8 व्‍यापार के प्रकार और अपने लिए सही प्रकार को चुनने का महत्‍व

व्‍यापार के प्रकार

Introduction

अपने लिए सही व्‍यापारिक ज्ञान लेना कई पहलुओं और बिन्‍दुओं पर निर्भर करता है, उनमें से एक यह है कि आपका अपना स्‍टार्टअप या व्‍यापार किस तरह का है, उसका प्रकार क्‍या है?

व्‍यापारिक ज्ञान के महत्‍व और अपने बिजनेस आइडिया को पहचानने के पहले या बाद व्‍यापार के प्रकारो को समझने की बारी आती है, क्‍योकि इसी से आप अपने लिए सही प्रकार को चुन सकते है और फिर उससे सम्‍बंधित ज्ञान लेकर अपनी कम्‍पनी को सफल बना सकते है।

Importance of Choosing The Right Business Structure

किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए उस क्षेत्र का ज्ञान होना जरुरी है, व्‍यापार करना या स्‍टार्टअप शुरु करना भी एक तरह का क्षेत्र ही है। जिसमें ज्ञान का होना जरुरी है।

उदाहरण के लिए-

  1. अपने बिजनेस आइडिया का ज्ञान होना जरुरी है।
  2. उस आइडिया को अमल में लाने का ज्ञान होना जरुरी है।
  3. स्‍टार्टअप शुरु करने का ज्ञान होना जरुरी है।
  4. स्‍टार्टअप को कम्‍पनी बनाने का ज्ञान होना जरुरी है।
  5. कम्‍पनी को संचालित करने के लिए ज्ञान होना जरुरी है।

इसलिए व्‍यापारिक ज्ञान और उसके महत्‍व को समझना हर नए व्‍यापारी या स्‍टार्टअप शुरु करने वालो के लिए जरुरी है। इसे नीचे दी गई लिंक की सहायता से सामने आने वाले लेख (article) के माध्‍यम से समझा जा सकता है-

व्‍यापारिक ज्ञान और उसके महत्‍व

नए व्‍यापारियों या स्‍टार्टअप शुरु करने वालो के लिए व्‍यापारिक ज्ञान और उसके महत्‍व को समझने के बाद अपने लिए और अपने व्‍यापार को सफल बनाने के लिए सही व्‍यापारिक ज्ञान लेने की बारी आती है।

क्‍योंकि व्‍यापार एक तरह का क्षेत्र है और इस क्षेत्र में असीमित मात्रा में ज्ञान उपलब्‍ध है, जैसे-

  1. व्‍यापार के बारे में हजारो किताबें उपलब्‍ध है।
  2. इंटरनेट पर असीमित मात्रा में ज्ञान उपलब्‍ध है।
  3. बहुत सारे लोग अनगिनत तरह के सुझाव दे रहे है।
  4. व्‍यापार के बारे में कई तरह की शिक्षाएं ली जा सकती है।
  5. व्‍यापार के बारे में कई फिल्‍में और टीवी शो भी बनाए गए है।

ऐसे में नए व्‍यापारियों और स्‍टार्टअप शुरु करने वालो में कई तरह से संदेह और सवाल उत्‍पन्‍न होते है कि अपने लिए सही व्‍यापारिक ज्ञान कैसे लिया जाए? कैसे तय किया जाए कि किस तरह का ज्ञान लेना सही होगा?

इसका जवाब दो पहलुओं के माध्‍यम से खोजा या समझा जा सकता है-

  1. Personal Aspect
  2. Professional Aspect

वैसे aspect के स्‍थान पर इसके किसी भी पर्यायवाची (synonyms) शब्‍द का उपयोग करके भी व्‍यापारिक ज्ञान को समझा जा सकता है।

  1. Personal Aspect-

यह किसी इंसान के द्वारा व्‍यापार को चुनने, अपने लिए सही व्‍यापारिक क्षेत्र को चुनने और उस क्षेत्र से सम्‍बंधित ज्ञान लेने में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखता है।

जैसे-

  • किसी इंसान के द्वारा व्‍यापार को चुनने के कई निजी कारण हो सकते है।
  • बहुत से लोग अपने जीवन में व्‍यापार के क्षेत्र को ही चुनना चाहते है।
  • बहुत से लोग अपने निजी लक्ष्‍यों को व्‍यापार के माध्‍यम से ही पूरा करना चाहते है।
  • अपने व्‍यवसायिक जीवन के क्षेत्र को चुनते समय बहुत से लोग व्‍यापार को दूसरे क्षेत्र जैसे- कला या नौकरी से अधिक महत्‍व देते है।
  • बहुत से लोगो का निजी ज्ञान, व्‍यापारिक दुनिया में उपयोग होने वाले ज्ञान से मेल खाता है।
  • बहुत से लोगो का निजी कौशल भी व्‍यापारिक दुनिया में उपयोग होने वाले कौशल से मेल खाता है।
  • व्‍यापार करना बहुत से लोगो की hobby भी हो सकती है।
  • इसी तरह बहुत से लोगो का सामाजिक कौशल भी व्‍यापारिक दुनिया में उपयोग होने वाले वाले ग्राहको के व्‍यवहार को समझने के लायक होता है।
  • बहुत से लोग अपने उत्‍पाद को लोगो तक पहुंचाना चाहते है।
  • बहुत से लोग अधिक लाभ कमाना चाहते है, जो व्‍यापार से संभव हो पाता है।
  1. Professional Aspect-

यह किसी इंसान के द्वारा अपने व्‍यवसायिक जीवन में व्‍यापार को चुनने और अपने लिए सही व्‍यापारिक क्षेत्र को चुनने के बाद उस क्षेत्र से सम्‍बंधित ज्ञान लेने में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखता है।

जैसे-

  • अपने आइडिया को अमल में कैसे लाया जाए?
  • किस तरह का व्‍यापार शुरु किया जाए?
  • कम्‍पनी को संचालित करने के लिए किस तरह का ज्ञान लिया जाए?
  • कौन-सी किताबें पढ़ी जाए?
  • इंटरनेट पर क्‍या देखा जाए?
  • किन लोगो के सुझावों पर अमल किया जाए?
  • किस तरह की शिक्षा ली जाए?
  • कौन-सी फिल्‍में और टीवी शो देखे जाए?
  • लिए जाने वाला ज्ञान लाभ कमाकर दे सकता है, यह कैसे तय किया जाए?

तो, अब तक के कुछ महत्‍वपूर्ण बिन्‍दुओं को एक बार फिर से गौर करते है-

  1. किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए उस क्षेत्र का ज्ञान होना जरुरी है।
  2. व्‍यापार भी एक तरह का क्षेत्र ही है, जिसमें ज्ञान का होना जरुरी है।
  3. व्‍यापार पर असीमित मात्रा में ज्ञान उपलब्‍ध है, जिसे पूरा करना संभव नही है।
  4. व्‍यापारिक ज्ञान के सम्‍बंध में personal and professional aspects महत्‍वपूर्ण होते है, जिनमें कई बिन्‍दु शामिल होते है।

इसके बाद भी यह सवाल उठता है कि अपने लिए सही व्‍यापारिक ज्ञान कैसे लिया जाए?

इसका जवाब आपके personal and professional aspects पर निर्भर करता है। जैसे कि व्‍यापार करने के आपके निजी कारण क्‍या है? और आप किस तरह का व्‍यापार शुरु करना चाहते है?

सही व्‍यापारिक ज्ञान लेना पूरी तरह से आपके निजी कारण, बिजनेस आइडिया और आपके व्‍यापार के प्रकार पर निर्भर करता है।

बिजनेस आइडिया को नीचे दी गई लिंक के माध्‍यम से समझा और पहचाना जा सकता है-

अपने बिजनेस आईडिया को कैसे पहचाने?

इस लेख में हम व्‍यापार के प्रकार पर चर्चा करेंगे।

Types of Business Structures

व्‍यापार कई प्रकार के होते है, लेकिन इस लेख में हम व्‍यापार के मुख्‍य प्रकारो पर प्रमुख रुप से चर्चा करेंगे।

व्‍यापार के मुख्‍य प्रकारो को समझने से नए व्‍यापारियों और स्‍टार्टअप शुरु करने वालो को व्‍यापार के मुख्‍य प्रकारो के बारे में एक आधारभूत जानकारी उपलब्‍ध हो जाती है। उनके अंदर यह विचार आने लगता है कि व्‍यापार भी अलग-अलग प्रकार के होते है।

यह आधारभूत जानकारी उन्‍हें व्‍यापार के अन्‍य प्रकारो को समझने और अपने लिए किसी एक प्रकार चुनने का मार्गदर्शन करती है। साथ ही यह अपने लिए चुने गए किसी एक प्रकार के व्‍यापार से सम्‍बंधित ज्ञान लेने और कौशल विकसित करने का रास्‍ता भी स्‍पष्‍ट करती है।

Basic types of business structures जिन्‍हें types of businesses, main types of businesses या fundamental types of businesses भी कहा जा सकता है, हिन्‍दी में इन्‍हें व्‍यापार के मुख्‍य प्रकार, व्‍यापार के आधारभूत प्रकार अथवा व्‍यापार के मूल प्रकार भी कहा जाता है।

मुख्‍य रुप से यह 4 प्रकार के होते है, लेकिन कही-कही पर यह 3 प्रकार के भी देखने, सुनने या पढ़ने को मिल सकते है। कही-कही पर यह 4 से अधिक प्रकार के भी देखने, सुनने या पढ़ने को मिल सकते है।

लेकिन हमारा उद्देश्य व्‍यापार के सभी प्रकारो की जानकारी लेना नही है, बल्कि व्‍यापार के मुख्‍य प्रकारो को समझना है। मुख्‍य प्रकारो को समझने के बाद व्‍यापार के दूसरे सभी प्रकारो की जानकारी ली जा सकती है और फिर उन्‍हें विस्‍तार से समझा जा सकता है।

तो, व्‍यापार के मुख्‍य 4 प्रकार इस प्रकार से है-

1. Sole Proprietorship

हिन्‍दी में इसे एकल स्‍वामित्‍व कहा जाता है। जब किसी संगठन, कम्‍पनी या व्‍यापार का स्‍वामित्‍व एक ही व्‍यक्ति विशेष के नियंत्रण में हो तो इसे एकल स्‍वामित्‍व (sole proprietorship) कहा जाता है।

इसमें किसी संगठन, कम्‍पनी या व्‍यापार का स्‍वामित्‍व किसी एक ही व्‍यक्ति विशेष के निंयत्रण में होता है, लेकिन साथ ही इसका स्‍वामित्‍व किसी अन्‍य व्‍यक्तियों के नियंत्रण में नही हो सकता है।

एकल स्‍वामित्‍व में एक से अधिक व्‍यक्तियों का कानूनी स्‍वामित्‍व नही हो सकता है, अगर ऐसा है तो वह संगठन, कम्‍पनी या व्‍यापार एकल स्‍वामित्‍व के प्रकार में नही गिने जाऐंगे।

एकल स्‍वामित्‍व कहे जाने वाले व्‍यापार में किसी व्‍यक्ति विशेष का स्‍वामित्‍व ना होकर किसी संगठन, निगम या कम्‍पनी का स्‍वामित्‍व भी हो सकता है।

Advantages

  • इस तरह के व्‍यापार को आसानी से शुरु किया जा सकता है।
  • इस तरह के व्‍यापार को संचालित करना भी आसान होता है।
  • यह कम निवेश में शुरु किया जा सकता है।
  • इसे शुरु करने के लिए कम प्रक्रियाओं को पूरा करने की जरुरत होती है।
  • इसका सारा लाभ शुरु करने वाले व्‍यापारियों के पास जाता है।

Disadvantages

  • इसमें कई तरह की जिम्‍मेदारियों को अकेले ही पूरा करना पड़ता है।
  • इसमें निवेशको से निवेश लाना मुश्किल होता है।

Suitable For

  • यह छोटे कारोबारियों के लिए लाभदायक हो सकता है।
  • Small businesses
  • Freelancers
  • Consultants

2. Partnership

Partnership Business का अर्थ इसके नाम से ही स्‍पष्‍ट हो जाता है। इसमें दो या दो से अधिक भागीदार (partner) हो सकते है, जो किसी संगठन, कम्‍पनी या व्‍यापार में कानूनी रुप से अपना स्‍वामित्‍व रखते हो।

Partnership Business में दो या दो से अधिक व्‍यक्तियों के स्‍थान पर दो या दो से अधिक संगठन, निगम या कम्‍पनी का स्‍वामित्‍व भी हो सकता है और यह किसी एक व्‍यक्ति और संगठन, निगम या कम्‍पनी के मध्‍य भी हो सकता है।

Types of Partnership Business

Partnership Business भी अपने आप में कई प्रकार का होता है, लेकिन मुख्‍य रुप से और अधिकतर बार यह 3 प्रकार से ही स्‍पष्‍ट किया जाता है।

  1. General Partnership
  2. Limited Partnership (LP)
  3. Limited Liability Partnership (LLP)

Advantages

  • इसमें पूरा की जाने वाली जिम्‍मेदारियों को बांटा जा सकता है।
  • इसमें sole proprietorships की तुलना में लाभ तक पहुंचना आसान होता है।

Disadvantages

  • इसमें होने वाले लाभ को व्‍यापार के अन्‍य हिस्‍सेदारो (partners) के साथ बांटना पड़ता है।
  • इसमें हिस्‍सेदारो के साथ टकराव (conflicts) का डर बना रहता है।

Suitable For

  • यह एक से अधिक हिस्‍सेदारो के साथ व्‍यापार करने के सम्‍बंध में लाभदायक होता है।
  • Law Firms
  • Medical Practices
  • Small Firms with Multiple Owners

3. Limited Liability Company (LLC)

इसमें किसी संगठन, कम्‍पनी या व्‍यापार का स्‍वामित्‍व रखने वाले व्‍यक्तियों की संपत्ति संगठन, कम्‍पनी या व्‍यापार से सम्‍बंधित कर्ज या ऋण से सुरक्षित रहती है।

Limited Liability Company जिसे LLC भी कहा जाता है। व्‍यापार के इस प्रकार में इसका पूर्ण स्‍वामित्‍व किसी व्‍यक्ति विशेष या दो या दो से अधिक भागीदारो (partners) के पास नही होता है।

Advantages

  • इसमें व्‍यापारियो/व्‍यवसायियों की जिम्‍मेदारियां सीमित होती है।
  • इस तरह के व्‍यवसाय का प्रबंधन (management) करना आसान होता है।

Disadvantages

  • इसमें sole proprietorship या partnership प्रकार के व्‍यवसायों की तुलना में अधिक नियमों का पालन करना होता है।

Suitable For

  • Small to Medium Businesses
  • Family Businesses

4. Corporation

Corporation जिसे हिन्‍दी में निगम कहा जाता है। यह व्‍यक्तियों के समूह से बनती है। किसी कम्‍पनी को निगम (Corporation) भी कहा जा सकता है।

यह अपने मालिको, शेयरधारको या भागिदारो से अलग होती है, इसके अपने कानूनी नियम होते है। कुछ उदाहरणों के द्वारा इसे आसानी से समझा जा सकता है, जैसे-

संघ, संस्‍था, नगरपालिका, पंचायत आदि।

Types of Corporations

Corporations भी अपने आप में कई प्रकार के होता है, लेकिन मुख्‍य रुप से और अधिकतर बार यह 2 प्रकार से ही स्‍पष्‍ट किये जाते है।

  1. C Corporation
  2. S Corporation

Advantages

  • इसमें निभाई जाने वाली जिम्‍मेदारियां सीमित होती है।
  • इसमें पूंजी निवेश करने या इकट्ठा करने की छूट होती है।

Disadvantages

  • इसमें लागू होने वाले नियम जटिल होती है।
  • इसकी आधारभूत संरचना भी जटिल होती है।

Suitable For

  • Large Companies
  • Startups Planning to Scale

5. Cooperative (Co-op)

व्‍यापार के 4 मुख्‍य प्रकारो के अलावा व्‍यापार का एक और प्रकार है जिसे व्‍यापार के मुख्‍य प्रकारो में गिना जा सकता है, वह है cooperative business. इसका short form co-op है।

हिन्‍दी में इसे सहाकारी व्‍यवसाय कहा जाता है।

इसकी विशेषता और पहचान यह है कि इसे उसके सदस्‍य ही नियंत्रित करते है और यह उसके सदस्‍यो के द्वारा ही संचालित होता है।

साथ ही इसके उत्‍पादो या सेवाओं का उपयोग भी उसके सदस्‍यो के द्वारा ही होता है। यह सदस्‍यो की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों को सुधारने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Advantages

  • इसका नियंत्रण इसके कर्मचारियों/सदस्‍यों के पास होता है।
  • इसमें दिए जाने वाले कर (tax) में कई प्रकार की छूट मिलती है।

Disadvantages

  • इसका विस्‍तार या विकास एक तय सीमा तक ही किया जा सकता है।
  • इससे सम्‍बंधित जरुरी फैसले लेने की प्रक्रिया धीमी होती है।

Suitable For

  • Grocery co-ops
  • Credit Unions
  • Employee-Owned Businesses

व्‍यापार के मुख्‍य प्रकारो के अलावा व्‍यापार के अन्‍य कुछ प्रकार भी अस्तित्‍व है, जिन्‍हें व्‍यापार के सामान्‍य प्रकारो में गिना जा सकता है।

व्‍यापार के यह प्रकार भी अपने-आप में महत्‍वपूर्ण होते है, इसलिए स्‍टार्टअप शुरु करते समय, अपने लिए किसी एक व्‍यापार के प्रकार को चुनते समय या व्‍यापार के प्रकारो के बारे में जानते समय इन्‍हें भी ध्‍यान में रखने की जरुरत है।

हो सकता है कि स्‍टार्टअप शुरु करते समय जब अपने लिए किसी एक व्‍यापार के प्रकार को चुनने की बारी आए तो किसी नए व्‍यापारी का झुकाव मुख्‍य प्रकारो में से किसी एक पर ना होकर सामान्‍य प्रकारो में से किसी एक की तरफ हो।

व्‍यापार के सामान्‍य प्रकारो में व्‍यापार के मुख्‍य प्रकारो के साथ यह 3 प्रकार भी जोड़े जा सकते है-

6. Nonprofit Organization (NPO)

इसका short form NPO है और हिन्‍दी में Nonprofit Organization को गैर-लाभकारी संगठन सा संस्‍था कहा जाता है।

ऐसे संगठनो या संस्‍थाओं का मुख्‍य लक्ष्‍य लाभ कमाना नही होता है, बल्कि इनका मुख्‍य लक्ष्‍य समाज कल्‍याण के लिए कार्य करना होता है।

यह समाज कल्‍याण के लिए या लोगो या समाज के किसी एक पहलु को बेहतर बनाने या उसमें सुधार लाने के लिए कार्य करते है।

7. Franchise

Franchise को भी व्‍यापार के प्रकारो में शामिल किया जा सकता है और यह भी एक तरह का business model है।

इस business model में कोई बड़ी या सफल कम्‍पनी किसी नए व्‍यापारी को उस कम्‍पनी की एक शाखा शुरु करने की अनुमति देती है।

इससे कोई नया व्‍यापारी उस बड़ी या सफल कम्‍पनी के उत्‍पादो को बाज़ार में बेचकर मुनाफा कमाता है। बड़ी या सफल कम्‍पनी का नाम उपयोग करने और उसके उत्‍पादो को बेचने के बदले व्‍यापारियों को उस कम्‍पनी के साथ जुड़ने के लिए किसी तरह का भूगतान करना पड़ता है।

8. Hybrid Models

Hybrid Business Model पर आधारित कम्‍पनियां दो या दो से अधिक Business Models के गुण और विशेषताओं से संचालित होती है। यह व्‍यापार के दो या दो से अधिक प्रकारो का मिश्रण होता है।

Conclusion

व्‍यापार में सफलता हासिल करने के लिए व्‍यापारिक ज्ञान की आवश्‍यकता होती है लेकिन व्‍यापारिक ज्ञान अपने-आप में बहुत बड़ा और फैला हुआ क्षेत्र है और वर्तमान समय में अनगिनत मात्रा में यह उपलब्‍ध है।

इसलिए नए व्‍यापारियों को सीधे व्‍यापारिक ज्ञान लेने से पहले अपने लिए सही व्‍यापारिक ज्ञान को चुनना चाहिए और इसमें व्‍यापार के प्रकारो का ज्ञान होना बहुत सहायता कर सकता है।

व्‍यापार के प्रकारो को जानकर अपने व्‍यापार के लिए सही प्रकार को चुना जा सकता है और फिर उससे सम्‍बंधित ज्ञान लिया जा सकता है।

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