सफल कम्‍पनियां किस व्‍यवसायिक लक्ष्‍य का पीछा करती हैं?

Introduction

व्‍यवसायिक लक्ष्‍य क्‍या होते है? या व्‍यवसाय को सफल बनाने के लिए किन लक्ष्‍यों पर फोकस करना चाहिए? यह तय करने में किसी नए व्‍यापारी या स्‍टार्टअप शुरु करने वाले व्‍यापारियों में कई तरह के संदेह और संकोच हो सकते है।

सफल व्‍यापार के परिणाम या अबरपतियों की जीवनशैली को देखकर बहुत से लोग व्‍यापार करना शुरु तो कर देते है, लेकिन वह अपने व्‍यवसायिक लक्ष्‍य तय नही कर पाते है या उन्‍हें समझ नही आता है कि सफल होने के लिए किन लक्ष्‍यों पर फोकस करना चाहिए?

इसलिए स्‍टार्टअप शुरु करने से पहले या तुरंत बाद अपने लिए व्‍यवसायिक लक्ष्‍य को तय करना बहुत ही महत्‍वपूर्ण, आवश्‍यक और उपयोगी होता है।

क्‍योंकि इन्‍ही लक्ष्‍यों के आधार पर किसी व्‍यापार या व्‍यापारी की सफलता या असफलता निर्भर करती है।

व्‍यवसायिक लक्ष्‍य तय करने से पहले, लक्ष्‍य क्‍या होते है? जीवन में लक्ष्‍य का महत्‍व समझने के साथ ही व्‍यवसायिक लक्ष्‍य क्‍या होते है? और व्‍यवसायिक लक्ष्‍य का महत्‍व समझना होगा।

इसके अलावा उनसे होने वाले लाभ को समझना होगा और उनके बारे में ग़लतफ़हमियों को दूर भी करना होगा।

यह सब आप नीचे दी गई link की सहायता से समझ समते है-

Business Goals: व्‍यवसायिक लक्ष्‍य और जीवन में उनका महत्‍व

व्‍यवसायिक लक्ष्‍य

What is The Goals of Business?

व्‍यवसायिक लक्ष्‍य उन लक्ष्‍यों को कहा जा सकता है, जिनके हासिल होने पर व्‍यापार में सफलता पाई जा सकती है।

व्‍यापार में सफलता हासिल करने के लिए सिर्फ एक लक्ष्‍य पर ध्‍यान देना और उसे हासिल कर लेना पर्याप्‍त नही होता है।

कोई भी व्‍यापार कई लक्ष्‍यों को हासिल करने के बाद सफलता तक पहुंचता है।

यह लक्ष्‍य एक-दूसरे से अलग भी हो सकते है।

परिभाषा- ‘‘ऐसे लक्ष्‍य जो व्‍यापारिक सफलता में महत्‍वपूर्ण योगदान देते है, उन्‍हें व्‍यवसायिक लक्ष्‍य कहा जाता है।’’

Diversity of Business Goals

व्‍यवसायिक लक्ष्‍य कई तरह के हो सकते है, जितने तरह के व्‍यापार या स्‍टार्टअप्‍स होते है उतने तरह के उनके अपने व्‍यवसायिक लक्ष्‍य हो सकते है।

कई तरह के स्‍टार्टअप्‍स के व्‍यवसायिक लक्ष्‍य एक ही तरह के नही हो सकते है।

कोई कम्‍पनी एक छोटे से आईडिया से शुरु होगी तो कोई स्‍टार्टअप अपने उत्‍पाद (product) को बाजार में लाने के जुनून से शुरु होगा।

कोई कम्‍पनी अपने ग्राहको को संतुष्‍ट करने का लक्ष्‍य लेकर आगे बढ़ेगी तो कोई स्‍टार्टअप अधिक लाभ कमाने के कारण शुरु होगा।

स्‍टार्टअप शुरु करने, अपने आईडिया को अमल में लाने, एक अच्‍छे उत्‍पाद का निर्माण करने, ग्राहको को संतुष्‍ट करने या फिर अधिक लाभ कमाए जाने का जो कारण होगा वही किसी भी व्‍यापारी का अपना व्‍यवसायिक लक्ष्‍य होगा।

या फिर ऐसा कहा जा सकता है कि किसी इंसान के व्‍यापार शुरु करने की जो वजह होती है, वही उसका व्‍यवसायिक लक्ष्‍य भी होता है।

इसलिए ऐसा भी कहा जा सकता है कि व्‍यापार शुरु करने की वजह लगभग सभी संस्‍थापको के लिए अलग-अलग हो सकती है, इसी कारण उनके व्‍यवसायिक लक्ष्‍य में भिन्‍नता भी हो सकती है।

इसके साथ ही एक ही कम्‍पनी के एक से अधिक संस्‍थापको के व्‍यवसायिक लक्ष्‍य भी एक-दूसरे से अलग हो सकते है।

क्‍योंकि वह अपने आप में अलग इंसान है, उनकी कल्‍पना एक-दूसरे से अलग होगी इसलिए उनकी योजना भी एक-दूसरे से अलग होगी।

Common Goals of Business

व्‍यवसायिक लक्ष्‍य या संस्‍थापक और सह-संस्‍थापक के व्‍यवसायिक लक्ष्‍य अलग-अलग हो सकते है, लेकिन फिर भी उन्‍हें किसी-न-किसी तरह से अलग-अलग वर्गो में बांटा जा सकता है।

इस तरह सभी स्‍टार्टअप्‍स या सभी तरह की कम्‍पनियों के सामान्‍य लक्ष्‍यों पर बात की जा सकती है।

जैसे-

सभी तरह के व्‍यापार का एक सामान्‍य व्‍यवसायिक लक्ष्‍य अपना उत्‍पाद बेचकर लाभ कमाना होता है और यह लाभ ग्राहको से कमाया जाता है।

इसलिए अपना उत्‍पाद बनाना, ग्राहको पर ध्‍यान देना और लाभ कमाने पर ध्‍यान देना सबसे बेहतरीन व्‍यापारिक रणनीति हो सकती है।

इस तरह ग्राहक (customer), उत्‍पाद (product) और लाभ (profit) सभी तरह के स्‍टार्टअप्‍स या कम्‍पनी के सबसे सामान्‍य, विशेष और प्रमुख व्‍यवसायिक लक्ष्‍य होते है और नए व्‍यापारियों को सफलता पाने के लिए इन्‍हीं तीनो लक्ष्‍यों पर ध्‍यान देना चाहिए।

ग्राहक (customer), उत्‍पाद (product) और लाभ (profit)

स्‍टार्टअप चाहे कितना ही छोटा या कोई कम्‍पनी चाहे कितनी ही बड़ी क्‍यूं ना हो? सफलता तक पहुंचने के लिए वह इन तीनो पर ही ध्‍यान देते है।

साथ ही यह तीनो हर तरह के व्‍यापारिक क्षेत्र पर लागू होते है।

ग्राहक (customer)

ग्राहको पर व्‍यापार शुरु करने के बाद ध्‍यान देना है ना कि सिर्फ ग्राहको को ध्‍यान में रखते हुए व्‍यापार शुरु करना है।

किसी योजना के बिना सीधे ग्राहको पर ध्‍यान देना भी सही रणनीति नही है।

जैसे-

अगर ग्राहको के जीवन की सबसे बड़ी मांग अमर होना है, तो इसका मतलब यह नही है कि हर नए व्‍यापारी को अमरता पर खोज करना शुरु कर देना चाहिए या कोई ऐसे उत्‍पाद पर काम करना चाहिए जो इंसानो को अमर बना सके।

अगर आप एक नए व्‍यापारी है या व्‍यापार शुरु करना चाहते है तो आपको अपने आईडिया या उत्‍पाद पर ही काम करना है और यह सोचना है कि इसे लोगो को कैसे बेचा जाए? कि वह आपके ग्राहक बन सके।

ग्राहको से सम्‍बंधित किसी तरह की जानकारी से कोई व्‍यापारी ग्राहको के बारे में जानता है तो किसी जानकारी से उनके जीवन के बारे में।

इसलिए ग्राहको के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारी होने से ही उनके खरीदारी करने के व्‍यवहार की भविष्‍यवाणी की जा सकती है।

उत्‍पाद बनाने के बाद अगर यह पता ना हो कि इसे कहा बेचना है? कैसे बेचना है? और किसे बेचना है? तो व्‍यापार को सफल नही बनाया जा सकता है।

दूसरी तरफ अगर आप जानते हो कि आपके ग्राहक कौन है? और वह कहा रहते है तो सीधे उन्‍हें अपना उत्‍पाद बेचा जा सकता है।

इसमें रॉकेट साइंस जैसा कुछ भी नही है।

अगर आपको पता है कि वह क्‍यूं आपके ग्राहक है? तो अपने उत्‍पाद के उस विशेष गुण को बनाए रखना जरुरी है।

जैसे कुछ कम्‍पनियां अपने उत्‍पाद या सेवाओं के कुछ विशेष गुणो को कभी नही बदलती है।

क्‍योंकि उन्‍हें पता है कि इस विशेषता से ग्राहको की भावनाएं जुड़ी हुई है, वह इस विशेषता के कारण ही विशेष अनुभव करते है।

अगर आपको पता है कि ग्राहको के अपने लक्ष्‍य क्‍या है? और उन लक्ष्‍यों को पाने में उन्‍हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है? तो इसे मार्केटिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है।

अपने ग्राहको से कहा जा सकता है कि- हमारे उत्‍पाद को खरीदिये, यह आपके लक्ष्‍यों को पाने में सहायक होगा।

हमारी सेवाए लिजिए, यह आपके रास्‍तों को और आसान बना देगी।

इस तरह भाषा को भी मार्केटिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है।

एक देश की कम्‍पनी दूसरे देश के ग्राहको को लुभाने के लिए वहा की भाषा में विज्ञापन बनाती है और विज्ञापन के लिए ऐसे किसी इंसान को चुना जाता है, जिसे लोगो ने अपना आदर्श बना के रखा है।

Customer Relationship Management: CRM की सम्‍पूर्ण जानकारी

उत्‍पाद (product)

लोग जब उत्‍पाद खरीदते है, तब वह ग्राहक बनते है।

इसलिए ग्राहको पर ध्‍यान देने के साथ अपने उत्‍पाद का भी ध्‍यान रखना चाहिए।

उत्‍पाद और कुछ नही बल्कि किसी व्‍यापारी की कल्‍पना का ही वास्‍तविक रुप होता है।

आईडिया जब कल्‍पना से निकलकर वास्‍तविक रुप ले लेता है, तो वह उत्‍पाद कहलाता है।

दुनिया में जितने भी अविष्‍कार हुए है, वह पहले किसी की कल्‍पना थे।

यह व्‍यापारिक दुनिया पर भी लागू होता है।

अपनी कल्‍पना को वास्‍तविकता में बदलने की सोचना, उत्‍पाद बनाने के रास्‍ते की ओर पहला कदम होता है।

तो, इस तरह आपका उत्‍पाद पहले आईडिया के रुप में होगा, फिर वह कल्‍पना से निकलकर वास्‍तविकता के रुप मे होगा।

उत्‍पाद तैयार होने के बाद यह बाज़ार में आएगा।

इसके बाद या इस बीच वह ग्राहको की मांग के अनुसार भी विकसित होगा।

यह भी हो सकता है कि ग्राहको की मांग को ध्‍यान में रखते हुए अपने उत्‍पाद में कुछ बदलाव करने पड़े। जो कि ग्राहको की अपनी कल्‍पना हो सकती है और वह इस कल्‍पना को आपके उत्‍पाद में साकार होते हुए देखना चाहे।

अधिक लाभ कमाने की कल्‍पना को ध्‍यान में रखते हुए भी उत्‍पाद में बदलाव करने के कदम को उठाया जा सकता है।

स्‍टार्टअप का मतलब ही बाज़ार में उपलब्‍ध उत्‍पादो से हटकर कोई अलग उत्‍पाद लाना है।

सभी नए व्‍यापारियों के आईडिया अलग-अलग हो सकते है, इसलिए सभी उत्‍पादो के गुण और विशेषताएं भी अलग-अलग होंगे।

इस तरह किसी सफल कम्‍पनी के उत्‍पाद का उदाहरण लेकर अपने उत्‍पाद के गुण और विशेषताओं को विकसित करने का विचार सही नही है।

इस तरह आपका उत्‍पाद बाज़ार पर अपना एकाधिकार नही कर सकता है।

ग्राहको के लिए अगर बाज़ार में उस तरह के उत्‍पाद के दूसरे विकल्‍प भी उपलब्‍ध है तो आपको उन दूसरे विकल्‍पो को ध्‍यान में रखते हुए अपने उत्‍पाद की कीमत को कम करना पड़ सकता है।

अगर आपको अधिक लाभ कमाने की चिंता नही है तो किसी सफल कम्‍पनी के उत्‍पाद का उदाहरण लेकर अपने उत्‍पाद के गुण और विशेषताओं को विकसित करने का विचार सही है।

दोनो ही स्थितियों में आपको इस बात की गहरी जानकारी होनी चाहिए कि आप बाज़ार में क्‍या लेकर आ रहे है?

8 Steps of Product Development: उत्‍पाद विकसित करने के चरण

लाभ (profit)

सफल कम्‍पनियों को उनके होने वाले लाभ से सफल माना जाता है, यही उनका पैमाना है।

लाभ के लिए ही स्‍टार्टअप शुरु किया जाता है, कम्‍पनी का संचालन किया जाता है, उत्‍पादो को लाभ का ध्‍यान रखकर ही तैयार किया जाता है, उनकी कीमते तय की जाती है, लाभ को ध्‍यान में रखकर ही ग्राहको तक उत्‍पाद पहुंचाए जाते है, मार्केटिंग भी अधिक लाभ कमाए जाने के कारण ही की जाती है।

इस तरह होने वाला लाभ ही किसी कम्‍पनी का केन्द्रिय बिन्‍दु होता है, वह कम्‍पनी का सबसे बड़ा और महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य होता है।

दूसरे देशो में फैली हुई और अधिक लाभ कमाने वाली कम्‍पनियां बहुत ताकतवर होती है, अर्थव्‍यवस्‍था पर उनका असर होता है।

इसलिए विश्‍व के सबसे ताकतवर लोगो की सूंची में इनके संस्‍थापको के नाम होते है।

अधिक लाभ कमाने को इसलिए सफलता नही मानना चाहिए क्‍योंकि समाज इसे सफलता मानता है या लोग इससे आकर्षित होते है, बल्कि इसलिए सफलता मानना चाहिए क्‍योंकि यही हर कम्‍पनी के सफलता की नियति है।

इंसान को सफल बनने के लिए या उसे अपने आप को सफल समझने के लिए लाभ की जरुरत होती है, चाहे वह लाभ किसी भी तरह का ही क्‍यू ना हो?

जैसे-

  1. बहुत से लोग आध्‍यात्मिक होते है, क्‍योंकि वह मानते है कि अध्‍यात्‍म में अधिक लाभ है।
  2. बहुत से लोग किताबें पढ़ने का शौक रखते है, क्‍योंकि वह मानते है कि किताबें पढ़ने में अधिक लाभ है।
  3. बहुत से लोग समाज सेवा करने में अपना लाभ समझते है।
  4. वही बहुत से लोग देश सेवा में भी अपना लाभ समझते है।

इस तरह के उदाहरण इतने है, जितने तरह के काम दुनिया में किए जा सकते है और दुनिया में अनगिनत तरह के काम किए जा सकते है।

जिसने भी जहां लाभ देखा, वह वही काम करने में लग गया। इसलिए हमारी दुनिया में इतनी विविधता है।

व्‍यापार में भी अलग-अलग तरह के लाभ हो सकते है। यह संस्‍थापक, सह-संस्‍थापक और कम्‍पनी के उच्‍च अधिकारियों की रणनीति पर निर्भर करता है।

बहुत सी कम्‍पनियां अपनी शुरुआत में अधिक ग्राहक बनाने पर प्रमुख रुप से ध्‍यान देती है, उनकी रणनीति यह होती है कि ग्राहक अधिक होंगे तो लाभ अपने आप ही होने लगेगा।

इस तरह की रणनीति को ध्‍यान में रखकर ही वह अपनी मार्केटिंग करती है।

बहुत सी कम्‍पनियां अपने उत्‍पाद को कम दाम पर बेचने लगती है, उनकी रणनीति यह होती है कि एक बार ग्राहक इस उत्‍पाद को इस्‍तेमाल करने के आदि हो जाए‍, फिर वह इसकी कीमत को बढ़ा सकती है।

बहुत सी कम्‍पनियों ने ना अधिक ग्राहको को जोड़ने पर ध्‍यान दिया और ना ही अपने उत्‍पाद की कीमत को कम रखा।

उन्‍होंने शुरु से ही अपने उत्‍पाद की गुणवत्‍ता को बनाए रखा और ग्राहको को यह पसंद आने लगा।

लग्‍जरी उत्‍पाद बनाने वाली कम्‍पनियां इसकी उदाहरण है।

ऐसा भी हुआ है कि बहुत सी कम्‍पनियां सही तालमेल बनाए रखने में विश्‍वास करती है, उनका मानना है कि ना तो पूरा ध्‍यान ग्राहको पर दिया जाए, ना ही मार्केटिंग पर जरुरत से अधिक पैसा खर्च किया जाए, ना ही अपने उत्‍पाद को कम कीमत में बेचा जाए और ना ही इस‍की कीमत को जरुरत से अधिक रखा जाए।

3 Main Objectives of Business: Product, Customer and Profit

Conclusion

किसी भी तरह के व्‍यापार का केन्द्रिय बिन्‍दु (central point) लाभ कमाना होता है और किसी भी लेख (article) का conclusion उसका केन्द्रिय बिन्‍दु होता है। conclusion में उस लेख के सारे बिन्‍दुओं को केन्द्रित किया जाता है।

इसलिए इस लेख के conclusion में लाभ कमाने को ही सारे बिन्‍दुओं का केन्‍द्र माना जा सकता है और इस पर और अधिक चर्चा हो सकती है। जो इस प्रकार है-

लाभ का स्‍पष्‍ट होना जरुरी है। आपके अपने व्‍यापार के लिए सही लाभ कौन-सा रहेगा? यह स्‍पष्‍ट होना चाहिए।

लाभ से सम्‍बंधित लक्ष्‍य तय किए बीना सभी जगह, सभी तरह की रणनीतियों में लाभ ही दिखेगा।

इस तरह की स्थिति में निवेश वहां खर्च होगा, जहां जरुरत नही है और कोई लक्ष्‍य स्‍पष्‍ट नही होने से फिर किसी दूसरी जगह निवेश खर्च होगा।

इस तरह निवेशको का निवेश या संस्‍थापक की अपनी बचत के खत्‍म होने का खतरा रहता है।

अधिकतर स्‍टार्टअप्‍स अपने शुरुआती 3 साल के अंदर ही असफल होकर बंद हो जाते है और निवेश का खत्‍म होना उनके असफल होने के प्रमुख कारणों में से एक है।

इसका भी ध्‍यान रखना होगा कि लाभ का स्‍पष्‍ट होना उसके सही होने का प्रमाण नही है, यह तो सिर्फ एक तरह की रणनीति या भविष्‍यवाणी होती है।

जैसे बहुत-सी कम्‍पनियां अपने उत्‍पाद को कम कीमत पर अधिक ग्राहको को बेचने पर विश्‍वास करती है तो बहुत सी कम्‍पनियां अपने उत्‍पाद को अधिक कीमत पर कम ग्राहको को बेचने पर विश्‍वास करती है।

इनमें से सही रणनीति कौन-सी है? इसका जवाब आपके अपने स्‍टार्टअप और उत्‍पाद पर निर्भर करता है, इस तरह के उत्‍पाद के लिए सही ग्राहक कौन-से है? उन तक यह उत्‍पाद पहुंचाने की सही रणनीति कौन-सी हो सकती है? इस पर भी निर्भर करता है।

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