लिखित संचार (Written Communication): महत्व, प्रकार, प्रभाव

लिखित संचार

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संचार (Communication) किसी भी संगठन, समाज और व्यक्ति के जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। बिना संचार के न तो जानकारी साझा की जा सकती है, न ही विचारों का आदान-प्रदान संभव है। संचार कई प्रकार का होता है – मौखिक (Verbal), अशाब्दिक (Non-Verbal), दृश्य (Visual) और लिखित (Written)। इन सबमें लिखित संचार को सबसे सशक्त और स्थायी माध्यम माना जाता है।

लिखित संचार का अर्थ है – सूचना, विचार या संदेश को शब्दों, प्रतीकों और चिन्हों के माध्यम से लिखकर प्रस्तुत करना। यह संचार पत्र, ई-मेल, रिपोर्ट, ज्ञापन (Memo), पुस्तकों, नोटिस, कानूनी दस्तावेज़ों और डिजिटल मैसेजिंग आदि के रूप में किया जाता है।

लिखित संचार की परिभाषा

लिखित संचार वह प्रक्रिया है जिसमें प्रेषक (Sender) अपने विचारों या सूचनाओं को लिखित शब्दों के माध्यम से संप्रेषित करता है और प्राप्तकर्ता (Receiver) उसे पढ़कर समझता है।

उदाहरण:

  • किसी कंपनी का प्रबंधक कर्मचारियों को ई-मेल भेजकर नए प्रोजेक्ट की जानकारी देता है।

  • स्कूल में शिक्षक द्वारा छात्रों को लिखित असाइनमेंट देना।

  • सरकारी विभाग द्वारा जारी परिपत्र (Circular)।

इन सभी स्थितियों में संदेश लिखकर साझा किया जाता है, जो लिखित संचार की श्रेणी में आता है।

लिखित संचार की विशेषताएँ

  1. स्थायित्व (Permanence) – लिखित संचार लंबे समय तक सुरक्षित रहता है।

  2. प्रमाणिकता (Authenticity) – यह प्रमाण के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

  3. स्पष्टता (Clarity) – विचारों और सूचनाओं को विस्तारपूर्वक व्यक्त किया जा सकता है।

  4. औपचारिकता (Formality) – संगठन और प्रशासनिक कार्यों में लिखित संचार अधिक प्रचलित है।

  5. विस्तार (Elaboration) – जटिल विषयों को विस्तार से समझाया जा सकता है।

  6. दस्तावेजीकरण (Documentation) – भविष्य में संदर्भ (Reference) के लिए सुरक्षित रहता है।

लिखित संचार के प्रकार

लिखित संचार को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

1. औपचारिक लिखित संचार (Formal Written Communication)

यह संगठन के आधिकारिक कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे – पत्र, रिपोर्ट, ज्ञापन, नोटिस, कानूनी दस्तावेज़ आदि।

औपचारिक संचार (Formal Communication): एक विस्तृत समझ

2. अनौपचारिक लिखित संचार (Informal Written Communication)

यह व्यक्तिगत या अनौपचारिक संबंधों में प्रयोग किया जाता है। जैसे – दोस्तों को चिट्ठी, व्हाट्सऐप संदेश, व्यक्तिगत ई-मेल आदि।

अनौपचारिक संचार (Informal Communication): सम्‍पूर्ण जानकारी

3. पारंपरिक लिखित संचार (Traditional Written Communication)

इसमें पुराने समय में प्रयोग होने वाले साधन जैसे – हस्तलिखित पत्र, डायरी, पोस्टकार्ड आदि आते हैं।

4. आधुनिक लिखित संचार (Modern Written Communication)

इसमें डिजिटल साधन शामिल हैं, जैसे – ई-मेल, मैसेजिंग ऐप्स, ऑनलाइन रिपोर्ट और सोशल मीडिया पोस्ट।

लिखित संचार के लाभ

  1. स्थायी रिकॉर्ड – यह भविष्य में संदर्भ और प्रमाण के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

  2. स्पष्टता – लिखित रूप में विचार अधिक व्यवस्थित और स्पष्ट होते हैं।

  3. दूरस्थ संचार – बड़ी दूरी पर संदेश आसानी से भेजा जा सकता है।

  4. कानूनी मान्यता – अदालत या प्रशासनिक कार्यों में लिखित संचार को प्राथमिकता दी जाती है।

  5. समान सूचना का प्रसार – एक ही संदेश कई लोगों तक एकसाथ पहुँचाया जा सकता है।

  6. जटिल विषयों का विवरण – कठिन और तकनीकी विषयों को विस्तारपूर्वक लिखा जा सकता है।

लिखित संचार की सीमाएँ

  1. समय-साध्य – संदेश लिखने और पढ़ने में अधिक समय लगता है।

  2. तत्काल प्रतिक्रिया का अभाव – मौखिक संचार की तरह त्वरित उत्तर नहीं मिल पाता।

  3. लचीलापन कम – लिखने के बाद तुरंत बदलाव करना कठिन होता है।

  4. भाषाई जटिलता – यदि भाषा कठिन हो तो संदेश का गलत अर्थ निकाला जा सकता है।

  5. खर्चीला हो सकता है – विशेषकर बड़े पैमाने पर मुद्रण या डाक संचार में।

  6. गोपनीयता का खतरा – लिखित संदेश लीक या गलत हाथों में जा सकता है।

लिखित संचार बनाम मौखिक संचार

पहलूलिखित संचारमौखिक संचार
रिकॉर्डस्थायी रहता हैस्थायी नहीं होता
गतिअपेक्षाकृत धीमातेज़ और त्वरित
स्पष्टताअधिक स्पष्ट और विस्तृतकभी-कभी अस्पष्ट
प्रतिक्रियाविलंबिततुरंत मिलती है
उपयोगिताऔपचारिक कार्यों में अधिकअनौपचारिक कार्यों में अधिक

लिखित संचार के आधुनिक रूप

तकनीकी प्रगति के साथ लिखित संचार के स्वरूप में बदलाव आया है।

  1. ई-मेल (Email) – सबसे तेज़ और औपचारिक डिजिटल संचार माध्यम।

  2. मैसेजिंग ऐप्स – जैसे व्हाट्सऐप, टेलीग्राम आदि, जो तेज़ और अनौपचारिक हैं।

  3. सोशल मीडिया पोस्ट – व्यापक स्तर पर विचार और सूचना साझा करने का साधन।

  4. ऑनलाइन दस्तावेज़ (Docs, Sheets) – सहयोगात्मक कार्यों के लिए उपयोगी।

  5. ई-नोटिस और ई-रिपोर्ट्स – संगठनात्मक पारदर्शिता के लिए।

संगठनों में लिखित संचार का महत्व

  1. नीतियों का संप्रेषण – संगठन की नीतियाँ और नियम लिखित रूप में जारी किए जाते हैं।

  2. निर्णय प्रक्रिया – बैठकों की कार्यवाही (Minutes of Meeting) लिखित रूप में रखी जाती है।

  3. प्रदर्शन मूल्यांकन – कर्मचारियों का मूल्यांकन रिपोर्ट और दस्तावेज़ों के आधार पर किया जाता है।

  4. ग्राहक सेवा – ई-मेल, पत्र और फीडबैक फॉर्म के माध्यम से ग्राहक से संवाद किया जाता है।

  5. कानूनी सुरक्षा – विवाद की स्थिति में लिखित दस्तावेज़ प्रमाण के रूप में उपयोग होते हैं।

लिखित संचार को प्रभावी बनाने के उपाय

  1. स्‍पष्‍ट और सरल भाषा का प्रयोग करें।

  2. संक्षिप्त और सटीक लिखें।

  3. अनावश्यक जटिल शब्दों से बचें।

  4. संदेश का उद्देश्य स्पष्ट रखें।

  5. वाक्य संरचना व्यवस्थित हो।

  6. प्रूफरीडिंग करें ताकि त्रुटि न रहे।

  7. समय पर संदेश भेजें।

  8. प्राप्तकर्ता की आवश्यकता और स्तर के अनुसार भाषा चुनें।

निष्कर्ष

लिखित संचार (Written Communication) सूचना आदान-प्रदान का सबसे विश्वसनीय और स्थायी साधन है। यह न केवल संगठनात्मक कार्यों में औपचारिकता और प्रमाणिकता लाता है, बल्कि समाज और व्यक्तिगत जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हालाँकि इसमें समय और त्वरित प्रतिक्रिया की सीमाएँ हैं, लेकिन फिर भी कानूनी, प्रशासनिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता सबसे अधिक है। आज के डिजिटल युग में ई-मेल, ऑनलाइन दस्तावेज़ और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ने लिखित संचार को और अधिक प्रभावी और सुलभ बना दिया है।

अतः कहा जा सकता है कि लिखित संचार हर युग में प्रासंगिक रहा है और भविष्य में भी यह संगठनों तथा समाज की सफलता की कुंजी बना रहेगा।

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