उत्‍पाद, ग्राहक और लाभ: व्‍यापार के तीन प्रमुख लक्ष्‍य

उत्‍पाद ग्राहक और लाभ

Introduction

उत्‍पाद ग्राहक और लाभ, सभी तरह के व्यापार के, सभी तरह के स्टार्टअप्स के या सभी तरह की कम्‍पनियों के प्रमुख तीन लक्ष्य होते है। अपने व्यापार, स्‍टार्टअप या कम्‍पनी को इन्ही तीन लक्ष्यों को ध्यान में रखकर खड़ा करना चाहिए और उसे संचालित करना चाहिए।

लेकिन फिर भी व्‍यापार शुरु करते या उसे संचालित करते हुए कई तरह के संदेह या संकोच पैदा हो सकते है।

जैसे-

  1. क्‍या उत्‍पाद ग्राहक और लाभ को ही अपने व्‍यापारिक लक्ष्‍य माना जाए?
  2. क्‍या यही तीन लक्ष्‍य किसी भी तरह के व्‍यापार को सफल बनाने के लिए पर्याप्‍त है?
  3. क्‍या इन तीनो में से किसी एक लक्ष्‍य पर ध्‍यान देकर व्‍यापार को सफल नही बनाया जा सकता है?
  4. क्‍या इन तीनो से अलग लक्ष्‍य का होना संभव है?
  5. या क्‍या व्‍यापार को सफल बनाने के लिए किसी भी लक्ष्‍य का ना होना संभव है?

इस तरह के सवाल, संदेह या संकोच पैदा होना सामान्‍य है, लेकिन किसी भी तरह के सवाल, संदेह या संकोच का जवाब नही मिल पाए तो यह सामान्‍य नही रहते है। यह एक व्‍यापारी को हमेशा परेशान करते रहेंगे।

इसलिए हम इस लेख में इस तरह के सवालो के जवाबो जानने के साथ ही इस तरह संदेह और संकोच को दूर करने के लिए व्‍यापारिक लक्ष्‍यों से सम्‍बंधित कई अन्‍य महत्‍वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

क्‍या उत्‍पाद ग्राहक और लाभ को ही अपना व्‍यापारिक लक्ष्‍य माना जाए?

इसका जवाब है- हां, किसी भी तरह के व्‍यापार को सफल बनाने के यही तीन लक्ष्‍य होते है और एक व्‍यापारी को इन्‍हीं तीनो लक्ष्‍यों को ध्‍यान में रखकर अपना व्‍यापार शुरु करना चाहिए और उसे संचालित करना चाहिए।

अगर आप यह जानना चाहते है कि यह तीन लक्ष्‍य कैसे किसी भी तरह के व्‍यापार को सफल बनाने के लिए पर्याप्‍त है? तो आप इसका जवाब नीचे दी गई लिंक की सहायता जान सकते है।

व्‍यापार के लक्ष्‍य क्‍या होते है? किन लक्ष्‍यों पर फोकस करे?

सिर्फ एक लक्ष्‍य पर ध्‍यान देने का फैसला ना ले

इनमें से किसी एक पर ही ध्यान देना या इन तीनो को छोड़कर किसी दूसरे लक्ष्य पर ध्यान देना कंपनी के भविष्य के लिए सही फैसला नही है।

व्यापार में ही नही बल्कि जीवन में भी सिर्फ एक लक्ष्य का होना, उसी के लिए तैयारी करना और उसी को अपना जीवन मान लेना बहुत जोखिम भरा होता है।

पहले तो उस एक लक्ष्य का पता होने में ही बहुत वक्त लग जाएगा। अगर किसी तरह पता कर भी लिया जाए तो उसके सही होने का कोई प्रमाण नही होगा और प्रमाण ना होने से उस पर लगातार संदेह ही रहेगा।

अगर सही लक्ष्य सही वक्त पर समझ आ जाए लेकिन उसे पाने में असफलता मिल जाए तो इंसान जीवन भर अपने आप को असफल ही समझेगा और अगर उस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाए तो इसके बाद इंसान के जीवन की क्या अहमियत रह जाएगी?

इसी तरह व्यापार में अगर कोई कंपनी सिर्फ ग्राहको पर ध्यान देती है और होने वाले मुनाफे से उसे कोई मतलब नही है तो वह कितने दिनो तक चल पाएगी?

या कोई कंपनी सिर्फ अपने उत्पाद पर ध्यान देती है और उसे लगातार बेहतर बनाती जाती है। लेकिन वह कंपनी ग्राहको को ध्यान में रखकर उन तक उत्पाद ना पहुचाएं तो भले ही वह दुनियां का सबसे बेहतरीन उत्पाद बना ले फिर भी उसे मुनाफा नही होगा।

लेकिन मुनाफे पर प्रमुख रुप से ध्‍यान दे

सिर्फ मुनाफे पर ध्यान देना कुछ हद तक सही रणनीति हो सकती है। लेकिन सफल कम्पनियां आज में होने वाले कम मुनाफे को भविष्य में होने वाले अधिक मुनाफे के लिए छोड़ देती है।

अगर कोई कंपनी सिर्फ मुनाफे को ध्यान में रखकर अपने फैसले लेती है तो वह अपना विस्तार नही कर पाएगी या दूसरी शाखा नही खोल पाएगी क्योंकि ऐसा करने में जोखिम होता है, इसमें पैसा लगता है, एसेट खर्च होते है और ऐसे फैसले काफी वक्त तक मुनाफा बना कर नही देते है।

ये बात अलग है कि सफल कम्पनियों की एक नई शाखा खुलते ही उसके उत्पाद खरीदने के लिए लोगो की कतारे लग जाती है। लेकिन इससे पहले वह कंपनी कई बार ऐसा कर चुकी है। यह उसके लिए नया नही है।

उस कंपनी के शुरुआती शाखाओं पर गौर किया जाए तो उस वक्त उन्हें भी बहुत वक्त तक मुनाफा नही हुआ था। इसलिए सिर्फ और सिर्फ मुनाफे पर ध्यान देना भी कंपनी के लिए सही फैसला नही है।

यह भी हो सकता है कि ऐसे लोग स्टार्टअप शुरु ही ना कर पाए। क्योंकि स्टार्टअप शुरु करना, अपनी कंपनी का विस्तार करने या नई शाखा खोलने से ज्यादा जोखिम भरा होता है जिसमे सबसे पहले उनका खुद का पैसा लगता है।

ऐसे लोग भविष्य के जोखिम को कम से कम रखना चाहते है। इसलिए यह लोग व्यापार या कला के क्षेत्र को नही चुनेंगे। निवेश करने के लिए भी यह लोग ऐसे विकल्प खोजेंगे जहां सबसे कम जोखिम हो।

लाभ या मुनाफे के प्रकारो को समझे

बहुत सी कम्‍पनियां भविष्‍य में होने वाले अधिक लाभ के कारण, वर्तमान में होने वाले कम लाभ को छोड़ देती है। इनमें संस्‍थापक, सह-संस्‍थापक और कम्‍पनी के उच्‍च अधिकारियों की रणनीति छुपी हुई होती है।

यह रणनीतियां इस प्रकार से हो सकती है-

  1. कई कम्‍पनियां ग्राहको को लुभाने के लिए अपने उत्‍पाद को कम कीमत पर बेचती है।
  2. कई कम्‍पनियां ग्राहको को अपने उत्‍पाद का आदि बनाने के लिए उत्‍पाद को बीना किसी भूगतान के उपयोग करने की छूट देती है।
  3. किसी भूगतान के बीना ग्राहको को अपने उत्‍पाद को उपयोग करने की छूट देना, कम्‍पनी की रणनीति होती है। वह मानती है कि एक बार वह ग्राहक को अपने उत्‍पाद का आदि बना दे, फिर वह ग्राहको से भूगतान करने के लिए कह सकती है।
  4. कई कम्‍पनियां अपने उत्‍पाद की गुणवत्‍ता पर विशेष रुप से ध्‍यान देती है, क्‍योंकि वह मानती है कि ग्राहको का अनुभव उनके उत्‍पाद के लिए सबसे अधिक महत्‍व रखता है।
  5. कई कम्‍पनियां अपने उत्‍पाद की गुणवत्‍ता पर विशेष रुप से ध्‍यान नही देती है, बल्कि वह अपने ग्राहको को कम कीमत पर उनका उत्‍पाद उपलब्‍ध कराने पर ध्‍यान देती है।
  6. कई कम्‍पनियां बाज़ार में उपलब्‍ध एक ही तरह के उत्‍पादो में अधिक कीमत पर उच्‍च गुणवत्‍ता और कम कीमत पर उपलब्‍ध उत्‍पाद से बीच का रास्‍ता अपनाती है।
  7. कई कम्‍पनियां ना तो अपने उत्‍पाद को जरुरत से अधिक कीमत पर बेचती है और ना ही वह अपने उत्‍पाद को जरुरत से कम कीमत पर बेचने में ध्‍यान देती है।
  8. कई कम्‍पनियां अपने ग्राहको को दी जा रही सेवाओं के लिए जानी जाती है, जैसे- ग्राहको द्वारा उत्‍पाद वापस किया जाना, समय पर उत्‍पाद ग्राहको तक पहुंचाना, उत्‍पाद को पहले से कम कीमत पर बेचना आदि। क्‍योंकि वह मानती है कि ग्राहक उससे जुड़े रहेंगे तो भविष्‍य में लाभ कमाना आसान होगा।
  9. कई कम्‍पनियां त्‍यौहारो पर अपने उत्‍पादो को अधिक सस्‍ता कर देती है, क्‍योंकि वह किसी-न-किसी तरह से अधिक ग्राहको को लाना चाहती है।
  10. कई कम्‍पनियां अधिक लाभ कमाए जाने पर भी निवेशको से निवेश लाती रहती है। क्‍योंकि वह अपना विस्‍तार करना चाहती है और दूसरे देशो तक पहुंचना चाहती है।

इस तरह लाभ या मुनाफे के कई प्रकार हो सकते है। कम लाभ कमाना या अधिक लाभ कमाना या लाभ से सम्‍बंधित किसी भी तरह के फैसले संस्‍थापक, सह-संस्‍थापक, कम्‍पनी के उच्‍च अधिकारी जैसे कि सीईओं पर निर्भर करते है।

व्‍यापार में सफल होने के लिए खुद का लाभ चुने

व्‍यापार में सफल होने के लिए सिर्फ ग्राहको या अपने उत्‍पाद पर प्रमुख रुप से ध्‍यान देना सही रणनीति नही है, लेकिन होने वाले लाभ पर प्रमुख रुप से ध्‍यान दिया जा सकता है।

लाभ या मुनाफे पर प्रमुख रुप से ध्‍यान दिए जाने का फैसला लेने के बाद लाभ या मुनाफे के प्रकारो में से किसी एक को चुनने और उस पर अमल करने का सवाल उत्‍पन्‍न हो जाता है।

क्‍योंकि लाभ या मुनाफे के प्रकारो को समझने के बाद यह समझ आता है कि सभी कम्‍पनियां अपने लिए किसी एक तरह के लाभ या मुनाफे के प्रकार को चुनती है और उस अमल करती है।

लेकिन आप किसी दूसरी सफल कम्‍पनी के प्रकार को नही चुन सकते है या उस पर अमल करने का फैसला नही ले सकते है, क्‍योंकि वह प्रकार उस विशेष कम्‍पनी ने अपने लिए चुना है और वह उस पर अमल करती है।

आप किसी सफल कम्‍पनी का बिजनेस मॉडल अपनाकर सफल नही हो सकते है, आपको अपना बिजनेस मॉडल बनाना होगा और अपनी रणनीतियां तय करनी होगी।

इसलिए लाभ या मुनाफे के प्रकारो में से किसी एक को चुनना या अपने लिए किसी नए प्रकार को अमल में लाना व्‍यापार में सफलता पाने के लिए जरुरी है।

इसके लिए आपको लगातार जागरुक रहना होगा कि आप लाभ कैसे कमाएंगे? आपके अपने बिजनेस मॉडल में लाभ कहां पर है? और लाभ कमाए जाने पर अधिक लाभ कैसे कमाया जाता है?

क्‍या इन तीनो से अलग लक्ष्‍य का होना संभव है?

उत्‍पाद ग्राहक और लाभ से अलग भी किसी व्यापारी के लक्ष्य हो सकते है। कोई व्यापारी इन तीनो से अलग लक्ष्य तय कर सकता है, कोई किताब इन तीनो से अलग लक्ष्यों पर ध्यान देने का सुझाव दे सकती है, कोई अरबपति इनसे हटकर बात कर सकता है या किसी video को देखकर किसी और लक्ष्य को तय करने का विचार आ सकता है।

लेकिन किसी कंपनी को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए यही तीन लक्ष्य होने चाहिए। लोग इनसे हटकर किसी और लक्ष्य के होने की बात कह सकते है लेकिन फिर भी वह किसी-न-किसी तरह से इन्हीं तीनो से सम्बंधित होगी।

किसी भी स्टार्टअप को, किसी भी तरह के व्यापार को या किसी भी तरह की कंपनी को इन तीनो के बिना देखना संभव नही है।

किसी लक्ष्‍य का ना होना

व्यापार में उत्‍पाद ग्राहक और लाभ में से किसी एक लक्ष्य पर ध्यान देने या इनसे अलग किसी दूसरे लक्ष्य पर ध्यान देने के अलावा एक तीसरी स्थिति भी हो सकती है जो है- किसी लक्ष्य का ना होना।

इसके लिए हम एक तरह के सिद्धांत पर चर्चा करेंगे जो कि बहुत प्रचलित और प्रसिद्ध है और वह है Nihilism. यह एक तरह का सिद्धांत है।

इसे कई जाने माने दार्शनिकों ने बढ़ावा दिया है। लेकिन इस सिद्धांत में बहुत से दोष है। सबसे बड़ा दोष तो यह है कि किसी लक्ष्य का ना होना भी अपने आप में एक तरह का लक्ष्य ही है।

किसी मान्यता को ना स्वीकार करना, किसी मान्यता को ना स्वीकार करने की मान्यता को स्वीकार करना ही तो है।

इस तरह के सिद्धांत को मानने वाले इंसान के लिए कंपनी शुरु करना बहुत मुश्किल है।

क्योंकि सबसे पहले तो वह अपने आइडिया को लेकर ही उदासीन होगा। उसमें किसी तरह की आशा नही होगी और कंपनी शुरु करने या उसे संचालित करने के लिए जिस तरह के प्रयासो की जरुरत होती है वह सभी शून्यवाद के विपरीत है।

इसलिए दुनिया के किसी भी अरबपति ने शून्यवाद का अनुसरण करने की सलाह नही दी है और शून्यवाद को अनुसरण करने वाले किसी भी दार्शनिक या आम इंसान के द्वारा कोई कंपनी नही खड़ी की गई है।

इसलिए अगर तुम्हारे पास कोई बिजनेस आइडिया है लेकिन कोई स्पष्ट लक्ष्य नही है तो इन तीनों लक्ष्यों को अपनाया जा सकता है।

इन तीनो को अमल में कैसे लाया जाए?

इन तीनो को एक तरह की बिजनेस थ्योरी या व्यवसायिक सिद्धांत माना जा सकता है। लेकिन इन्हें अमल में कैसे लाया जाए? या इनका अनुसरण कैसे किया जाए?

इसके लिए सबसे पहले इन्हें व्यापार का केन्द्र बिन्दु माना जाए और इसके आस पास व्यापार को स्थापित किया जाए।

जैसे-

कंपनी शुरु करने के लिए सबसे पहले जगह की जरुरत होती है तो यह सोचा जाए कि क्या इस जगह पर ग्राहक है? क्या यहां उत्पाद का निर्माण किया जा सकता है? क्या इस जगह पर कंपनी के होने से अधिक लाभ हो पाएगा?

अगर कर्मचारियों को भर्ती करने की जरुरत पड़ी तो भी यह सोचा जाए कि इस कर्मचारी को भर्ती करने से ग्राहको की संख्या पर क्या बदलाव होगा? क्या यह उत्पाद को अधिक विकसित कर सकता है? क्या इसके आने से अधिक लाभ हो पाएगा?

अगर नई तकनीक या मशीनरी को स्थापित किया जा रहा है या इस पर विचार किया जा रहा है तब भी यह ध्यान रखना होगा कि क्या इस तकनीक से उत्पाद को ग्राहको तक जल्दी पहुंचाया जा सकता है? क्या यह उत्पाद को अधिक विकसित करने में योगदान दे सकती है? क्या इससे अधिक लाभ कमाया जा सकता है?

इस तरह अपने व्यापार को स्थापित करते चले जाना है। सिर्फ व्यापार को स्थापित करना ही नही बल्कि अगर कोई किताब भी पढ़ी जा रही है, कोई कौशल भी सीखा जा रहा है तब भी इन्हें ध्यान में रखना चाहिए।

लेकिन इन्‍हें जीवन का केन्‍द्र बिन्‍दु ना माने

बहुत से लोग अपनी प्रोफेशनल लाइफ को किसी केन्द्र बिन्दु के अनुसार स्थापित करते-करते अपने सारे जीवन को उस बिन्दु के अनुसार स्थापित करते चले जाते है।

वह अपनी प्रोफेशनल लाइफ के लक्ष्यों का पीछा करते हुए अपने स्वास्थ्य, परिवार, सामाजिक जीवन, जिम्मेदारियां, मनोरंजन, रुचि के क्षेत्र सभी को दांव पर लगा देते है। ये समझ चुके होते है कि उन्हें जो चाहिए वह बिना obsession के नही पाया जा सकता है।

क्योंकि हमारे समाज में प्रोफेशनल लाइफ की सफलता को ही सहारा जाता है। इसलिए ऐसे लोग प्रोफेशनल लाइफ के लक्ष्यों को पा ले तो उन्हें बहुत सफल माना जाता है।

लेकिन अगर ये लोग असफल होते है तो वह हर तरह से असफल होते है क्योंकि वह सबकुछ दांव पर लगा चुके होते है।

इसलिए प्रोफेशनल लाइफ के लक्ष्यों का पीछा करते हुए पर्सनल लाइफ को लक्ष्यों को नही भूलना चाहिए।

इन तीनो का आकार बहुत फैला हुआ है

वैसे भी स्टार्टअप शुरु करना, बिजनेस करना, कंपनी खड़ी करना, ग्राहको पर ध्यान देना, अच्छा उत्पाद बनाना, मुनाफा कमाना इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कोई एक तरह का काम नही करना होगा।

किसी दिन स्वास्थ्य खराब होने की वजह से तुम्हें अपनी जगह किसी और को चार्ज देना होगा, जिसके लिए सही इंसान को परखने का कौशल चाहिए।

किसी दिन व्यवसायिक कानून को पढ़ने और उन्हें समझने का वक्त आएगा, जिसके लिए पढ़ने की आदत के साथ ही उसे समझने, याद रखने और अमल में लाने का कौशल होना चाहिए।

तो किसी दिन तुम्हें कंपनी के उच्च अधिकारियों या निवेशकों के सामने प्रेजेंटेशन देना होगा, जिसके लिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल का होना जरुरी है।

इस तरह के उदाहरण अनगिनत है। व्यापार को शुरु करने और उसे संचालित करने के कोई निश्चित रास्ते या कौशल नही है।

सभी कम्पनियों के अपने ही बिजनेस मॉडल होते है। वह अपने अनुसार ही विस्तार करती है।

तो, अपने जीवन के दूसरे क्षेत्रो को ना भूले। उनके बेहतर होने से कंपनी के लक्ष्यों को पूरा करने की संभावनाएं कम नही हो जाएगी।

Revision

उत्‍पाद ग्राहक और लाभ से सम्‍बंधित इस लेख में हमने जाना कि- व्‍यापार शुरु करते या उसे संचालित करते हुए किसी व्‍यापारी के मन में किस-किस तरह के सवाल, संदेह और संकोच होते है, हमने उनको दूर किया।

क्‍या उत्‍पाद, ग्राहक और लाभ को ही अपना व्‍यापारिक लक्ष्‍य माना जाए? इस सवाल का जवाब जाना और यह भी कि इन तीनो में से किसी एक लक्ष्‍य पर ध्‍यान देने का फैसला लिया जा सकता है या नही? इस पर चर्चा की।

साथ ही मुनाफे पर प्रमुख रुप से ध्‍यान होने के कारणों का जाना, मुनाफे के प्रकारो को समझा और एक व्‍यापारी को अपने लिए चुने जाने वाले मुनाफे के प्रकार पर भी चर्चा की।

ग्राहक, उत्‍पाद और लाभ से अलग किसी लक्ष्‍य के होने पर चर्चा की और किसी भी लक्ष्‍य के ना होने पर भी बात की।

इसके साथ ही इन तीनों लक्ष्‍यों को अमल में लाने की रणनीति को समझा, इनके फैलाव या आकार को जाना और इन्‍हें जीवन का केन्‍द्र बिन्‍दु ना माने जाने को भी समझा।

Conclusion

व्‍यापार को सफल बनाने के लिए एक व्‍यापारी को हमेशा ही किसी-न-किसी लक्ष्‍य को चुनना पड़ता है, उसे हासिल करने की रणनीति पर काम करना पड़ता है और उसे हासिल किए जाने पर अगले लक्ष्‍य को चुनना और उसे हासिल करना पड़ता है।

व्‍यापार किसी एक तरह की रणनीति से सफल नही हो सकता है, अगर ऐसा होता तो सफल कम्‍पनियां हमेशा सफल ही रहती और असफल कम्‍पनियां हमेशा असफल ही होती।

किसी व्‍यापारी को अपने व्‍यापार को सफल बनाने के लिए लगातार लक्ष्‍यों का पिछा करना होता है और उन्‍हें हासिल करना होता है, इसी रणनीति से कोई भी व्‍यापार सफल होता है और एक व्‍यापारी भी।

इसलिए अपने लक्ष्‍यों को तय करना चाहिए और उन्‍हें हासिल करना चाहिए। इस तरह ग्राहक, उत्‍पाद और लाभ को अपना लक्ष्‍य मानना और उन्‍हें हासिल किए जाने पर काम करना व्‍यापारिक सफलता में बहुत हद तक एक सही रणनीति है।

Share This Post On

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top