भारत में डिजिटल करेंसी (Digital Currency in India) का परिचय

डिजिटल करेंसी

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भारत तेजी से डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहा है। नोटबंदी (2016) और उसके बाद यूपीआई (UPI) जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों ने देश को नकद रहित लेन-देन की दिशा में अग्रसर किया। अब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल रुपया (e₹) के रूप में डिजिटल करेंसी की शुरुआत करके वित्तीय क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह केवल सुविधा ही नहीं, बल्कि पारदर्शी और सुरक्षित अर्थव्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम है।

डिजिटल करेंसी क्या है?

डिजिटल करेंसी वह मुद्रा है जो इलेक्ट्रॉनिक या वर्चुअल स्वरूप में होती है। इसमें नोट और सिक्कों का भौतिक रूप नहीं होता, बल्कि यह केवल कंप्यूटर नेटवर्क और इंटरनेट के माध्यम से संचालित होती है।

भारत में डिजिटल करेंसी को दो प्रमुख वर्गों में देखा जा सकता है:

  1. क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) – बिटकॉइन, एथेरियम आदि (सरकार द्वारा आधिकारिक मान्यता प्राप्त नहीं)।

  2. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) – आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल रुपया (e₹)

भारत में डिजिटल करेंसी की आवश्यकता

भारत जैसे विशाल और विविध देश में डिजिटल करेंसी की आवश्यकता कई कारणों से है:

  • नकदी प्रबंधन की लागत को कम करना।

  • नकली नोटों पर नियंत्रण।

  • पारदर्शी और ट्रेस योग्य लेन-देन सुनिश्चित करना।

  • कैशलेस अर्थव्यवस्था को गति देना।

  • वैश्विक डिजिटल वित्तीय प्रणाली के साथ तालमेल।

डिजिटल रुपया (e₹) क्या है?

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2022 में डिजिटल रुपया (e₹) की शुरुआत की। यह एक प्रकार की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) है।

  • इसे भारतीय रिज़र्व बैंक जारी करता है।

  • इसका मूल्य पारंपरिक रुपया (₹) के बराबर होता है।

  • इसे डिजिटल वॉलेट या मोबाइल ऐप के माध्यम से उपयोग किया जा सकता है।

डिजिटल करेंसी की विशेषताएँ

  1. सरकारी मान्यता प्राप्त – डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा जारी होता है, इसलिए सुरक्षित है।

  2. तेज़ लेन-देन – तुरंत भुगतान और ट्रांसफर।

  3. कागजी मुद्रा की जरूरत नहीं – नकदी छपाई और वितरण की लागत घटती है।

  4. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सहूलियत – भविष्य में अन्य देशों की CBDC से सीधे लेन-देन संभव।

  5. पारदर्शिता और सुरक्षा – हर ट्रांजैक्शन ब्लॉकचेन जैसी तकनीक से दर्ज होगा।

भारत में डिजिटल करेंसी के फायदे

  1. भुगतान प्रणाली में सरलता – छोटे-बड़े लेन-देन तुरंत और बिना शुल्क संभव।

  2. नकली नोटों पर रोक – क्योंकि यह पूरी तरह डिजिटल है।

  3. कर चोरी और काले धन पर नियंत्रण – सभी ट्रांजैक्शन ट्रेस योग्य होंगे।

  4. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) – ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में भी आसानी से उपयोग।

  5. वैश्विक प्रतिस्पर्धा में लाभ – डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को मजबूती।

डिजिटल करेंसी (Digital Currency) 2025 का एक विस्तृत परिचय

भारत में डिजिटल करेंसी की चुनौतियाँ

  1. तकनीकी अवसंरचना (Infrastructure) – ग्रामीण इलाकों में अभी भी इंटरनेट और स्मार्टफोन की कमी।

  2. साइबर सुरक्षा खतरे – हैकिंग और डेटा चोरी का जोखिम।

  3. जागरूकता की कमी – आम जनता अभी भी डिजिटल करेंसी और डिजिटल भुगतान के बीच अंतर नहीं समझती।

  4. कानूनी और नियामक ढाँचा – क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत का रुख अस्पष्ट है।

  5. डिजिटल विभाजन (Digital Divide) – समाज का बड़ा हिस्सा अभी भी कैश पर निर्भर है।

डिजिटल करेंसी बनाम यूपीआई

बिंदुयूपीआई (UPI)डिजिटल रुपया (CBDC)
जारीकर्ताबैंक और भुगतान प्रणालीआरबीआई (केंद्रीय बैंक)
माध्यमबैंक खाता आधारितसीधे डिजिटल वॉलेट में
रूपभुगतान प्रणालीवास्तविक डिजिटल मुद्रा
खर्चलेन-देन शुल्क कमलगभग शून्य

भारत सरकार और आरबीआई की पहल

  • 2022-23 का केंद्रीय बजट: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल रुपया की घोषणा की।

  • पायलट प्रोजेक्ट: RBI ने थोक (Wholesale) और खुदरा (Retail) दोनों क्षेत्रों में e₹ के लिए परीक्षण शुरू किया।

  • फिनटेक सहयोग: कई बैंकों और फिनटेक कंपनियों को इसमें शामिल किया गया।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति

  • भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को वैध मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं दी है।

  • 2022 से क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन पर 30% टैक्स और 1% TDS लगाया गया।

  • सरकार और आरबीआई का झुकाव CBDC (डिजिटल रुपया) की ओर है, न कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की ओर।

भारत में डिजिटल करेंसी का भविष्य

  1. डिजिटल रुपया का विस्तार – धीरे-धीरे सभी नागरिकों तक पहुँचेगा।

  2. क्रिप्टो नियमन – सरकार भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियामक ढाँचा ला सकती है।

  3. कैशलेस अर्थव्यवस्था – नकद पर निर्भरता काफी घट जाएगी।

  4. अंतरराष्ट्रीय सहयोग – भारत अन्य देशों के साथ CBDC एक्सचेंज सिस्टम विकसित कर सकता है।

निष्कर्ष

भारत में डिजिटल करेंसी की शुरुआत वित्तीय प्रणाली के लिए ऐतिहासिक कदम है। डिजिटल रुपया (e₹) न केवल लेन-देन को सरल बनाएगा बल्कि नकली नोट, कर चोरी और काले धन जैसी समस्याओं को भी कम करेगा। हालांकि, इसके लिए साइबर सुरक्षा, डिजिटल साक्षरता और मजबूत कानूनी ढाँचे की आवश्यकता है।

यदि सरकार, RBI और जनता मिलकर इसे अपनाते हैं तो आने वाले समय में भारत वैश्विक स्तर पर डिजिटल करेंसी की शक्ति बन सकता है।

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