
Introduction
Product development, product development process या new product development process तीनो की प्रक्रियाएं लगभग समान ही होती है।
हिन्दी में इनको उत्पाद का विकास, उत्पाद के विकास की प्रक्रिया या नए उत्पाद के विकास की प्रक्रिया कहा जाता है।
इन्हें निम्न प्रकार से भी समझा जा सकता है-
- product development- यह किसी उत्पाद को विकसित करने की प्रक्रिया है।
- product development process- यह भी किसी उत्पाद को विकसित करने की प्रक्रिया है।
- new product development process- यह किसी नए उत्पाद को विकसित करने की प्रक्रिया है।
इस तरह इन तीनो का english और हिन्दी अर्थ लगभग समान ही होता है, इसलिए इन तीनो को अलग-अलग समझने की जरुरत नही है।
इन तीनो को एक ही प्रकार से समझा जा सकता है, इसलिए इस लेख में हम इन्हें समझने के लिए एक ही शब्द का उपयोग करेंगे।
इन्हें समझने के लिए product development, product development process या new product development process और उत्पाद का विकास, उत्पाद के विकास की प्रक्रिया या नए उत्पाद के विकास की प्रक्रिया जैसे सभी शब्दों का उपयोग करने के बजाय सिर्फ ‘‘product development’’ शब्द का उपयोग करना पर्याप्त है।
जैसा कि product development के नाम से ही स्पष्ट है कि उत्पाद को विकसित करने के लिए किसी प्रक्रिया का पालन करना होगा, जिसमें कई चरण या स्तर होंगे।
इस लेख में product development की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों के साथ ही इसके महत्व को भी विस्तार से समझाया गया है।
Importance of Product Development
किसी वस्तु या प्रक्रिया का महत्व अलग-अलग प्रकार के लोगो के लिए अलग-अलग हो सकता है।
एक इंसान जिसे महत्वपूर्ण मानता है, उसे दूसरा इंसान महत्वपूर्ण नही मानता है।
अलग-अलग महत्व के कारण ही लोग अलग-अलग प्रकार का जीवन जीते है। अगर सभी लोगो के लिए एक ही वस्तु या प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती तो सभी इंसान एक ही तरह का जीवन जीते।
इस तरह product development का महत्व भी सभी के लिए अलग-अलग हो सकता है।
इसे हम दो प्रकार से समझेंगे-
1. जो वर्तमान में व्यापार नही करते
इसमें वह लोग आते है जो वर्तमान में व्यापार नही करते है, लेकिन भविष्य में व्यापार करना चाहते है।
इनके लिए product development को समझना इसलिए जरुरी है क्योंकि यह भविष्य में व्यापार शुरु कर सकते है।
व्यापार शुरु करने के लिए इन्हें product development की जरुरत होगी।
उदाहरण के लिए-
- व्यापार की शिक्षा ले रहे छात्र।
- जिनके पास बिजनेस आईडिया हो।
- जो भविष्य में व्यापार करना चाहते हो।
2. जो वर्तमान में व्यापार करते है
इसमें वह लोग आते है जो व्यापार शुरु कर चुके है या कुछ ही समय में व्यापार शुरु करने वाले है।
इनके लिए product development को समझना इसलिए जरुरी है, क्योंकि यह व्यापार शुरु कर चुके है।
उदाहरण के लिए-
- स्टार्टअप शुरु करने वाले लोग।
- कम्पनी का संचालन करने वाले बिजनेसमैन।
- किसी तरह का व्यापार करने वाले व्यापारी।
इस तरह product development का महत्व हर उस इंसान के लिए है, जो किसी-न-किसी रुप से व्यापार से सम्बंधित है।
Importance of Product Development for Businessman
व्यापार कमाएं गए लाभ के आधार पर सफल कहलाता है।
किसी कम्पनी के सफल होने का अनुमान इससे लगाया जाता है कि वह कम्पनी कितना लाभ कमा रही है?
कम्पनी को होने वाला लाभ ग्राहको से आता है।
कम्पनी जब किसी नए उत्पाद का निर्माण करके उसे बाज़ार में उतारती है और ग्राहको को अपना उत्पाद बेचती है, तो वह भूगतान करते है।
तो अपने व्यापार को सफल बनाने के लिए आपके पास एक उत्पाद होना चाहिए जिसे बाज़ार में लाया जा सके, ग्राहको को बेचा जा सके और लाभ कमाया जा सके।
इसलिए नए उत्पाद के विकास करने की प्रक्रिया को समझना हर व्यापारी के लिए जरुरी है।
What is Product Development
उत्पाद के विकास करने की प्रक्रिया को समझने से पहले उत्पाद का विकास क्या होता है? यह समझते है-
उत्पाद का विकास (product development) दो शब्दों से मिलकर बना है- उत्पाद (product) और विकास (development)
इन्हें अलग-अलग करके समझते है-
What is Product
उत्पाद (product)- यह किसी स्टार्टअप, कम्पनी, संस्थापक या व्यापारी के द्वारा बनाई गई वस्तु होती है, जिसे वह बाज़ार में लाना चाहता है।
किसी उत्पाद को बनाने के पिछे उसके कई लक्ष्य हो सकते है-
- वह व्यापारी बनाना चाहता है।
- वह लाभ कमाना चाहता है।
- वह ग्राहको तक उत्पाद पहुंचाना चाहता है।
- व्यापार करना उसकी hobby हो सकती है।
- वह ग्राहको की परेशानियों को दूर करना चाहता है।
What is Development
विकास (development)- यह एक प्रक्रिया है, जो अधिक विकसित होने का समर्थन करती है।
मानव सभ्यता विकास के महत्व को जानती है और उसे अपनाती है।
इससे वह अधिक आधुनिक होती है।
विकास करने के पिछे कई महत्वपूर्ण बिन्दु शामिल होते है-
- यह आधुनिक होने का प्रमुख कारण है।
- इससे अनुकूलन (adaptation) को अपनाया जा सकता है।
- इससे मानव सभ्यता अधिक विकसित होती है।
- इससे मानव सभ्यता का जीवन आसान होता है।
- इससे व्यापारी सफलता तक पहुंच पाता है।
Definition of Product Development
उत्पाद (product) और विकास (development) के अर्थ को अलग-अलग समझने के बाद उत्पाद के विकास (product development) की परिभाषा को आसानी से समझा जा सकता है-
परिभाषा- यह किसी स्टार्टअप, कम्पनी, संस्थापक या व्यापारी के द्वारा विकसित की गई वस्तु की प्रक्रिया होती है, जिसकी सहायता से उत्पाद का निर्माण किया जाता है और उसे ग्राहको तक पहुंचा कर लाभ कमाया जाता है।
Product Development में निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है
उत्पाद किसी स्टार्टअप, कम्पनी, संस्थापक या व्यापारी के द्वारा बनाई गई वस्तु होती है, जिसे वह बाज़ार में लाना चाहता है।
लेकिन दुनिया की हर कम्पनी अलग-अलग प्रकार का उत्पाद बनाती है, स्टार्टअप अपना उत्पाद लेकर बाज़ार में आते है और इसी तरह भविष्य के स्टार्टअप भी बाज़ार में अपना उत्पाद लेकर आते रहेंगे।
तो, हर व्यापारी का अपना अलग उत्पाद हो सकता है, जिसे वह बाज़ार में लाना चाहे।
इस तरह हर उत्पाद के गुण और विशेषताएं भी अलग-अलग प्रकार की होगी, जिन्हें तय करना व्यापारी की जिम्मेदारी होती है।
इसलिए अपने उत्पाद के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारी होनी चाहिए।
अधिक जानकारी तब होगी, जब आपके पास अपने उत्पाद से सम्बंधित सवालो के जवाब होंगे।
यह सवाल निम्न प्रकार के हो सकते है-
- कल्पना में आपका सबसे उत्तम उत्पाद क्या है?
- इस उत्पाद से ग्राहक अपनी जिन्दगी में क्या बदलाव देख पायेंगे?
- आप इस तरह का उत्पाद क्यूं बनाना चाहते हो?
- यह मानवता के लिए क्यूं जरुरी है?
- उत्पाद कैसे बनाओगे?
- ग्राहक इसे कितनी सरलता से उपयोग कर सकते है?
- यह कितने समय में बनकर तैयार हो जायेगा?
- इसे कब तक बाजार में ला पाओगे?
- इसे निर्माण करने की व्यवस्था कहां पर होगी?
- उत्पाद को निर्माण करने से लेकर यह ग्राहको तक कैसे पहुचेगा?
- ग्राहक इसे कब तक और इसका कितनी बार इस्तेमाल कर सकते है?
- इस तरह के उत्पाद से लोगो का भावनात्मक लगाव कितना है?
- इसका लक्ष्य क्या होगा?
- इसके दुष्प्रभाव क्या होंगे?
- यह किस क्षेत्र से सम्बंधित है?
- इसे बनाने के लिए किस तरह के ज्ञान की जरुरत है?
- इसे बनाने के लिए किस तरह के कौशल की जरुरत है?
- इसे बनाने के लिए किस तरह के कर्मचारियों की जरुरत होगी?
- इस तरह के उत्पाद के बाजार में कितने विकल्प उपलब्ध है?
- इस तरह का उत्पाद बनाने के लिए पहले किसने प्रयास किया था?
- इससे पर्यावरण को कितना नुकसान होगा?
- इसमें क्या नया है?
- यह बाजार में उपलब्ध दूसरे उत्पादो से क्यूं बेहतर है?
- यह कितना लाभ कमा कर दे सकता है?
Key Stages of the New Product Development Process
Product Development का परिचय, इसका महत्व और परिभाषा समझने के बाद इसकी प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को विस्तार से समझने की बारी आती है।
इनको विस्तार से समझना इसलिए जरुरी है क्योंकि एक व्यापारी अपना उत्पाद जितना अधिक व्यवस्थापूर्ण तरीके से बाज़ार में लाएगा वह बाज़ार में उतना ही अधिक सफल होगा।
Product Development Process और New Product Development Process (NPD) के चरण लगभग समान ही होते है, जो निम्न प्रकार से है-
- Idea Generation
- Idea Screening
- Concept Development and Testing
- Business Analysis
- Product Development
- Market Testing
- Commercialization
- Post-Launch Evaluation
लगभग सभी प्रकार के उत्पाद को विकसित करने के लिए यही प्रक्रियाएं होती है, जिसमें अलग-अलग चरण होते है।
1. Idea Generation
स्टार्टअप शुरु करने के लिए जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है, वह एक आईडिया होता है।
जिसके पास कोई बिजनेस आईडिया नही है, वह इंसान चाहे कितना ही अधिक ज्ञानी या कुशल क्यूं ना हो, वह व्यापार शुरु नही कर सकता है।
अगर आपके पास कोई बिजनेस आईडिया है, तो आप इस चरण में सफल होंगे, अगर नही है तो नीचे दी गई link की सहायता से आप भी अपने बिजनेस आईडिया को पहचान सकते है और फिर अगले चरण तक पहुंच सकते है।
आपके अंदर ही हैं Business Idea, जाने उस Idea को कैसे पहचाने?
2. Idea Screening
किसी व्यापारी का उत्पाद और उसका बिजनेस आईडिया लगभग समान ही होते है।
बिजनेस आईडिया एक व्यापारी का मानसिक विचार होता है, जिसकी सहायता से वह व्यापार शुरु करता है।
और उत्पाद एक व्यापारी के आईडिया का वास्तविक रुप होता है, जिसे वह ग्राहको को बेचता है।
Idea Screening एक प्रक्रिया है, जिसकी सहायता से अपने सबसे बेहतर बिजनेस आईडिया को पहचाना जा सकता है।
तो, अपने सबसे बेहतर बिजनेस आईडिया को पहचानने का यही सबसे बेहतर तरीका है कि अपने उत्पाद को ग्राहको को कैसे बेचा जाए? इस सवाल के जवाब की जानकारी होना।
अगर किसी इंसान ने कोई ऐसा बिजनेस आईडिया पहचाना है, जिसे वास्तविक रुप में नही बदला जा सकता है और जिसे ग्राहको को नही बेचा जा सकता है तो वह बिजनेस आईडिया कभी सफल नही हो सकता है, चाहे वह व्यापारी अपने बिजनेस आईडिया को लेकर कितना ही कार्यकुशल क्यूं ना हो।
3. Concept Development and Testing
इस प्रक्रिया में उत्पाद को बनाने की आधारभूत संरचना तैयार की जाती है और उसका परीक्षण किया जाता है।
उत्पाद और कुछ नही यह आइडिया का ही वास्तविक रुप होता है। आइडिया जब कल्पना से निकल कर वास्तविक रुप ले लेता है तो वह उत्पाद बन जाता है।
दुनिया में जितने भी अविष्कार हुए है वह पहले किसी की कल्पना थे। यह बिजनेस की दुनिया पर भी लागू होता है। अपनी कल्पना को वास्तविकता में बदलना, उत्पाद बनाने के रास्ते की ओर पहला कदम होता है।
तो, इस चरण को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए अपने आईडिया को वास्तविक रुप में बदलने की आधारभूत संरचना तैयार करनी होगी और उसका परीक्षण भी करना होगा।
4. Business Analysis
एक व्यापारी का बिजनेस आईडिया और उसके द्वारा बनाया गया उत्पाद लगभग समान ही होते है।
इसलिए उत्पाद का विश्लेषण करने से पहले आईडिया का विश्लेषण करना चाहिए।
इस स्तर में अपने बिजनेस आईडिया या संस्थापक के मानसिक विचार का अध्ययन किया जाता है।
जिसमें अपने उत्पाद से सम्बंधित आंकड़ों का विश्लेषण भी किया जाता है।
साथ ही उत्पाद से सम्बंधित निम्न सवालो के जवाब खोजे जाते है-
जैसे कि-
- उत्पाद का बाज़ार कितना बड़ा है?
- उसके विकास की संभावना (growth potential) कितनी है?
- उत्पाद के निर्माण में कितनी लागत आएगी?
5. Product Development
अपने बिजनेस आईडिया को पहचानने, सही उत्पाद के निर्माण का फैसला लेने, उत्पाद निर्माण की आधारभूत संरचना को समझने और उत्पाद से सम्बंधित आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद उत्पाद के निर्माण की बारी आती है।
इस स्तर में उत्पाद के prototype या product sample का निर्माण किया जाता है।
जिसमें उत्पाद को वास्तविक रुप देने का प्रयास किया जाता है।
जैसे कि-
- उत्पाद के गुण तय करना।
- उत्पाद की विशेषताओं को तय करना।
- उत्पाद की design तय करना।
- उत्पाद के निर्माण में लगने वाले raw materials की जानकारी होना।
6. Market Testing
इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें बाज़ार से सम्बंधित परीक्षण किए जाते है।
उत्पाद का निर्माण पूरा होने के बाद बाज़ार से सम्बंधित परीक्षण करते हुए व्यापारी को निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए-
- बाज़ार का चुनाव करे।
- उत्पाद को सीमित ग्राहको को बेचे।
- a और b से सम्बंधित कार्यो को पूरा करते हुए बाज़ार के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारी लेने का प्रयास करे।
7. Commercialization
यह उत्पाद के निर्माण का आखरी स्तर है। इससे पहले के सभी स्तरों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अपने उत्पाद को बाज़ार में उतारने की बारी आती है।
इस स्तर को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए उत्पाद से सम्बंधित जितनी अधिक जानकारी होगी, उतना ही बेहतर होगा।
जैसे कि-
- उत्पाद की कीमत तय करना।
- इसे ग्राहको तक पहुंचाने की रणनीति बनाना।
- इससे होने वाले लाभ का अनुमान लगाना।
8. Post-Launch Evaluation
1 से 7 तक के सभी चरणों को पूरा करने बाद post-launch evaluation की बारी आती है।
इस चरण में बाज़ार में लाए गए उत्पाद के प्रदर्शन का विश्लेषण किया जाता है और उसे बेहतर बनाया जाता है।
तो, इस चरण में निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रख जाता है-
- ग्राहको से feedback लेना।
- बिक्री और लाभ का ध्यान रखना।
- बाज़ार की मांग को ध्यान में रखना।
- उत्पाद के गुण और विशेषताओं को अधिक विकसित करना।
तो, हमने New Product Development Process (NPD) पर विस्तार से चर्चा की और इसके लिए पूरा किए जाने वाले चरणो और प्रमुख बिन्दुओं को भी विस्तार से समझा।
Conclusion
मानव सभ्यता विकास को अपनाकर आधुनिक हुई है और विकास को अपनाकर ही अधिक आधुनिक होती रहेगी, इस पर कोई संदेह नही कर सकता है।
विकास का यह सिध्दांत व्यापार पर भी लागू होता है।
नीचे दी गई link से इसे विस्तार से समझे-
Evolution of Business: विकास के सिद्धांत का एक अनोखा सफ़र
लेकिन विकास करना एक निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है, प्रकृति के नियमों की तरह।
इसलिए product development भी निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है, तभी तो इसे प्रक्रिया (process) कहा जाता है।
तो, इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसे पूरा करके खत्म करने के बारे में नही सोचा जाना चाहिए, बल्कि निरंतर अपने उत्पाद को विकसित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
लगातार सिखते रहना, अपनी गलतियों को सुधारना, उत्पाद को बाज़ार और ग्राहको की मांग के अनुसार विकसित करते जाना ही product development process में सफलता पाने का रास्ता है।