व्यापार के लक्ष्य कैसे तय करे? इस सवाल का जवाब जानने से पहले किसी भी व्यापारी को यह समझ लेना चाहिए कि स्टार्टअप शुरु करते ही संस्थापक पर व्यापार को सफल बनाने की जिम्मेदारी आ जाती है।
वह इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए अपने या व्यापार के लक्ष्य तय करता है और यह उम्मीद करता है कि इन लक्ष्यों को हासिल कर लेने के बाद वह और उसकी कम्पनी सफल होगी।
Introduction
व्यापार के लक्ष्य तय करने में, उनमें अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन करने में, उनके बारे में दिन-रात सोचने में, उनके लिए तैयार होने में, उनके लिए पूरी किए जाने वाली सही कार्यो की सूंची बनाने में, हर एक कार्य को एक के बाद एक पूरा करने में, उन्हें पूरा करने के लिए आवश्यक सुविधाओं को जुटाने में और लक्ष्य के लिए तय किए गए रास्ते पर चलने में एक संस्थापक, उसके कर्मचारियों, निवेशको और कम्पनी से सम्बंधित सभी लोगो की बहुत मेहनत, समय, ऊर्जा और साधनो की खपत होती है।
हो सकता है कि इस प्रक्रिया को पूरा होने में या तय किए गए लक्ष्यों को हासिल करने में कई सालो का समय लग जाए, इसलिए यह एक ऐसा कार्य है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इसके साथ ही स्टार्टअप शुरु करते ही संस्थापक को लक्ष्यों का चुनाव करना पड़ता है। वरना व्यापार किस दिशा में आगे बढ़ेगा?
Business Goals: व्यवसायिक लक्ष्य और जीवन में उनका महत्व
तो, व्यापार के लक्ष्य तय करना एक ऐसा कार्य है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है और साथ ही इसे टाला या नज़रअंदाज भी नही किया जा सकता है।

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Image Explain
व्यापार के लक्ष्य संस्थापक अकेले तय करता है और उन्हें पाने के लिए अधिकतर बार अकेले ही सफर करता है।
लेकिन लक्ष्यों को तय करने में या किसी एक लक्ष्य को पूरा करने में कई छोटे-बड़े कार्यो को पूरा करना पड़ता है और इनमें संस्थापक अकेला नही होता है। उसके कर्मचारी या जिनसे सौदा हो रहा है, वह साथ रहते है।
जैसे- अगर किसी संस्थापक का लक्ष्य अपने व्यापार को तीन साल के अंदर यूनिकॉर्न स्टार्टअप में बदलना है तो यह लक्ष्य संस्थापक को अकेले ही तय करना होगा, क्योंकि कोई भी कर्मचारी इतने कम समय में इतना अधिक कार्य करने का जोखिम नही उठाएगा।
इस तरह संस्थापक ऐसे लक्ष्यों के रास्तो में अधिकतर अकेले ही होते है।
लेकिन अगर इस लक्ष्य को संस्थापक सीधे अपने कर्मचारियों पर ना थोप कर उसे कई टुकड़ों में बाट दे और एक तरह के कार्य को किसी एक तरह के विभाग को दे दे तो यूनिकॉर्न बनने जैसे लक्ष्य का भार किसी एक कर्मचारी पर या एक विभाग पर नही होगा।
चित्र में होने वाली बातचीत, सलाह या सौदेबाज़ी को ऐसे ही किसी बड़े लक्ष्य के लिए पूरा किए जाने वाले कई छोटे कार्यो के रुप में परिभाषित किया जा सकता है।
जहां पर एक के बाद एक पूरे किए जाने वाले छोटे-छोटे कार्यो से बड़े लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है।
दिखाए जाने वाले GO के verbal communication के निर्देश को Goals तक पहुंचाने वाले रास्ते या सफ़र के रुप में भी समझा जा सकता है, जो बताता है कि जब तक आप किसी लक्ष्य के रास्ते पर जाते (go) नही, तब तक आप किसी लक्ष्य तक नही पहुंच सकते है।
अगर लक्ष्य हासिल करना है तो उसके रास्ते पर जाईए, जमीनी हक़ीकत को समझिए, व्यवहारिक और प्रायोगिक रहिए।
हाथ मिलाए जाने वाले संकेत को साथ कार्य करने या उस लक्ष्य के लिए कार्य करने जैसे फैसलो पर राजी होने के नज़र से भी देखा जा सकता है।
अगर यह सौदेबाजी है तब भी इसके सकारात्मक पहलु सामने आते हुए दिखाई दे रहे है।
फर्श पर पड़ने वाली परछाई को कर्मचारियों या सौदेबाज़ो के नकारात्मक पहलुओं के तौर पर भी देखा जा सकता है।
किसी इंसान की परछाई की समझ होना, उस इंसान के नकारात्मक पहलुओं की समझ होने बराबर है।
यहां अपने कर्मचारियों या सौदेबाज़ो की परछाई पर गौर करने के बारे में कुछ बिन्दुओं को ध्यान में रखा जा सकता है-
- कर्मचारियों की नियुक्ति करते समय या कम्पनी की तरफ से किसी तरह की सौदेबाज़ी करते समय आपको हमेशा उनके सकारात्मक पहलुओं के साथ ही नकारात्मक पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा।
- नकारात्मक पहलु जैसे- क्या यह इंसान आपकी कम्पनी का कर्मचारी बनने के लायक है या नही? या इस इंसान से सौदेबाज़ी करना सही होगा या नही?
- नियुक्ति या सौदेबाज़ी के समय आपको ऐसे कौन-से नकारात्मक संंकेत दिख रहे है जो यह दर्शाते है कि आपको इस इंसान के साथ बिल्कुल नही जाना चाहिए?
- नियुक्ति करने या सौदेबाज़ी करने के बाद भी आपको हमेशा इन लोगो के नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देना होगा। जैसे- क्या कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का पालन कर रहे है? या क्या जिनसे सौदेबाज़ी हुई है वह उस सौदे के निर्देशों का पालन कर रहे है?
- अगर नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान नही दिया गया तो आपको बहुत अधिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। एक बार कर्मचारी की नियुक्ति करने के बाद या सौदा होने के बाद इन्हें बदलना मुश्किल होता है, इसलिए नकारात्मक पहलुओं पर शुरु से ही ध्यान होना चाहिए।
Set A Big Goal And Break It Into Smaller Goals
एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित करे और उसे छोटे-छोटे लक्ष्यों में बांट ले।
आपको इसी रणनीति को लेकर चलना होगा, क्योंकि कर्मचारी या कम्पनी के उच्च अधिकारी इसी तरह की रणनीति समझ सकते है।
उन्हें अगर आपके अपने किसी बड़े व्यापार के लक्ष्य हासिल करने को कहा गया तो वह उन्हें असम्भव लगेगा।
कर्मचारियों के सामने सीधे किसी बड़े व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने का प्रस्ताव ना रखे।
इसकी बजाय उनके सामने बड़े व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने में योगदान देने वाले किसी छोटे व्यापार के लक्ष्य को रखे।
किसी कम्पनी के कर्मचारी, उस कम्पनी के संस्थापक के बड़े व्यापार के लक्ष्य से इसलिए सहमत नही हो पाते है, क्योंकि-
- वह संस्थापक से अलग इंसान है। उनकी अपनी विचारधारा है, उनके अपने विश्वास है और उनकी अपनी रणनीति है।
- वह आपके कर्मचारी है, ना कि सह-संस्थापक या साथी है। वह वेतन पर कार्य करते है। ना कि उन्हें कम्पनी को बाजार पर एकाधिकार करने के लिए वेतन दिया जाता है।
- जैसा जीवन संथापक का रहा है, उसके कर्मचारियों का जीवन उससे अलग हो सकता है। संस्थापक जहां अपने आइडिया और व्यावसायिक जीवन की सफलता को लेकर महत्वाकांक्षी रहा हो, वही उसके कर्मचारियों का पिछला जीवन अभाव और छोटी सुविधाओं में बिता हो। इसलिए उनके सपने या उम्मीदे संस्थापक की तुलना में बड़ी ना हो।
- अगर एक इंसान के पिछले लक्ष्य पूरे हो चुके है तो उसके अगले लक्ष्य पिछले लक्ष्यों की तुलना में बड़े होते है।
अगर इसे संस्थापक और उसके कर्मचारियों की नज़र से देखा जाए तो संस्थापक अपने आइडिया को वास्तविकता में बदल चुका है, उसके व्यापारिक जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा पूरा हो चुका है।
वही किसी कम्पनी में कार्यरत कर्मचारी अभी भी किसी के लिए नौकरी कर रहे है, हो सकता है कि उनमें के कई कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो, अभी तक उन्होंने अपने जीवन में आर्थिक सुधार ही नही देखा है तो अगर ऐसी स्थिति में कोई उनसे किसी बड़े लक्ष्य को हासिल करने की बात कहता है तो वह उन्हें ना पाया जाना वाला ही मालूम होगा।
- अगर कर्मचारियों के सामने किसी बड़े लक्ष्य का पिछा करने का प्रस्ताव रखा जाए तो वह अपने निजी करणों से भी इस प्रस्ताव काे अस्वीकार कर सकते है। जैसे कि- उनका स्वास्थ्य खराब हो सकता है, वह अपने परिवार के लिए भी समय निकालना चाहते है या उन्हें लग सकता है कि कम्पनी की तरफ से उन पर अधिक कार्य करने की जिम्मेदारी थोपी जा रही है।
- कर्मचारी इसलिए भी किसी बड़े लक्ष्य का पीछा करने के लिए सकारात्मक नही हो सकते है क्योंकि उनका ज्ञान और कौशल संस्थापक की तुलना में कम हो सकता है।
जहां संस्थापक को लगता है कि वह अपने ज्ञान और कौशल से किसी तय किए गए विशेष व्यापार के लक्ष्य को हासिल कर सकता है वही कर्मचारियों को यह संभव होता नही लगता है, क्योंकि उनका ज्ञान और कौशल संस्थापक के स्तर का नही है।
इसमें सबसे बड़ा योगदान संस्थापक की भविष्यवाणी का होता है। संस्थापक अपने ज्ञान और कौशल से यह भविष्यवाणी कर सकता है कि उसकी कम्पनी अगले तीन सालो में यूनिकॉर्न होगी और अगले छ: सालो में बाजार की सबसे बेहतर कम्पनियों में होगी और उसके कुछ ही सालो बाद बाजार पर एकाधिकार कर चुकी होगी।
लेकिन अगर किसी कम्पनी के कर्मचारियों का ज्ञान और कौशल उसके संस्थापक के स्तर का नही है तो क्या वह संस्थापक की अपनी भविष्यवाणी से सहमत हो पाएंगे?
- आपने संगत को लेकर ऐसे कई वाक्य सुने होंगे, जैसे-
इंसान जैसे लोगो में रहता है, वैसा बन जाता है।
जैसी संगत, वैसी रंगत।
आप मुझे अपने दोस्त बता दीजिए और मैं आपको आपका भविष्य बता सकता हुं।
अगर ऐसे वाक्यों में सच्चाई है तो यह सच्चाई व्यापार के लक्ष्य तय करते समय भी जाहिर होगी।
हो सकता है कि संस्थापक अपने जीवन में अपने जैसे लोगो में रहा है, इसलिए उसके लक्ष्य बड़े और महत्वाकांक्षी हो सकते है और उसके अपने कर्मचारी अपने जीवन में अपने जैसे लोगो में रहे हो इसलिए उनके लक्ष्य छोटे हो।
- अपने कर्मचारियों को बड़े लक्ष्यों का पिछा करने के लिए राज़ी करने में एक महत्वपूर्ण योगदान संस्थापक या किसी उच्च अधिकारी के द्वारा दिये गये प्रेजेंटेशन का भी होता है।
अगर आप प्रेजेंटेशन में बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते है, जैसे कि- हम एक दिन दुनिया की सबसे सफल कम्पनी बनेंगे, एक दिन यह कम्पनी पूरी दुनिया पर राज करेगी या हमारा उत्पाद ग्राहको के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख देगा तो ऐसे वाक्यों से आपकी सहमति हो सकती है लेकिन आपके कर्मचारी ऐसे वाक्यों और आपके विचारो से सहमत नही हो पाएंगे।
किसी लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति का प्रेजेंटेशन देते समय आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सामने वाले इंसान को यह बिल्कुल ही असंभव ना लगे।
प्रेजेंटेशन के समय हमेशा शब्दों और वाक्यों के चुनाव पर ध्यान दे।
- यह भी हो सकता है कि आपने गलत कर्मचारियों की नियुक्तियां की हो।
बड़े लक्ष्यों को पिछा करने के विषय में आप सही हो सकते है और आपके कर्मचारी गलत हो सकते है।
हो सकता है कि आपके कर्मचारी बड़े लक्ष्यों की जिम्मेदारी लेना ही नही चाहते है या वह ऐसी जिम्मेदारी को अस्वतंत्रता की तरह देखते है। इसलिए, कर्मचारियों की नियुक्तियां करते समय ध्यान रखना चाहिए कि अगर किसी परिस्थिति में उन्हें बड़े लक्ष्यों की जिम्मेदारी दी गई तो क्या वह उसे पूरा कर पाएंगे या नही?
- कर्मचारी इसलिए भी किसी बड़े लक्ष्य का पिछा करने के लिए राजी नही होते क्योंकि इसमें उनका कोई लाभ नही है।
अगर कम्पनी किसी बड़े लक्ष्य को हासिल कर लेती है तो उसका लाभ संस्थापक और निवेशकों को होता है, लेकिन तय सीमा के वेतन पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को इससे कोई लाभ नही होता है।
उनके मन में यह विचार आ सकता है कि अगर इस बड़े लक्ष्य को हासिल कर भी लिया जाए तब भी उनका मासिक वेतन तो उतना ही रहेगा।
इन सभी कारणों की वजह से यह कहा जा सकता है कि कम्पनी के कर्मचारी संस्थापक के तय किए गए बड़े लक्ष्यों के प्रति हमेशा उदासीन, तटस्थ या निष्क्रिय (indifferent, neutral or inactive) ही रहेंगे।
लेकिन बड़े लक्ष्यों के बिना बड़ी सफलता भी नही पाई जा सकती है, इसलिए बड़े लक्ष्यों को छोटे-छोटे और जल्दी से हासिल किए जा सकने वाले लक्ष्यों में विभाजित कर लेना चाहिए।
इससे कर्मचारियों की तरफ से बहुत से लाभ हो सकते है, जैसे-
- अगर संस्थापक किसी बड़े लक्ष्य को छोटे-छोटे लक्ष्यों में विभाजित कर दे और उन छोटे लक्ष्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी कम्पनी के अलग-अलग विभागों में बांट दे तो किसी एक कर्मचारी या एक विभाग पर बड़े लक्ष्य को पूरा करने की जिम्मेदारी नही होगी।
- कर्मचारियों या सौदेबाज़ो के नकारात्मक पहलुओं की जानकारी होने से कम्पनी को भविष्य में होने वाले बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है।
- छोटे लक्ष्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी को निभाते हुए कम्पनी के कर्मचारियों को यह महसूस नही होगा कि उनसे उनके वेतन के स्तर से अधिक कार्य करवाया जा रहा है।
- छोटे लक्ष्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी को निभाने के बाद कर्मचारियों को पहले लक्ष्य से अधिक बड़े लक्ष्य को पूरा करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
- छोटे लक्ष्यों की जिम्मेदारी देने से कर्मचारियों को यह विचार नही सताएगा कि उनसे उनका नीजि जीवन और नीजि जीवन के लिए मिलने वाले समय को भी छिना जा रहा है।
- छोटे लक्ष्यों को पूरा करने के सफर में कर्मचारी अपने ज्ञान और कौशल का सही उपयोग कर पाएंगे। साथ ही अगर उन्हें लगता है कि इतना ज्ञान या कौशल इस लक्ष्य के लिए पर्याप्त नही है तो उनके पास इसे विकसित करने का भी समय होगा।
- अगर दुनिया में संगत के वाक्य सही है तो व्यापारिक दुनिया में इसका सबसे बड़ा असर किसी कम्पनी के कर्मचारियों पर होगा। छोटे लक्ष्यों को पूरा करते हुए कर्मचारी एक-दूसरे को अधिक समझ पाएंगे, यही समझ उन्हें आगे के लक्ष्य तय करने में सहायता करेगी।
- छोटे लक्ष्यों से कर्मचारियों की पहचान होती है, इससे यह बात समझ आती है कि कौन-से कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी निभाते है और कौन-से कर्मचारी उससे दूर भागते है।
- छोटे लक्ष्य, लक्ष्यों का पिछा करने में होने वाले खर्च को भी कम करते है। अगर बड़े लक्ष्य तय किए गए तो उनमें होने वाले खर्च भी अधिक होंगे। छोटे लक्ष्यों से कम्पनी को लक्ष्यों के पिछा करने में होने वाले खर्च के जोखिम से राहत मिलती है।
- लक्ष्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी को निभाने वाले कर्मचारी भविष्य की कम्पनी के उच्च अधिकारी जैसे- chief executive officer, chief financial officer, chief operating officer या chief human resources officer बनते है। इससे संस्थापक को व्यापार जगत के सबसे बेहतरीन अधिकारी चुनने का मौका मिलता है।
Conclusion
व्यापार के लक्ष्य तय करने का यही तरीका है कि आप कम्पनी के भविष्य के लिए और उसे अधिक सफल बनाने के लिए बड़े व्यापार के लक्ष्य तय करे, लेकिन उन लक्ष्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी अपने कर्मचारियों को देते समय उन्हें छोटे-छोटे, आसान और सरल लक्ष्यों में बांट ले।
सफल व्यापारी यह जानते है कि उनके अपने लक्ष्य, उनके अपने लाभ के लिए है और कर्मचारियों को इसमें कोई लाभ दिखाई नही देगा इसलिए वह एक संतुलित रास्ता अपनाते है।
संतुलित रास्ता वही है जिसमें कम्पनी, संस्थापक और कर्मचारी तीनों का लाभ हो।