा करना पड़ता है और ये कार्य एक ही बदलाव के लिए निर्धारित हो सकते है, इसी तरह कई बदलावो के लिए इससे कई गुणा कार्यो को एक निश्चित समय अवधि में पूरा करना पड़ता है, ऐसा नही किया गया तो बदलाव अधिक महंगा और नकारात्मक साबित हो सकता है।

जैसे अगर उत्पाद में बदलावो के साथ ही उसकी कीमत नही बढ़ाई गई तो नए उत्पाद की लागत की भरपाई कैसे होगी? या जैसे सरकार या कानून की अनुमति नही ली गई तो उत्पाद के बेचने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

तो बदलाव एक तरफा नही होगा, यह बदलाव से सम्बंधित हर दिशा में, हर विभाग में, हर कर्मचारी के लिए होने के साथ ही यह दो तरफा होगा।

इसलिए बदलाव करने से पहले उससे सम्बंधित कार्यो की एक सूंची बनाई जाए और यह विचार किया जाए कि उस सूंची के हर कार्य को क्या उचित समय अंतराल में पूरा किया जा सकता है या नही?

व्यापार में गलतियां होगी और शत प्रतिशत निश्चित रुप से होगी।

गलतियों और उससे मिली असफलता को रोका नही जा सकता है बल्कि उसे कम किया जा सकता है।

लेकिन फिर भी व्यापारियों को यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि गलतियां बहुत महंगी ना पड़े।

गलतियां हमेशा ऐसी होनी चाहिए जिनकी कीमत चुकाई जा सके। ऐसी कीमत जिसे अर्जित किया जा सकता है और जिसकी व्यवस्था की जा सकती है।

महंगी गलतियां कम्पनी के बंद होने का कारण होती है।

तो, नयापन गलतियां लेकर आता है, इसलिए इसे सोच समझकर अपनाना चाहिए।

Share This Post On
Scroll to Top