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मानव संसाधन प्रबंधन (Human Resource Management – HRM) आज किसी भी संगठन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यह केवल भर्ती (Recruitment) और वेतन प्रबंधन (Payroll) तक सीमित नहीं है, बल्कि कर्मचारियों की क्षमता, प्रेरणा, प्रशिक्षण, विकास और संगठनात्मक संस्कृति को भी आकार देता है। लेकिन HRM आज जिस रूप में हमें दिखता है, वह एक लंबी ऐतिहासिक यात्रा और विकास प्रक्रिया का परिणाम है। इस लेख में हम मानव संसाधन प्रबंधन का विकास और इतिहास को विस्तार से समझेंगे।
मानव संसाधन प्रबंधन का विकास और इतिहास
1. प्राचीन काल में मानव संसाधन की अवधारणा
मानव संसाधन प्रबंधन का बीज प्राचीन सभ्यताओं में ही बोया गया था।
मिस्र की सभ्यता (Egyptian Civilization): पिरामिडों के निर्माण के लिए हजारों श्रमिकों को संगठित किया जाता था। कार्य का बंटवारा, निगरानी और श्रमिकों की जरूरतों का ध्यान रखना प्रारंभिक HRM का रूप था।
भारत की सभ्यता: कौटिल्य के अर्थशास्त्र (4वीं शताब्दी ईसा पूर्व) में श्रमिकों की नियुक्ति, वेतन, अनुशासन और संगठन चलाने से जुड़े नियमों का उल्लेख मिलता है।
चीनी सभ्यता: कन्फ्यूशियस के सिद्धांतों में नैतिकता, नेतृत्व और सामूहिक कार्य पर जोर दिया गया।
इन सभ्यताओं में औपचारिक HR विभाग नहीं थे, लेकिन कार्य के बंटवारे, श्रम प्रबंधन और प्रोत्साहन की नींव रखी गई।
2. मध्यकालीन काल (Medieval Era)
मध्यकाल में गिल्ड सिस्टम (Guild System) विकसित हुआ। गिल्ड वे संगठन थे जहाँ कारीगर और व्यापारी अपने-अपने पेशे से जुड़े नियम बनाते और श्रमिकों को प्रशिक्षित करते थे।
इसमें शिक्षुता प्रणाली (Apprenticeship System) चलन में आई।
वरिष्ठ कारीगर (Master) नए कारीगरों (Apprentices) को प्रशिक्षित करते थे।
श्रमिकों की योग्यता, प्रशिक्षण और कार्य अनुशासन पर ध्यान दिया जाता था।
यह HRM का वह दौर था जहाँ कौशल विकास (Skill Development) और प्रशिक्षण (Training) पर विशेष महत्व दिया गया।
3. औद्योगिक क्रांति का दौर (18वीं–19वीं शताब्दी)
18वीं शताब्दी के अंत और 19वीं शताब्दी में आई औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) ने HRM की दिशा पूरी तरह बदल दी।
बड़े-बड़े कारखानों में मशीनों के इस्तेमाल से श्रमिकों की मांग बढ़ी।
उत्पादन केंद्रित दृष्टिकोण के कारण श्रमिकों को केवल एक “श्रम शक्ति” (Labor Force) माना गया।
काम के घंटे लंबे, वेतन कम और कार्य वातावरण कठोर था।
इस दौर में HRM का उद्देश्य केवल श्रमिकों को काम पर लगाना और उनसे अधिक से अधिक उत्पादन करवाना था।
लेकिन जैसे-जैसे असंतोष बढ़ा, श्रमिक आंदोलनों और यूनियनों का उदय हुआ। इसने प्रबंधन को मजबूर किया कि वे कर्मचारियों के कल्याण और अधिकारों पर भी ध्यान दें।
4. वैज्ञानिक प्रबंधन और HRM (1900–1920)
फ्रेडरिक डब्ल्यू. टेलर (F.W. Taylor) ने Scientific Management Theory दी।
काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर दक्षता (Efficiency) बढ़ाने पर जोर दिया गया।
श्रमिकों को बेहतर प्रशिक्षण देने और उचित मजदूरी देने की बात कही गई।
इस दौर में “Personnel Management” शब्द प्रचलन में आया, जिसका उद्देश्य था कर्मचारियों की भर्ती, रिकॉर्ड रखना और नियमों का पालन कराना।
5. मानव संबंध आंदोलन (Human Relations Movement – 1930–1950)
इस काल को HRM के इतिहास में सबसे बड़ा मोड़ माना जाता है।
एल्टन मेयो (Elton Mayo) और उनके Hawthorne Studies ने दिखाया कि कर्मचारियों की उत्पादकता केवल मशीनों या मजदूरी पर निर्भर नहीं करती, बल्कि सामाजिक संबंध, प्रेरणा और कार्य वातावरण भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
टीमवर्क, नेतृत्व और संवाद पर ध्यान दिया जाने लगा।
कर्मचारी संतुष्टि और मनोविज्ञान HRM का नया आधार बना।
6. आधुनिक HRM का जन्म (1960–1980)
1960 के दशक के बाद HRM एक औपचारिक और रणनीतिक (Strategic) क्षेत्र बन गया।
कंपनियों ने Personnel Department को “Human Resource Department” में बदलना शुरू किया।
भर्ती, प्रशिक्षण, प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Appraisal), श्रम संबंध (Industrial Relations) और कर्मचारियों के कल्याण की नीतियाँ बनीं।
संगठन ने समझा कि कर्मचारी केवल श्रम नहीं बल्कि “मानव पूंजी” (Human Capital) हैं।
7. रणनीतिक HRM और वैश्वीकरण (1990–2000)
1990 के दशक में वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति ने HRM को और अधिक रणनीतिक बना दिया।
Strategic HRM की अवधारणा आई जहाँ HRM को संगठन की दीर्घकालिक रणनीति से जोड़ा गया।
प्रतिभा प्रबंधन (Talent Management), नेतृत्व विकास (Leadership Development), और प्रतिस्पर्धी लाभ (Competitive Advantage) में HRM की भूमिका बढ़ी।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) में विविधता प्रबंधन (Diversity Management) और अंतर्राष्ट्रीय HR नीतियों का विकास हुआ।
8. डिजिटल युग और आधुनिक HRM (2000–वर्तमान)
आज HRM पूरी तरह डिजिटल और डेटा-आधारित हो चुका है।
HR Analytics और AI Tools का प्रयोग भर्ती, प्रशिक्षण और प्रदर्शन मूल्यांकन में किया जा रहा है।
रिमोट वर्क (Remote Work), हाइब्रिड वर्क और वर्क-लाइफ बैलेंस HRM की नई प्राथमिकताएँ हैं।
DEI (Diversity, Equity, Inclusion) और Employee Engagement पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
अब HRM केवल प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि Business Partner और Change Agent की भूमिका निभा रहा है।
9. भारत में HRM का विकास
भारत में HRM की शुरुआत औद्योगिक क्रांति के बाद बड़े कारखानों से हुई।
स्वतंत्रता से पहले मजदूर कानून और ट्रेड यूनियन HRM के मुख्य पहलू थे।
स्वतंत्रता के बाद फैक्ट्रियों एक्ट, वेतन कानून और श्रम कल्याण योजनाओं ने HRM को मजबूती दी।
1991 के बाद उदारीकरण और वैश्वीकरण के चलते भारतीय कंपनियों ने अंतर्राष्ट्रीय HRM मॉडल अपनाया।
आज भारत में IT कंपनियाँ, स्टार्टअप्स और बहुराष्ट्रीय संगठन आधुनिक HRM तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।
मानव संसाधन प्रबंधन का परिचय (Introduction to HR Management)
10. मानव संसाधन प्रबंधन का विकास और इतिहास की समयरेखा (संक्षिप्त तालिका)
काल/दौर | प्रमुख विशेषताएँ |
---|---|
प्राचीन काल | श्रमिक प्रबंधन, कार्य बंटवारा |
मध्यकाल | गिल्ड सिस्टम, शिक्षुता, कौशल प्रशिक्षण |
औद्योगिक क्रांति | श्रमिकों का शोषण, यूनियनों का उदय |
1900–1920 | वैज्ञानिक प्रबंधन, Personnel Management |
1930–1950 | मानव संबंध आंदोलन, कर्मचारी संतुष्टि पर जोर |
1960–1980 | आधुनिक HR विभाग की शुरुआत |
1990–2000 | रणनीतिक HRM, वैश्वीकरण |
2000–वर्तमान | डिजिटल HR, HR Analytics, रिमोट वर्क |
निष्कर्ष
मानव संसाधन प्रबंधन का विकास और इतिहास यह बताता है कि समय और परिस्थितियों के अनुसार इसकी भूमिका लगातार बदलती रही है। प्राचीन सभ्यताओं में यह श्रम प्रबंधन था, औद्योगिक क्रांति में यह उत्पादन केंद्रित रहा, जबकि आज यह संगठन की रणनीतिक सफलता का आधार बन चुका है। आधुनिक युग में HRM केवल कर्मचारियों को प्रबंधित करने का साधन नहीं, बल्कि नवाचार, विकास और संगठनात्मक संस्कृति का चालक है।